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निर्भया के दोषियों को बक्सर जेल में बने फंदे से दी जा सकती है फांसी

दिल्ली के बहुचर्चित निर्भया सामूहिक दुष्कर्म मामले के चार दोषियों को फांसी पर लटकाने के लिए बिहार के बक्सर जेल में बने फंदों को इस्तेमाल किया जा सकता है. दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले के दो

Updated on: 09 Jan 2020, 11:49 AM

पटना:

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के बहुचर्चित निर्भया सामूहिक दुष्कर्म मामले के चार दोषियों को फांसी पर लटकाने के लिए बिहार के बक्सर जेल में बने फंदों को इस्तेमाल किया जा सकता है. दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले के दोषियों में से चार को 22 जनवरी की सुबह 7 बजे तिहाड़ जेल में फांसी देने का हुक्म दिया था. बक्सर जेल अधीक्षक विजय कुमार अरोड़ा ने न्यूज एजेंसी भाषा को फोन पर बताया कि उन्हें जेल निदेशालय से 14 दिसंबर तक 10 फांसी का फंदा तैयार करने के निर्देश मिले थे. हमें नहीं पता कि ये कहां इस्तेमाल होने जा रहे हैं.

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बक्सर जेल अधीक्षक ने कहा, 'बक्सर जेल में फांसी के फंदे के निर्माण की एक लंबी परंपरा रही है. फांसी का फंदा बनाने में तीन दिन लगता है और इसमें 7200 कच्चे धागे का इस्तेमाल किया जाता है . इसके लिए पांच-छह कैदी काम करते हैं तथा इसका लट तैयार करने में मोटर चालित मशीन का भी उपयोग किया जाता है.' अरोड़ा ने कहा, 'संसद हमले के मामले में अफजल गुरु को मौत की सजा देने के लिए इस जेल में तैयार किए गए फांसी के फंदे का इस्तेमाल किया गया था. 2016-17 में हमें पटियाला जेल से आदेश मिले थे, हालांकि हम यह नहीं जानते कि किस उद्देश्य के लिए तैयार करवाया गया था.'

उन्होंने बताया कि पिछली बार जब यहां से फांसी के फंदे की आपूर्ति की गई थी, तब एक की कीमत 1725 रुपये थी. इस बार हमें फांसी के 10 फंदे तैयार करने के निर्देश प्राप्त हुए हैं, जिनकी कीमतों में इजाफा हो सकता है, क्योंकि उसमें इस्तेमाल होने वाले पीतल के बुश की कीमत बढ़ गई है और यही बुश गर्दन पर फंसता है.

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उल्लेखनीय है कि 23 साल की पारामेडिक छात्रा निर्भया के साथ 16-17 दिसंबर की रात 2012 में दक्षिणी दिल्ली क्षेत्र में एक चलती बस में सामूहिक दुष्कर्म किया गया था. बाद में 29 दिसंबर, 2012 को सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में निर्भया की मौत हो गई थी. गौरतलब है कि अदालत ने जिन चार लोगों को फांसी पर लटकाने का हुक्म दिया है, उनमें से एक अक्षय ठाकुर बिहार के औरंगाबाद का रहने वाला है, जो बस में क्लीनर था.