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VIP के संस्थापक मुकेश को भी भारी पड़ा अभिशप्त बंगला, हुए बर्खास्त

बिहार के मंत्री मुकेश साहनी फिलहाल जिस स्ट्रैंड रोड स्थित छह नंबर के सरकारी बंगले में रह रहे हैं, उसमें रहने वाले मंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पा रहे हैं.

Updated on: 28 Mar 2022, 07:33 AM

highlights

  • नीतीश कुमार ने देर रात किया मुकेश को बर्खास्त
  • बीजेपी नेतृत्व बयानबाजी पर था जबर्दस्त नाराज
  • स्ट्रैंड रोड का बंगला पड़ रहा रहने वाले मंत्रियों पर भारी

पटना:

अंततः विकासशील इंसान पार्टी के संस्थापक मुकेश साहनी को स्ट्रैंड रोड का छह नंबर बंगला भी भारी पड़ ही गया. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को कैबिनेट मंत्री और वीआईपी के संस्थापक प्रमुख मुकेश साहनी को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया. माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्यपाल फागू चौहान को पत्र लिखकर साहनी को मंत्री पद से हटाने की सिफारिश की थी, जैसा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मांग की थी. भारतीय जनता पार्टी ने पिछले विधानसभा चुनाव में सहनी को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का हिस्सा बनाया था. उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि बीजेपी के लिखित निवेदन के बाद मुख्यमंत्री ने राज्यपाल से मत्स्य और पशुपालन मंत्री साहनी को मंत्रिमंडल से निष्कासित करने की सिफारिश की.

इस बंगले में रहने वाला कोई भी मंत्री पूरा नहीं कर सका कार्यकाल
बिहार के मंत्री मुकेश साहनी फिलहाल जिस स्ट्रैंड रोड स्थित छह नंबर के सरकारी बंगले में रह रहे हैं, उसमें रहने वाले मंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पा रहे हैं. कम से कम पिछले तीन मंत्रियों को लेकर तो यह बात एक सौ फीसदी सही नजर आ रही है. इस बंगले का आवंटन वर्ष 2010 जदयू नेता और उत्पाद विभाग के मंत्री अवधेश कुशवाहा को किया गया था, लेकिन कार्यकाल पूरा करने से पहले ही रिश्वतखोरी के एक मामले में वे फंस गए. कुशवाहा को कार्यकाल के पहले ही इस्तीफा देना पड़ गया, जिससे उनका सरकारी बंगला भी छिन गया.

2015 से शुरू हुई अभिशाप का दास्तां
बिहार में वर्ष 2015 में राजद और जदयू की सरकार बनी तब यह सरकारी बंगला सहकारिता मंत्री बने आलोक मेहता के हिस्से आया. उन्हें इस बंगले में रहते हुए करीब डेढ़ साल ही गुजरे थे कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस्तीफा दे दिया और फिर भाजपा के साथ मिलकर सरकार का गठन कर लिया. नीतीश कुमार के इस निर्णय के कारण आलोक मेहता को मंत्री पद गंवानी पड़ी, जिससे वे बंगले में रहते अपने कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए. इसके बाद मंत्री बनी मंजू वर्मा को यह आवास आवंटित किया गया, लेकिन वे भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी. उनका नाम मुजफ्फरपुर बालिका आश्रय गृह से जोड़े जाने के बाद उन्हें भी मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा. इसके बाद विधानसभा चुनाव 2020 के बाद मंत्री बने मुकेश सहनी को यह बंगला आवंटित किया गया.

बीजेपी नेतृत्व से नाराजगी पड़ी भारी
बिहार प्रमुख संजय जायसवाल सहित भाजपा नेता संकेत दे रहे थे कि हाल ही में यूपी विधानसभा चुनाव लड़ने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर हमला करने के अपने फैसले के बाद से साहनी को हटा दिया जाएगा. इसने तीनों वीआईपी विधायक बीते सप्ताह ही बीजेपी में शामिल हो गए थे. शनिवार को उपमुख्यमंत्री मुलाकात करने वाले जायसवाल ने रविवार को पहले कहा था कि साहनी के खिलाफ बहुत जल्द कार्रवाई की जाएगी. भाजपा ने उनके तीन विधायकों को शामिल करने के बाद साहनी को इस्तीफा देने का मौका दिया था, लेकिन उन्होंने यह कहते हुए इसे ठुकरा दिया था कि उन पर कोई भी निर्णय लेना मुख्यमंत्री का विशेष विशेषाधिकार है.