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बेगूसराय शूटआउट पर नया मोड़, राजनीतिक लड़ाई 'जाति' पर आई

बेगूसराय में हुए शूटआउट ने बिहार को दहला दिया है.

Updated on: 15 Sep 2022, 04:23 PM

Begusarai:

बेगूसराय में हुए शूटआउट ने बिहार को दहला दिया है. एक तरफ घटना के दो दिन बाद भी अपराधी पुलिस की गिरफ्त में नहीं आए हैं तो वहीं दूसरी तरफ इस मामले ने सियासी तूल पकड़ लिया है और बयानबाजी तेज हो गई है. BJP और JDU एक दूसरे पर हमलावर हो गई है. वहीं, इस घटना को लेकर शुरू हुई राजनीतिक लड़ाई अब 'जाति' पर आ गई है. बिहार में इन दिनों अपराधियों का जोश हाई है. सरकार बदलते ही मानो अपराधियों के हौसले बुलंद हो गए हो. इसी का नतीजा है कि मंगलवार को 4 बदमाशों ने 2 बाइकों पर सवार होकर शहर को अपने खेल का मैदान समझ लिया और जहां मन चाहा वहां गोली चलाते गए. वारदात का असर कुछ ऐसा हुआ जिसने लोगों को सड़कों पर निकलने से पहले एक बार सोचने पर मजबूर कर दिया, लेकिन फिर सवाल उठता है जिस पुलिस पर लोगों की सुरक्षा का जिम्मा है. वो पुलिस वारदात के समय कहां मौजूद थी.

बेगूसराय में इतनी बड़ी वारदात हुई तो सरकार पर सवाल उठना भी लाज्मी है. मामले की गंभीरता को देखते हुए नीतीश सरकार भी एक्टिव हुए और अधिकारियों से मामले की रिपोर्ट मांगी गई. साथ ही पूरी वारदात में साजिश होने से भी इनकार नहीं किया. नीतीश कुमार ने कहा कि जिन पुलिसकर्मियों के ऊपर पेट्रोलिंग की जिम्मेवारी थी उन्होंने सही ढंग से काम नहीं किया. इसीलिए उन लोगों को सस्पेंड किया गया है. साथ ही मुख्यमंत्री ने बिहार में बढ़ते अपराध पर सीएम नीतीश हमलावर है. सीएम नीतीश ने बीजेपी पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने बीजेपी पर सरकार को बदनाम करने का आरोप लगाते हुए कहा कि बिहार में 1 महीने में इतना अपराध क्यों बढ़ गया है. वहीं, सीएम ने लोगों से सचेत रहने की अपील की.

वहीं, बीजेपी भी इस पूरे मामले पर सरकार को घेरती दिख रही है और जोर शोर से बिहार में जंगलराज लौटने का डंका पीट रही है. इतना ही नहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साजिश वाले बयान को लेकर बीजेपी सांसद सुशील मोदी ने पलटवार किया है. उन्होंने कहा कि सीएम का बयान आपत्तिजनक है. मामले को जातीय रंग देने की कोशिश की गई है.

एक तरफ सियासी वार पलटवार जारी है. दूसरी तरफ अपराधी 2 दिन बाद भी पुलिस की गिरफ्त से दूर है और अब सीएम नीतीश के बयान के बाद पुलिस की खुफिया रिपोर्ट में पीड़ितों की जाति भी बताई गई है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल तो उस पुलिसिया सिस्टम पर उठता है जो वारदात के समय गायब था और उन अधिकारियों पर भी सवाल खड़े होते हैं, जिनको हाथों में इस सिस्टम की कमान है. कहने को तो 7 पुलिसकर्मी सस्पेंड कर दिए गए हैं, लेकिन बड़ा सवाल ये है कि कब इस वारदात में शामिल अपराधी गिरफ्तार होंगे और क्या बिहार में पुलिसिया तंत्र इतना कमजोर हो गया है कि 2 दिन बाद भी कानून के हाथ खाली है.