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3 नवंबर को महागठबंधन की पहली अग्निपरीक्षा, जानिए मोकमा और गोपालगंज सीट का क्या है समीकरण?

10 अगस्त को महागठबंधन की नई सरकार बनी, सरकार बनते ही दावे 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर होने लगे. 2024 की लड़ाई को लेकर विपक्षी एकजुटता की कोशिश भी शुरू हुई.

Updated on: 03 Oct 2022, 09:02 PM

Gopalganj:

10 अगस्त को महागठबंधन की नई सरकार बनी, सरकार बनते ही दावे 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर होने लगे. 2024 की लड़ाई को लेकर विपक्षी एकजुटता की कोशिश भी शुरू हुई. नीतीश और लालू विपक्ष के नेताओं को गोलबंद करने में जुटे तो बीजेपी के चाणक्य अमित शाह ने भी सीमांचल से चुनावी शंखनाद कर दिया. दावे दोनों तरफ से 2024 और 2025 में जीत के हो रहे हैं, लेकिन इन जीत के दावों में कितना दम है, इसकी पहली अग्निपरीक्षा 3 नवंबर को होने जा रही है. 3 नवंबर को बिहार की दो विधानसभा सीटें मोकामा और गोपालगंज में उपचुनाव होने हैं. एक तरफ आरजेडी, जेडीयू, कांग्रेस और वामदलों का महागठबंधन है, तो दूसरी तरफ अलग-थलग पड़ी बीजेपी.

एक तरफ नीतीश-लालू और तेजस्वी का चेहरा है तो दूसरी तरफ कई चेहरों में से किसी एक चेहरे की बीजेपी तलाश करती. एक तरफ मोकामा में बाहुबली अनंत सिंह के गढ़ में अब तक एक भी जीत हासिल नहीं करने वाली बीजेपी की मुश्किलें हैं, तो दूसरी तरफ गोपालगंज में बीजेपी के गढ़ में सेंध लगाने की महागठबंधन की चुनौती. इन सबके बीच महागठबंधन की सरकार में दो महीने में दो मंत्रियों के इस्तीफे के बाद महादरार की अटकलों को हवा देने वाली बीजेपी है, तो दूसरी तरफ पोस्टर के ज़रिए नीतीश को कृष्ण और तेजस्वी को अर्जुन बताकर विपक्षी एकजुटता की नुमाइश करता आरजेडी है.

सवाल है कि दो सीटों के उपचुनाव से तय होगी 2024 की लड़ाई? पोस्टर वॉर के ज़रिए भरेगी महागठबंधन की दरार? बिना चेहरे के बीजेपी दे पाएगी लालू-नीतीश-तेजस्वी को टक्कर? जातीय समीकरण को साधने में किसके हाथ लगेगी बाजी? पहली अग्निपरीक्षा में पास हो पाएगा महागठबंधन? और सवाल ये कि महाभारत को तैयार है महागठबंधन? इन सवालों का जवाब जानने के लिए जरूरी है मोकामा और गोपालगंज सीट का समीकरण क्या कहता है. पहले मोकामा सीट के समीकरण को जानिए.

अनंत सिंह के गढ़ मोकामा में बीजेपी को नहीं मिली एक भी जीत

पटना जिले की मोकामा विधानसभा सीट आरजेडी का गढ़ मानी जाती है. मोकामा विधानसभा का इतिहास बाहुबली छवि के नेता के साथ रहा. मोकामा से पिछले 4 चुनाव से बाहुबली अनंत सिंह का वर्चस्व रहा है, इससे पहले अनंत के बड़े भाई दिलीप सिंह का यहां सिक्का चलता था. मोकामा विधानसभा सीट से बीजेपी को कभी जीत नहीं मिली. अनंत सिंह लगातार 2005 से यहां से चुनाव जीत रहे हैं.

2005 और 2010 का विधानसभा अनंत सिंह जेडीयू के टिकट से जीते थे. 2015 में जब लालू-नीतीश की जोड़ी साथ आई तब भी अनंत सिंह ने निर्दलीय चुनाव जीता था. 2020 चुनाव में अनंत सिंह आरजेडी के टिकट से चुनाव लड़े थे. अनंत सिंह के एके47 मामले में जेल जाने के बाद यह सीट खाली हो गई. उपचुनाव में अनंत सिंह पत्नी को मैदान में उतार सकते हैं. ऐसे में आरजेडी के गढ़ में बीजेपी के लिए ये सीट जीतना सबसे बड़ी चुनौती होगी. 

मोकामा का जातीय समीकरण
मोकामा विधानसभा क्षेत्र में कुल 2.68 लाख वोटर हैं. मोकामा सीट पर अहम भूमिका भूमिहार, कुर्मी, यादव, पासवान की है। वहीं राजपूत और रविदास जैसी जातियां भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। वैसे माना जाता है कि मोकामा में सवर्ण वोट जिस पाले में उस पार्टी की जीत होनी तय है.

बीजेपी का गढ़ रहा है गोपालगंज

गोपालगंज सदर विधानसभा सीट बीजेपी नेता सुभाष सिंह के निधन के बाद खाली हुई है. गोपालगंज शहर को बीजेपी का गढ़ माना जाता है. गोपालगंज सीट पर बीते चार चुनावों में बीजेपी को जीत मिली थी. 2005 से यहां बीजेपी के सुभाष सिंह चुनाव जीतते आ रहे थे. 2020 चुनाव में सुभाष सिंह ने बीएसपी के साधु यादव को 36 हजार वोटों के अंतर से हराया था जबकि 2005 चुनाव से पहले के तीन चुनावों में सीट RJD के पास ही रही थी.

गोपालगंज में सवर्ण तय करते हैं जीत-हार

गोपालगंज के जातीय समीकरण की बात करें तो गोपालगंज सीट में 55 हजार से ज्यादा सवर्ण वोट निर्णायक भूमिका में हैं. राजपूत के 18 हजार वोट , ब्राह्मण के 13,300 वोट, भूमिहार के 15,325 वोट और कायस्थ के 8400 वोटर्स हैं. इसके अलावा 50 हजार से ज्यादा पिछड़ी जातियों के वोट हैं. यादव वोटर्स की संख्या 46 हजार और मुस्लिम वोटर लगभग 58 हजार हैं. 

ज़ाहिर है दोनो सीटों में एक-एक सीट दोनों खेमों का गढ़ है, जबकि एक सीट दोनो खेमों के लिए चुनौती है. ऐसे में देखना होगा दो सीटों के मैच के नतीजे क्या 1-1 की बराबरी पर रहते हैं या बीजेपी और महागठबंधन में से किसी एक का क्लीन स्वीप होता है. वैसे महागठबंधन की नई सरकार बनने के बाद मोकामा और गोपालगंज में पहली अग्निपरीक्षा होने जा रही है. 6 नवंबर को उपचुनाव के नतीजों से तय होंगे महागठबंधन बनाम बीजेपी में किसके दावों में कितना दम है.