बिहार में शराबबंदी को लेकर एक्शन मोड में सरकार, आखिर कितना बदला बिहार..?
बिहार में शराब का सेवन और व्यापार करना गैर कानूनी है, इससे देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया जानती है। बिहार में शराबबंदी के 6 साल से ज्यादा वक्त हो चुके हैं। इसके बावजूद आए दिनों हर रोज बिहार में शराब के कई पेटी जब्त की जाती है।
नई दिल्ली:
बिहार में शराब का सेवन और व्यापार करना गैर कानूनी है, इससे देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया जानती है। बिहार में शराबबंदी के 6 साल से ज्यादा वक्त हो चुके हैं। इसके बावजूद आए दिनों हर रोज बिहार में शराब के कई पेटी जब्त की जाती है। बिहार में शराब को रोकने के लिए राज्य सरकार ने बकायदा टॉल फ्री नंबर जारी कर रखी है। शराब की सूचना देने के लिए बीते साल टॉल फ्री नंबर 18003456268/15545 जारी की गई थी।
मद्य निषेध, निबंधन एवं उत्पाद विभाग केके अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने कहा था कि टोल फ्री नंबर पर कॉल कीजिए और आधे घंटे में शराब पर एक्शन देखिए। 16 नवंबर 2021 को हुई समीक्षा बैठक के बाद से तिरहुत प्रमंडल के जिलों में शराब कारोबारियों पर की गयी कार्रवाई की जिलेवार समीक्षा की गई थी। बीते दिनों बिहार पुलिस मुख्यालय ने मद्यनिषेद प्रभाग द्वारा चलाए गए विशेष छापेमारी अभियान में अर्जित सफलताओं के संदर्भ में एक पूरक प्रेस विज्ञप्ति जारी की है।
पूरक प्रेस विज्ञप्ति
— Bihar Police (@bihar_police) June 27, 2022
वर्ष 2022 में जनवरी माह से मई माह तक विभिन्न जिलों एवं बिहार पुलिस के मद्यनिषेध प्रभाग द्वारा चलाए गए विशेष छापामारी अभियान में अर्जित सफलताओं के सम्बन्ध में। #bihar_police pic.twitter.com/tbOuphUIjG
मद्यनिषेद अभियान में छापामारी हेतु प्रयोग किये जाने वाले शवानों में कुल 12 कार्यरत हैं जबकि 8 प्रशिक्षण में हैं। वहीं मद्यनिषेद अभियान में छापामारी हेतु कुल 12 ड्रोन कार्यरत हैं। मद्यनिषेद अभियान में छापामारी हेतु गठित ALTF (Anti Liquor Task Force) की संख्या 223 हैं।
इस साल यानी 2022 में जनवरी से मई माह तक शराब बरामदगी के मामले में शीर्ष 5 जिलों का ब्यौरा दिया गया है। सबसे ज्यादा पटना में 1 लाख 36 हजार 485 लीटर शराब, तो वहीं वैशाली में 89 हजार 944 लीटर शराब बरामदगी की गई। इस दौरान समस्तीपुर में 75 हजार 688 लीटर तो सारण और औरंगाबाद में क्रमशः 75 हजार 294 लीटर और 69 हजार 327 लीटर शराब बरामद हुए।
इस साल जनवरी से मई माह के दौरान गिरफ्तारी के मामले में शीर्ष 5 जिलों का ब्यौरा जारी किया गया है। सबसे ज्यादा पटना में कुल 4580 लोग गिरफ्तार हुए हैं , तो वहीं मुजफ्फरपुर और सारण में क्रमशः 3045 और 3005 गिरफ्तारी हुई। इस दौरान मोतिहारी में 2293 लोग शराब के मामले में गिरफ्तार हुए तो वहीं गोपालगंज में 1849 गिरफ्तारी हुई।
बिहार पुलिस मुख्यालय के मुताबिक, विभिन्न जिलों में मद्यनिषेद प्रभाग द्वारा निरंतर चलाए जा रहे अभियान के तहत इस साल जनवरी से मई माह तक विभिन्न जिलों में कुल 36 हजार 120 प्राथमिकी दर्ज की गई। इस दौरान विभिन्न जिलों में कुल 5 लाख 72 हजार 115 लीटर शराब की बरामदगी की गई। वहीं कुल 47,249 लोग इस अभियान में गिरफ्तार किए गए। इस 5 माह के दौरान कुल 5 हजार 634 वाहनों को जब्त किया गया।
बिहार में कब से शुरू हुई शराबबंदी
साल 2015 में नीतीश कुमार भारतीय जनता पार्टी से अलग होकर राष्ट्रीय जनता दल के साथ महागठबंधन के साथ चुनाव लड़े थे. उस वक्त पुरुषों की शराब की लत से परेशान महिलाओं ने पारिवारिक कलह, घरेलू हिंसा, शोषण व गरीबी का हवाला देते हुए राज्य में शराबबंदी की मांग की थी. नीतीश कुमार ने वादा किया कि अगर वे फिर सत्ता में आए तो शराबबंदी लागू कर देंगे. नीतीश विजयी हुए और सत्ता में लौटते ही राज्य में शराबबंदी की घोषणा कर दी. 5 अप्रैल, 2016 को बिहार देश का ऐसा पांचवां राज्य बन गया जहां शराब के सेवन और जमा करने पर प्रतिबंध लग गई. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश के बाद बिहार में शराब पर प्रतिबंध बिहार निषेध एवं आबकारी अधिनियम के तहत लागू किया गया जो 5 अप्रैल 2016 से शुरू हुआ.
यह क़ानून कहता है, ''कोई भी व्यक्ति किसी भी नशीले पदार्थ या शराब का निर्माण, वितरण, परिवहन, संग्रह, भंडार, ख़रीद, बिक्री या उपभोग नहीं कर सकता है.'' क़ानून का उल्लंघन करने पर कम से कम 50,000 रुपये जुर्माने से लेकर 10 साल तक की सज़ा का प्रावधान है.
ऐसे मामले जिनमें कोई निर्माता या सप्लायर अवैध शराब किसी को देता है और उसे पीने से किसी की मौत हो जाती है तो उसमें मौत की सज़ा का प्रावधान भी है. प्रतिबंध की अवज्ञा पर सख्त सजा के प्रावधान किए गए.
शराबबंदी का असर
सबसे बड़ा बोझ राज्य के राजस्व पर पड़ा. शराबबंदी की वजह से बिहार को हर साल 4,000 करोड़ रुपये से अधिक के राजस्व का नुक़सान हो रहा है. साल 2005 से 2015 के बीच राज्य में शराब की दुकानें दोगुनी हो गई थीं. 2004-05 में लालू प्रसाद यादव की सरकार के दौरान शराब से आने वाला जो राजस्व 272 करोड़ था वह 2013-14 में 3,300 करोड़ रुपये हो गया था. राज्य सरकार ने तब कहा था कि वह इसकी भरपाई के लिए वित्त और संसाधनों का बेहतर प्रबंधन करेगी.
साल 2016 में जिस साल शराबबंदी लागू हुई उस साल महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध के कम मामले आए लेकिन उसके बाद के सालों में महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध के मामले तेज़ी से बढ़ते चले गए. महिलाओं के ख़िलाफ़ होने वाले कुल अपराधों में बिहार का प्रतिशत 2016 में घटकर 4 फ़ीसदी हुआ लेकिन फिर वह 2019 में बढ़कर 4.6 फ़ीसदी पर पहुंच गया. मई 2016 में पुलिस की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक, पुलिस की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल के शुरू में राज्य में पूर्ण शराब बंदी लागू होने के बाद अपराध दर में करीब 27 प्रतिशत की कमी आयी. लेकिन बिहार में शराबबंदी के बावजूद साल दर साल अपराध का ग्राफ बढ़ता ही गया, जिस पर नियंत्रण करना बिहार सरकार और प्रशासन के लिए चुनौती साबित हो रहा है।
साल 2015
- रेप के कुल मामले- 1041
- हत्या के कुल मामले- 3178
- अपहरण के कुल मामले- 7127
साल 2016
- रेप के कुल मामले- 1008
- हत्या के कुल मामले- 2581
- अपहरण के कुल मामले- 7324
साल 2017
- रेप के कुल मामले- 1198
- हत्या के कुल मामले- 2803
- अपहरण के कुल मामले- 8972
साल 2018
- रेप के कुल मामले- 1475
- हत्या के कुल मामले- 2933
- अपहरण के कुल मामले- 10310
साल 2019
- रेप के कुल मामले- 1450
- हत्या के कुल मामले- 3138
- अपहरण के कुल मामले- 10925
साल 2020 (As on November)
- रेप के कुल मामले- 1330
- हत्या के कुल मामले- 2899
- अपहरण के कुल मामले- 7194
देश में शराब पीने वालों की तादाद
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस), 2020 की रिपोर्ट के मुताबिक, ड्राई स्टेट होने के बावजूद बिहार में महाराष्ट्र से ज्यादा लोग शराब पी रहे हैं. बिहार में 15.5 प्रतिशत पुरुष शराब का सेवन करते है. बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में 15.8 प्रतिशत और शहरी इलाकों में 14 फीसदी लोग शराब पीते हैं. महाराष्ट्र में शराब प्रतिबंधित नहीं है लेकिन शराब पीने वाले पुरुषों की तादाद 13.9 फीसदी है. महिलाओं के मामले में बिहार के शहरी इलाके की 0.5 प्रतिशत व ग्रामीण क्षेत्रों की 0.4 फीसदी महिलाएं शराब पीती हैं.
Alcohol consumption among men age 15+ by states/UTs of India, 2019-20.
Men age 15 years and above who consume alcohol (%)
- गुजरात में कुल 5.8 फीसदी लोग शराब पीते हैं.
- जम्मू कश्मीर में 8.8 फीसदी लोग शराब पीते हैं.
- महाराष्ट्र में 13.9 पीसदी लोग शराब पीते हैं.
- बिहार में 15.5 फीसदी लोग शराब पीते हैं.
- कर्नाटक में 16.5 पीसदी लोग शराब पीते हैं.
- पश्चिम बंगाल में 18.1 फीसदी लोग शराब पीते हैं.
- केरल में 19.9 फीसदी लोग शराब पीते हैं.
- आंध्र प्रदेश में 23.3 फीसदी लोग शराब पीते हैं.
- असम में 25.1 पीसदी लोग शराब पीते हैं.
- तेलंगाना में 43.3 फीसदी लोग शराब पीते हैं.
- हिमाचल प्रदेश में 31.9 फीसदी लोग शराब पीते हैं.
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