प्रशांत किशोर की मुखरता पर नीतीश के करीबी सहयोगी ने जताई असहमति

कुछ लोगों की हर समय बयान देने की आदत होती है. मेरे पास उनके बारे में कहने के लिए ज्यादा कुछ नहीं है लेकिन यह असमय है. उन्हें समय से पहले ऐसे विषय उठाने से बचना चाहिए.

कुछ लोगों की हर समय बयान देने की आदत होती है. मेरे पास उनके बारे में कहने के लिए ज्यादा कुछ नहीं है लेकिन यह असमय है. उन्हें समय से पहले ऐसे विषय उठाने से बचना चाहिए.

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Ravindra Singh
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प्रशांत किशोर की मुखरता पर नीतीश के करीबी सहयोगी ने जताई असहमति

प्रशांत किशोर( Photo Credit : न्यूज स्टेट)

भाजपा के साथ अपने संबंधों को लेकर यहां जदयू के अंदर सोमवार को तीखे मतभेद उभरकर सामने आ गए. दरअसल, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नीत पार्टी के एक शीर्ष नेता ने आगामी विधानसभा चुनावों के लिए सीट बंटवारा फार्मूला पर प्रशांत किशोर के ‘असमय’ बयान को लेकर असहमति जताई. सत्तारूढ़ जदयू के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) एवं राज्य सभा में पार्टी के नेता आरसीपी सिंह ने पार्टी उपाध्यक्ष किशोर की मुखरता से उस वक्त असहमति जताई, जब गया में पत्रकारों ने उनसे टिप्पणी करने को कहा. सिंह गया में बूथ स्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में गए थे. उन्होंने कहा, 'कुछ लोगों की हर समय बयान देने की आदत होती है. मेरे पास उनके बारे में कहने के लिए ज्यादा कुछ नहीं है लेकिन यह असमय है. उन्हें समय से पहले ऐसे विषय उठाने से बचना चाहिए.'

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सिंह को नीतीश के उन कुछ चुनिंदा लोगों में एक समझा जाता है जो उनके आंख-कान हैं. सिंह का चुनावी रणनीतिकार किशोर से मधुर संबंध नहीं रहा है, जो पिछले साल सितंबर में जदयू के प्राथमिक सदस्य बने थे और बाद में कुछ हफ्तों के अंदर उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नियुक्त कर दिया गया था. सिंह ने कहा, '2020 के चुनाव के बारे में दो चीजें स्पष्ट हैं, पहला यह कि चुनाव नीतीश बाबू के नेतृत्व में लड़ा जाएगा. दूसरा यह कि सीट बंटवारा कोई ऐसी चीज नहीं है जिस पर मीडिया की मौजूदगी के बीच फैसला लिया जाए.' सिंह ने कहा,'लोकसभा चुनाव के दौरान यह दिखा कि राजग के सभी घटक दलों के नेताओं ने एक स्वीकार्य फार्मूले पर फैसला किया और बाद में उसे सार्वजनिक किया गया था.'

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नीतीश के एक दशक से अधिक समय से करीबी सहयोगी एवं पूर्व आईएएस अधिकारी सिंह ने कहा, '...दोनों दलों (भाजपा और जदयू) के शीर्ष नेतृत्व के बीच शानदार तालमेल है. विधानसभा चुनाव के लिए सीट बंटवारा समझौता कहीं अधिक तालमेल के साथ होगा.' उल्लेखनीय है कि संसद में नागरिकता संशोधन अधिनियम के समर्थन में मतदान करने के जदयू के फैसले के खिलाफ किशोर के ट्वीट पर सिंह ने हाल ही में कहा था, 'ये कौन लोग हैं? सांगठनिक ढांचे में उनका क्या योगदान है? उन्होंने कितने सदस्य बनाए हैं? '

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सिंह ने यह बात उस वक्त कही थी जब उनसे विवादास्पद अधिनियम (सीएए) का किशोर द्वारा विरोध किए जाने के बारे में पूछा गया था. उन्होंने कहा, 'अभी पार्टी में कोई राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नहीं है. यहां तक कि मैं राष्ट्रीय महासचिव नहीं हूं. नीतीश कुमार एक और कार्यकाल के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए हैं और उन्हें एक नयी राष्ट्रीय कार्यकारिणी का गठन करना बाकी है.' वहीं, सिंह की आलोचना के महज कुछ ही दिनों बाद किशोर पटना पहुंचे थे और उन्होंने मुख्यमंत्री के साथ एक घंटे तक बंद कमरे में बैठक की थी. बैठक के बाद किशोर ने घोषणा की थी, 'आरसीपी हमारे वरिष्ठ नेता हैं. यदि वह मेरे बारे में कुछ कहते हैं तो मुझे उससे कोई फर्क नहीं पड़ता है. लेकिन मेरे बारे में पार्टी के लोग क्या कहते हैं उस बारे में नीतीश कुमार ने मुझे चिंता नहीं करने को कहा है.' सीएए, एनपीआर और एनआरसी का किशोर द्वारा लगातार विरोध किए जाने पर सिंह ने कहा, 'मैं उसके बारे में नहीं बोलना चाहता जिनका आप लोग नाम ले रहे हैं...कुछ लोगों को बयान देने की आदत है ताकि वे सुर्खियों में बने रहें. मुझे उनके बारे में कुछ नहीं कहना है....'

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वहीं, बिहार के उपमुख्यमंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने ट्वीट किया, '2020 का विधानसभा चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ा जाना तय है. सीटों के तालमेल का निर्णय दोनों दलों का शीर्ष नेतृत्व समय पर करेगा. कोई समस्या नहीं है.' उन्होंने किशोर पर परोक्ष रूप से प्रहार करते हुए कहा, '...लेकिन जो लोग किसी विचारधारा के तहत नहीं, बल्कि चुनावी डाटा जुटाने और नारे गढ़ने वाली कंपनी चलाते हुए राजनीति में आ गए, वे गठबंधन धर्म के विरुद्ध बयानबाजी कर विरोधी (विपक्षी) गठबंधन को फायदा पहुंचाने में लगे हैं.' इस बीच, भाजपा किशोर पर परोक्ष हमला करती प्रतीत हुई. भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता निखिल आनंद ने ट्वीट किया, '...प्रचार पाना चाह रहे एक दुष्प्रचारक, सुप्रीमो की भूमिका निभाने को उतावले और एकमात्र पार्टी प्रमुख के अधिकार क्षेत्र में रहने वाले विषय पर विचार प्रकट करने की कोशिश करने वाला व्यक्ति किसी भी संगठन के लिए खतरनाक है.' 

Source : Bhasha

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