हाजीपुर से स्कूल की बदहाली की तस्वीरें सामने आई है. शहर के धनौती में सरकारी स्कूल है. जहां ना तो बच्चों के बैठने के लिए बेंच की व्यवस्था है, ना बिजली और पानी की. ये स्कूल सड़क के किनारे बना है, लेकिन सुरक्षा के लिए एक बाउंड्री तक नहीं है. 8 साल का सूर्यकुमार जो हाजीपुर शहर के धनौती के दलित बस्ती में रहता है, इसे पढ़कर पुलिस बनना है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कैसे?
बिहार सरकार शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के कितने भी दावे क्यों न कर ले, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. हाजीपुर शहर के धनौती के सरकारी स्कूल में बच्चों के बैठने के लिए बेंच तक नहीं है. आलम ये है कि बच्चे दरी पर बैठकर पढ़ाई करते हैं. इतना ही नहीं स्कूल में पर्याप्त क्लासरूम भी नहीं है, जिसके वजह से पहली से पांचवी तक के बच्चे एक ही क्लासरूम में बैठते हैं. स्कूल में 3-4 टीचर्स हैं. वहीं, पूरा स्कूल चलाते हैं. स्कूल भवन की हालत भी जर्जर है. हैरानी की बात ये कि ये स्कूल सड़क किनारे है, लेकिन स्कूल के आस-पास किसी तरह की सुरक्षा बाउंड्री नहीं है. लिहाजा बच्चों की सुरक्षा के लिए टीचर्स ही चौकीदारी भी करते हैं.
इंफ्रास्ट्रक्चर की बात करें तो स्कूल में बच्चों के लिए न तो पीने का पानी है और न ही बिजली की व्यवस्था. अगर कुछ है तो वो है शासन-प्रशासन के खोखले दावे. स्कूल की बदहाली को लेकर जब जिला शिक्षा अधिकारी से बात की गई उन्होंने फंड का अभाव, जमीन की कमी, समेत आधा दर्जन कारण गिना दिए जिसके चलते स्कूल इस कदर बदहाल है.
सवाल उठता है कि अगर शिक्षा पदाधिकारी को स्कूल की बदहाली की खबर है तो व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए कोई पहल क्यों नहीं की गई. क्या संबंधित विभाग को स्कूल में फंड की कमी की जानकारी नहीं है और अगर है तो अभी तक कोई सुनवाई क्यों नहीं हुई? बहरहाल सवाल तो कई है, लेकिन देखना होगा कि जिम्मेदार इसका जवाब कब तक देते हैं.
रिपोर्ट : दीवेश कुमार
Source : News Nation Bureau