पटना को नीतीश कुमार के अधिकारियों ने डुबाया, जांच रिपोर्ट ने खोली पोल
कमेटी ने जल प्रलय का मुख्य दोषी पूर्व नगर निगम आयुक्त अनुपम सुमन और तात्कालिक बुड्को एमडी अमरेंद्र प्रसाद सिंह को ठहराया है.
पटना:
पिछले साल सितंबर में बिहार की राजधानी पटना (Patna) पानी में डूब गई थी. 27 सितंबर के रात की बारिश और करीब 15 लाख की आबादी प्रभावित हुई. कई इलाकों में तो 20 दिन तक पानी जमा रहा. सरकार की जम कर फ़ज़ीहत हुई और 14 अक्तूबर को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने उच्च स्तरीय बैठक कर इसकी जांच का आदेश दिया था. मुख्य सचिव दीपक कुमार के निर्देश पर चार सदस्यों की कमेटी बनी, जिसमें पथ निर्माण विभाग उप-प्रधान सचिव अमृत लाल मीणा, आपदा प्रबंधन सचिव प्रत्यय अमृत और वित्त सचिव एस. सिद्धार्थ थे. उस कमेटी की अध्यक्षता विकास आयुक्त अरूण कुमार सिंह कर रहे थे.
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अब इस कमेटी ने इस जल प्रलय का मुख्य दोषी पूर्व नगर निगम आयुक्त अनुपम सुमन और तात्कालिक बुड्को एमडी अमरेंद्र प्रसाद सिंह को ठहराया है. पटना नगर निगम और बुड्को के बीच तालमेल नहीं था, जिस कारण राजधानी से पानी की निकासी समय पर नहीं हो सकी. नगर निगम ने सभी नालों की सफाई सही ढंग से नहीं की. सफाई में सिर्फ खानपूर्ति की गयी. जल निकासी के लिए पूर्व से कोई तैयारी नहीं थी. रिपोर्ट आने के बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने नगर विकास विभाग को कार्रवाई की अनुशंसा कर दी है. इन दो अधिकारीयों के अलावा कई और अधिकारी-कर्मचारी इस मामले में दोषी पाए गए हैं.
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इस पूरे जलजमाव के बाद नगर विकास विभाग ने प्रथम दृष्टतया कई लोगों पर कार्रवाई की थी. 11 बुड्को के अधिकारी, जिसमें एक चीफ इंजीनियर, दो सुपरिटेंडेंट इंजीनियर और 7 एक्जिक्यूटिव इंजीनियर पर कार्रवाई हुई. पटना नगर निगम ने दो एक्जिक्यूटिव इंजीनियर, एक सिटी मैनेजर, एयर 6 सेनिटरी इंस्पेक्टर के खिलाफ कार्रवाई की थी, जबकी राज्य सरकार ने तत्कालीन नगर विकास विभाग सचिव का तबादला आई. टी विभाग में कर दिया और बुड्को के एमडी अमरेंद्र प्रसाद सिंह को बिहार राज्य पथ परिवहन में भेज दिया गया. मगर अब रिपोर्ट आई तो दोषियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की भी तैयारी है. खबर ये भी है कि ये रिपोर्ट कमेटी ने 16 दिसंबर को ही सरकार को सौंपी और अब कार्रवाई का इंतजार है, क्योंकि नीतीश कुमार की छवि को इस पानी ने खूब धोया था.
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