Navratri 2023: तीन सौ साल पुराना है बिहार का यह मंदिर, यहां माता भगवती करती हैं भक्तों की मनोकामना पूरी

नवरात्रि का पवित्र महीना चल रहा है, इसी बीच गोपालगंज जिले से भक्तों के लिए अच्छी खबर आई है, जहां जो भक्त माता के दरबार में जाकर अपनी मनोकामना मांगते हैं, कहा जाता है कि माता रानी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं.

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Ritu Sharma
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Thawe Temple in Bihar

बिहार का यह मंदिर( Photo Credit : News State Bihar Jharkhand)

Bihar Famous Mata Durga Temple: नवरात्रि का पवित्र महीना चल रहा है, इसी बीच गोपालगंज जिले से भक्तों के लिए अच्छी खबर आई है, जहां जो भक्त माता के दरबार में जाकर अपनी मनोकामना मांगते हैं, कहा जाता है कि माता रानी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं. बता दें कि मां दुर्गा का मंदिर गोपालगंज जिला मुख्यालय से छह किलोमीटर दूर सीवान-गोपालगंज मुख्य मार्ग पर स्थित है. यह लगभग तीन सौ वर्ष पूर्व स्थापित जागृत प्राचीन शक्तिपीठों में से एक है. हर साल नवरात्रि के दौरान न सिर्फ बिहार बल्कि सीमावर्ती उत्तर प्रदेश और नेपाल से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं और देवी मां के दर्शन करते हैं. बता दें कि यहां प्राचीन काल से ही देवी मां की पूजा की जाती है. कहा जाता है कि, ''भक्त की पुकार पर मां भगवती यहां प्रकट हुई थीं. इसलिए कहा जाता है कि थावे दुर्गा मंदिर में पूजा करने से भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है.''

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मंदिर पहुंचने का रास्ता है आसान

आपको बता दें कि, ''जिला मुख्यालय से थावे के लिए प्रत्येक पांच मिनट पर ऑटो और बस की सुविधा है. इसके अलावा थावे जंक्शन पर पटना, सिवान, गोरखपुर, टाटा और लखनऊ से आने के लिए ट्रेन की सुविधा भी है. वहीं, कुछ ट्रेनें मंदिर के पास स्थित देवी हॉल्ट पर भी रुकती हैं, तो अगर आप इस मंदिर के दर्शन करना चाहते हैं और देवी मां का आशीर्वाद पाना चाहते हैं तो इस रास्ते से आप जा सकते हैं.''

सप्तमी और अष्टमी को इस मंदिर होती है विशेष पूजा

यहां पूरे वर्ष में दिन में दो बार माता की आरती की जाती है, केवल नवरात्रि को छोड़कर अन्य दिनों में रात्रि आरती के बाद मंदिर के कपाट बंद कर दिये जाते हैं. इस नवरात्रि के दौरान कपाट बंद नहीं किये जाते हैं. सप्तमी और अष्टमी को यहां देवी मां की विशेष पूजा की जाती है, जिसमें सप्तमी को महाप्रसाद का वितरण किया जाता है.

इस मंदिर से जुड़ा है खास इतिहास

शक्ति पीठ का इतिहास भक्त रहषु स्वामी और चेरो वंश के क्रूर राजा की कहानी से जुड़ा है. 1714 से पहले यहां चेरो वंश के राजा मनन सेन का साम्राज्य हुआ करता था. बता दें कि इस क्रूर राजा के दबाव डालने पर भक्त रहषु स्वामी की पुकार पर मां भवानी कामरूप कामाख्या से चलकर थावे पहुंचीं थी. जैसे ही वे थावे पहुंचे, राजा मनन का महल खंडहर में बदल गया और भक्त रहषु के सिर से, माँ ने कंगन के साथ अपना हाथ प्रकट किया और राजा को दर्शन दिए. वहीं देवी के दर्शन के साथ ही राजा मनन का जीवन भी पवित्र हो गया, तभी से यहां देवी मां की पूजा होती आ रही है.

मंदिर की है खास विशेषता

आपको बता दें कि ऐतिहासिक थावे दुर्गा मंदिर तीन तरफ से वन क्षेत्र से घिरा हुआ है. वन क्षेत्र से घिरा होने के कारण संपूर्ण मंदिर परिसर रमणीय लगता है. वहीं मंदिर में प्रवेश और निकास के लिए एक-एक द्वार हैं. यहां सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम हैं. मान्यता है कि देवी मां के दर्शन मात्र से ही लोगों की परेशानियां दूर हो जाती हैं.

HIGHLIGHTS

  • तीन सौ साल पुराना है मां भगवती का यह मंदिर
  • यहां पूरी होती है भक्तों की हर मनोकामना
  • बहुत ख़ास है इस मंदिर का रहस्य 

Source : News State Bihar Jharkhand

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