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कृषि कानून अन्नदाताओं का हक छीनकर उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने वाले : कांग्रेस

बिहार में विपक्षी दलों के महागठबंधन में शामिल कांग्रेस ने गुरुवार को हाल के दिनों के केंद्र सरकार के बनाए गए कृषि कानूनों को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा.

Updated on: 25 Dec 2020, 10:38 AM

भागलपुर:

बिहार में विपक्षी दलों के महागठबंधन में शामिल कांग्रेस ने गुरुवार को हाल के दिनों के केंद्र सरकार के बनाए गए कृषि कानूनों को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा. कांग्रेस का आरोप है कि केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानून देश के अन्नदाताओं का हक छीनकर उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए हैं. बिहार युवक कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और हाल में हुए विधानसभा चुनाव में सुल्तानगंज से महागठबंधन के प्रत्याशी ललन कुमार ने सुल्तानगंज में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र की राजग सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानून के खिलाफ करोड़ों किसान कंपकंपाती ठंड में जीविका बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं.

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उन्होंने आरोप लगाया कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने के साथ हैं. उन्होंने कहा कि बिहार में महागठबंधन अन्नदाता किसानों के साथ चट्टानी एकता के साथ खड़ा है. ललन कुमार ने कहा कि, "सरकार कह रही है कि निजी क्षेत्र के आने से किसानों को लंबे समय में फायदा होगा. यह दीर्घकालिक नीति है तो सबसे बड़ा उदाहरण तो हमारा राज्य बिहार है, जहां की सरकार ने मंडी व्यवस्था को 2006 में ही खत्म कर दिया था."

उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि आज बिहार को इससे क्या लाभ हुआ. उन्होंने कहा कि बिहार में कितना निवेश आया? किसानों को क्यों आज सबसे कम दाम पर फसल बेचनी पड़ रही है ?

उन्होंने कहा कि वर्ष 2020 में बिहार में गेहूं के कुल उत्पादन का मात्र एक प्रतिशत ही सरकारी खरीद हो पाई. पंजाब में धान की एमएसपी 1883 रुपए प्रति क्विंटल है, जबकि बिहार में कोई धान को 1200 क्विंटल तक में खरीदने को तैयार नहीं है.

उन्होंने सरकार से तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए कहा कि किसानों के आंदोलन के साथ महागठबंधन के नेता अंतिम समय तक हैं. इस संवाददाता सम्मेलन में महागठबंधन के कई नेता उपस्थित रहे.