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चुनाव से पहले बिहार में 'आरक्षण; कार्ड, नीतीश ने की बढ़ाने की मांग

कुछ ही महीने में लोकसभा चुनाव होने वाला है. वहीं, देश के पांच राज्यों में भी विधानसभा चुनाव को लेकर घोषणा हो चुकी है.

Updated on: 07 Nov 2023, 05:54 PM

highlights

  • चुनाव से पहले बिहार में 'आरक्षण; कार्ड
  • नीतीश ने की आरक्षण बढ़ाने की मांग
  • बिहार को विशेष राज्य दर्जे की मांग

Patna:

कुछ ही महीने में लोकसभा चुनाव होने वाला है. वहीं, देश के पांच राज्यों में भी विधानसभा चुनाव को लेकर घोषणा हो चुकी है. इस बीच बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने विशेष मांग कर दी है. इसे चुनाव से पहले का कार्ड कहा जा रहा है. दरअसल, सदन में बोलते हुए पहले तो बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग एक बार फिर से उठाई गई. इसी के साथ कहा कि अगर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिल जाए, तो बिहार कम समय में विकास करेगा.

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पिछड़े और अतिपिछड़ों के लिए आरक्षण बढ़ाने की मांग

इतना ही नहीं जातीय जनगणना के आंकड़ों के आधार पर सदन में सीएम ने आरक्षण बढ़ाने की भी मांग कर दी. बता दें कि जातीय गणना की रिपोर्ट सामने आने के बाद से ही बिहार में आरक्षण प्रतिशत बढ़ाने की मांग की जा रही थी. इस बीच सदन में सीएम ने ही आरक्षण की मांग कर दी. मंगलवार को विधानसभा में जो प्रस्ताव दिए, वह अगर फाइनल हो गया तो बिहार की सरकारी नौकरियों में अनारक्षित वर्गों के लिए महज 25 प्रतिशत ही सीटें बचेंगी. सरकारी नौकरियों में आरक्षण बढ़ाने से अनारक्षित वर्गों को मुश्किल हो सकती है. नीतीश कुमार ने सदन में कहा कि पिछड़े वर्ग और अतिपिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण बढ़ाना चाहिए. मेरा यह कहना है कि जो 50 प्रतिशत आरक्षण है, उसे बढ़ाकर 65 प्रतिशत कर देना चाहिए. 

जातीय गणना की आर्थिक रिपोर्ट हुई जारी

आपको बता दें कि मंगलवार को जातीय गणना की आर्थिक रिपोर्ट भी जारी की गई. जिसमें बताया गया कि किस जाती के कितने लोग सरकारी नौकरी कर रहे हैं. अगर सवर्णों की बात करें, तो इनमें सबसे ज्यादा नौकरी कायस्थ जाति के लोगों के पास है. सवर्णों में शामिल हिंदू और मुसलमान दोनों ही धर्म के सात जातियां शामिल हैं. हिंदू धर्म के ब्राह्मण, भूमिहार, राजपूत और कायस्थ शामिल है और मुसलमान धर्म के शेख, सैयद और पठान शामिल हैं.