नीतीश सरकार का बड़ा फैसला, मंदिरों को भी देना होगा टैक्स
बिहार सरकार बड़ा कदम उठाने जा रही है. सरकार अब मंदिरों से भी टैक्स वसूलेगी. इसके लिए धार्मिक न्यास बोर्ड के नए फैसले के अनुसार हर मंदिर का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया गया है.
नई दिल्ली:
बिहार की नीतीश सरकार बड़ा कदम उठाने वाली है. सरकार अब मंदिरों से भी टैक्स वसूलने की तैयारी कर रही है. मंदिरों से टैक्स वसूलने के लिए नीतीश सरकार ने रजिस्ट्रेशन करने का आदेश जारी कर दिया है. अब आपके घर में मंदिर बना है, और बाहरी लोग भी पूजा करने आते हैं, तो उस मंदिर को सार्वजनिक माना जाएगा. आपको बता दें कि धार्मिक न्यास बोर्ड के नए फैसले के अनुसार हर मंदिर का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया गया है.
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कहा जा रहा है कि अब मंदिरों को चार प्रतिशत टैक्स चुकाना पड़ेगा. जब आप मंदिरों का रजिस्ट्रेशन करा लेंगे तो मंदिर का संचालन न्यास बोर्ड के नियमों के अनुसार होने लगेगा. इसके साथ ही आपको चार प्रतिशत टैक्स देना होगा. बोर्ड ने सभी जिलों के डीएम से रजिस्टर्ड मंदिरों की लिस्ट मांगी है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार भोजपुर ने यह लिस्ट जारी की है.
आपको बता दें कि बोर्ड का कहना है कि बिहार में 46 सौ रजिस्टर्ड मंदिर हैं. अभी ये ही मंदिर टैक्स भरते हैं. जबकि बिहार में बड़े संख्या में छोटे-बडे कई अन्य प्रमुख मंदिर भी हैं. इन मंदिरों का रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है और न ही ये टैक्स भरते हैं. बिहार धार्मिक न्यास बोर्ड का कहना है कि अब बिहार के हर मंदिर को रजिस्ट्रेशन कराना होगा. यदि लोग वहां दर्शन करने आते हैं तो चार प्रतिशत टैक्स भरना होगा. वैसे सभी मंदिर जो किसी के घर के अंदर बने हों और यदि वहां बाहरी लोग भी वहां बड़ी संख्या में पूजा-पाठ करने आते हों तो सरकार के अनुसार उसे सार्वजनिक मंदिर कहा जायेगा.
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बिहार के राज्य धार्मिक न्यास पर्षद के अध्यक्ष एके जैन की मानें तो राज्य में अभी तक 4,600 मंदिरों का रजिस्ट्रेशन हुआ है. इसके अलावा भी प्रदेश में कई प्रमुख मंदिर हैं, जिनका रजिट्रेशन नहीं हुआ है. इसके अलावा कुछ बडे मंदिर, रजिस्ट्रेशन के बाद भी बोर्ड को नियमित टैक्स नहीं दे रहे हैं. आपको बता दें कि पहले से रजिस्टर्ड मंदिरों की जमीन के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए सभी डीएम को विधि मंत्रालय की ओर से चिट्ठी लिखी गई है.
सूत्रों की मानें तो बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड की अपनी आर्थिक स्थिति बेहतर नहीं है. यही कारण है कि अब निजी मंदिरों को सार्वजनिक कर टैक्स लगाने की तैयारी है.
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