बिहार में खाता खोलने के लिए ताल ठोंकेगे 'नए दल'
इस चुनाव में कई ऐसे दल भी ताल ठोंकते नजर आएंगे जिनका खाता अभी विधानसभा में खुलना शेष है.
पटना:
चुनाव आयोग द्वारा बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Elections 2020) की तारीख घोषित होने के बाद यह तय है कि चुनावी दंगल में मुख्य मुकाबला सतारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (RJD) और विपक्षी दलों के राजद नेतृत्व वाले गठबंधन में होना है. हालांकि अब तक इन दोनों गठबंधनों का आकार पूरी तरह स्पष्ट नहीं है. इस चुनाव में कई ऐसे दल भी ताल ठोंकते नजर आएंगे जिनका खाता अभी विधानसभा में खुलना शेष है. इसमें वामदल (Left) जैसी पार्टी भी शामिल है, जिन्हें पिछले कुछ चुनावों में बहुत कम सीटों पर संतोष करना पड़ा है. इसके अलावा, कई ऐसी पार्टियां भी इस चुनाव में मतदाताओं के सामने होंगी, जिनके निजाम दूसरे दलों में थे और अब खुद की पार्टी बना ली है.
जन अधिकार पार्टी, विकासशील इंसान पार्टी, जनता दल (राष्ट्रवादी), जनतांत्रिक विकास पार्टी (जविपा) सहित कई ऐसी पार्टियां हैं जिनकी प्राथमिकता बिहार विधानसभा में खाता खोलने की है. पूर्व सांसद पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी इस चुनाव में 150 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुकी है. इसमें कोई शक नहीं कि पूर्व में राजद के नेता रहे पप्पू यादव की बिहार के कई क्षेत्रों में अपनी पहचान है. कहा तो यहां तक जा रहा है कि पिछले पांच सालों में किए गए परिश्रम का लाभ भी उन्हें कुछ क्षेत्रों में मिलेगा, लेकिन कुछ लोगों के भरोसे को वे सीटों में कैसे तब्दील करेंगे यह देखने वाली बात है. इधर, पप्पू यादव कहते भी हैं कि सत्ता पक्ष और विपक्ष से बिहार की जनता परेशान है और वह विकल्प के रूप में सामने हैं.
इधर, जविपा प्रमुख अनिल कुमार भी इस चुनाव में 150 सीटों पर अपने प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारने की घोषणा की है. जविपा का बक्सर, भोजपुर और रोहतास जिले में जनाधर माना जाता है. जविपा के अध्यक्ष अनिल कुमार कहते हैं कि बिहार में जो विकास का दावा किया जाता रहा है, उसकी पोल इस कोरोना काल में खुल गई है और इसी कथित विकास का जनता जवाब मांगने को तैयार है. राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के साथ रहे पूर्व सांसद रंजन यादव इस चुनाव में जनता दल (राष्ट्रवादी) पार्टी बनाकर चुनावी मैदान में है. शुक्रवार को कृषि विधेयकों के विरोध में सड़कों पर उतरकर पार्टी के कार्यकर्ता अपनी ताकत दिखा चुके हैं.
पार्टी के संयोजक अश्फाक रहमान बताते हैं कि उनकी पार्टी यूनियन डेमोक्रेटिक अलायंस के घटक दल के रूप में चुनाव मैदान में उतर रही है, जो लोगों को एक विकल्प के रूप में जनता के बीच जा रही है. वामपंथी पार्टियों की हालत भी बिहार में बेहतर नहीं मानी जाती है. पिछले चुनाव में वामपंथी दलों को मात्र तीन सीटों पर संतोष करना पडा था. इस चुनाव में वामपंथी दल विपक्षी दलों के महागठबंधन के साथ चुनाव मैदान में आने की तैयारी में है. हालांकि अब तक तस्वीर साफ नहीं हुई है. वैसे वामपंथी दल इस चुनाव में अपनी सीट को बढ़ाने को लेकर आतुर नजर आ रही है.
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