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उत्तर बिहार का इकलौता जूट मिल बंद, मजदूरों पर गहराया रोजगार का संकट

समस्तीपुर में चलने वाला उत्तर बिहार का इकलौता जुट मिल बंद हो गयी है और इसी के साथ हजारों मजदूरों पर रोजगार का संकट गहरा गया है.

Updated on: 16 Nov 2022, 03:55 PM

highlights

.मजदूरों पर गहराया रोजगार का संकट
.कई दिनों से आंदोलन कर रहे थे मजदूर
.मिल प्रबंधन पर सुविधा ना देने का आरोप
.आंदोलन के चलते मिल का काम हुआ ठप

Samastipur:

समस्तीपुर में चलने वाला उत्तर बिहार का इकलौता जुट मिल बंद हो गयी है और इसी के साथ हजारों मजदूरों पर रोजगार का संकट गहरा गया है. परेशान मजदूर जहां जुट मिल प्रबंधन पर सुविधाएं ना देने का आरोप लगाया है तो प्रबंधन का कहना है कि मजदूरों के आंदोलन के चलते मिल का काम ठप हो गया था. इसी वजह से मिल को बंद कर दिया गया है. एक तरफ बिहार सरकार युवाओं में नियुक्ति पत्र बांट रही है और रोजगार देने का वादा कर रही है, तो वहीं दूसरी तरफ समस्तीपुर में हजारों मजदूरों पर रोजगार का संकट गहरा गया है. दरअसल उत्तर बिहार का इकलौता जुट मिल बंद हो गया और इसी के साथ मिल में काम करने वाले मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है.

दरअसल, मिल में काम करने वाले मजदूर बीते तीन दिनों से मिल प्रबंधन के खिलाफ आंदोलन कर रहे थे. श्रमिक अपनी सुविधाओं में की गई कटौती के विरोध में प्रदर्शन कर रहे थे. आंदोलन के चलते मिल में कोई काम नहीं हो रहा था. ऐसे में मिल के प्रबंधक पीके पांडेय ने काम बंद करने की सूचना नोटिस बोर्ड पर लगा दी. नोटिस में 14 नवंबर सुबह 6 बजे की शिफ्ट से नो वर्क नो पे के तहत काम स्थगित करने की जानकारी दी गई. साथ ही कहा गया कि जूट मिल में अब उन्हीं कर्मचारियों को प्रवेश करने दिया जाएगा जो जरूरी सेवा से जुड़े हुए हैं.

प्रबंधन ने नोटिस जारी करने के साथ ही इसकी जानकारी प्रशासन को भी दे दी, जिसके बाद मिल के बाहर पुलिस बल की तैनाती कर दी गई. इस बीच मिल में काम करने वाले तमाम मजदूर और मिल प्रबंधन के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया. एक तरफ जहां मजदूर प्रबंधन पर सुविधाओं में कटौती और बकाया ना देने का आरोप लगा रहे हैं, तो वहीं प्रबंधन काम ना होने पर मिल को नुकसान होने की बात कह रहे हैं.

हालांकि, मुक्तापुर के ये रामेश्वर जूट मिल इससे पहले कई बार बंद हो चुका है. दरभंगा महाराज का मालिकाना हक जैसे ही मिल से हटा वैसे ही ये कुप्रबंधन का शिकार हो गया. ना तो मिल में नई मशीनें लगाई गई, ना ही दूसरी सुविधाएं दी गई. नतीजा ये हुआ कि मिल का उत्पादन दिन पर दिन कम होता चला गया. इससे पहले ये मिल
1978 में 52 दिनों तक बंद रहा
1983 में 32 दिन
1984 में 20 दिन
1985 में 81 दिन
1986 में 133 दिन
1987 में 117 दिन
1990 में 49 दिन
1994 में 118 दिन
2003 में 147 दिन
2005 में 107 दिन
2006 में 30 दिन
2007 में 3 दिन
2008 में 84 दिन
2012 में 3 दिन
2017 में करीब 3 साल 
और जुलाई 2022 में जूट मिल 7 दिन के लिए बंद रहा

रिपोर्ट : मंटून कुमार रॉय

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