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जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल पर सख्त हुई सरकार, 'नो वर्क-नो पे' का सिद्धांत लागू

सरकार अब पीजी छात्रों के कार्य बहिष्कार की अवधि में उनके स्टाइपेंड से 'नो वर्क-नो पे' के सिद्धांत के आधार पर कटौती करने का आदेश दिया है.

Updated on: 26 Dec 2020, 09:09 AM

पटना:

बिहार में सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल को लेकर अब सरकार सख्त हो गई है. सरकार अब पीजी छात्रों के कार्य बहिष्कार की अवधि में उनके स्टाइपेंड से 'नो वर्क-नो पे' के सिद्धांत के आधार पर कटौती करने का आदेश दिया है. उल्लेखनीय है कि राज्य के सभी सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों के करीब 1,000 जूनियर डॉक्टर तीन दिनों से स्टाइपेंड बढ़ाने की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं, जिससे राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है.

इधर, सरकार अब इस हड़ताल को लेकर सख्त हो गई है. स्वास्थ्य विभाग के अपर सचिव कौशल किशोर ने सभी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों के प्राचार्य और अधीक्षकों को आदेश जारी कर कहा है कि पीजी छात्रों के कार्य बहिष्कार की अवधि में उनके स्टाइपेंड से 'नो वर्क-नो पे' के सिद्धांत के आधार पर कटौती की जाए. आदेश में लिखा गया है कि यदि किसी पीजी छात्र द्वारा ओपीडी, ऑपरेशन, इमरजेंसी इत्यादि किसी भी अनिवार्य चिकित्सीय सेवा को बाधित किया जाता है, तो उनके विरूद्घ वांछित कानूनी कार्रवाई की जाए.

जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल से राज्य के सभी नौ सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. कई मरीज इलाज के अभाव में लौट रहे हैं, कई ऑपरेशन की तिथि टाल दी गई है. पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल के जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन (जेडीए) के अध्यक्ष डॉ. हरेंद्र कुमार ने कहा कि जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल उनकी मांगें पूरी होने तक जारी रहेगी. 

उन्होंने कहा कि सरकार ने ही जेडीए को भरोसा दिलाया था कि प्रत्येक तीन वर्ष पर उनकी स्टाइपेंड में बढ़ोतरी की जाएगी. इस आदेश के अनुसार, इस साल के जनवरी महीने में ही स्टाइपेंड में वृद्धि हो जानी चाहिए थी, लेकिन अब तक वृद्धि नहीं हुई.