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जयंती विशेष: राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जयंती आज, जानिए जीवन और प्रमुख रचनाओं के बारे में

हिंदी और मैथिली भाषा के राष्ट्रकवि रामधारी सिंह की आज 114वीं जयंती है.

Updated on: 23 Sep 2022, 01:51 PM

Patna:

फावड़े और हल राजदण्ड बनने को हैं, धूसरता सोने से शृंगार सजाती है. दो राह, समय के रथ का घर्घर-नाद सुनो, सिंहासन खाली करो कि जनता आती है. ये पंक्तियां उस कालजयी कवि की है, जिसने अपनी कलम मात्र से सत्ता की चूल को हिला कर रख दिया. हम बात कर रहे हैं आधुनिक युग के सर्वश्रेष्ठ कवियों में शुमार राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की. दिनकर जिसका अर्थ होता है सूर्य. उनके नाम की तरह ही उनकी रचनाएं सूर्य की रोशनी के समान थी. पंक्तियों में ऐसा तेज कि बड़े-बड़े शब्दों के सूरमा भी चुप्पी साध ले. एक प्रगतिवादी और मानववादी कवि के रूप में जाने जाने वाले दिनकर ने अपनी रचनाओं में मानवीय भावनाओं के साथ राष्ट्रभक्ति का तानाबाना दिया. उनकी रचनाएं आज भी कविता प्रेमियों की जुबान है. ऐसे 'काल के चारण' कवि की आज जयंति है. इस मौके पर पूरा देश उन्हें याद कर रहा है.

हिंदी और मैथिली भाषा के राष्ट्रकवि रामधारी सिंह की आज 114वीं जयंती है. रामधारी का जन्म 23 सितंबर 1908 बिहार के मुंगेर में एक किसान परिवार में हुआ था. जब वो दो साल के थे तभी उनके पिता बाबू रवि सिंह निधन हो गया था. इसके बाद उनकी माता मनरूप देवी ने पूरे परिवार की जिम्मेदारी संभाली. परिवार में रामधारी के दो भाई और थे, जिनका नाम केदारनाथ सिंह और रामसेवक सिंह था. दिनकर ने पटना विश्वविद्यालय से इतिहास राजनीति विज्ञान में बीए किया और उनका पत्नी का नाम श्यामावती देवी था.

रामधारी सिंह दिनकर बिहार के बेगुसराय के रहने वाले थे. उन्हें संस्कृत, बांग्ला, अंग्रेजी और उर्दू का भी अच्छा ज्ञान था. पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने अध्यापक के तौर पर नौकरी की. 1943 से 1947 तक बिहार सरकार की सेवा में सब-रजिस्टार हुए और प्रचार विभाग के उपनिदेशक पदों पर काम किया. 1950 से 1952 तक लंगट सिंह कालेज में हिन्दी के विभागाध्यक्ष रहे. भागलपुर विश्वविद्यालय के उपकुलपति के पद पर भी काम किया. इसके बाद भारत सरकार के हिन्दी सलाहकार बने.

दिनकर की महान रचनाओं में रश्मिरथी और परशुराम की प्रतीक्षा शामिल है. उर्वशी को छोड़कर दिनकर की ज्यादातर रचनाएं वीर रस से ओतप्रोत मिलेंगी. उनकी रचनाओं में विद्रोह और क्रांति के सात मानवीय भावनाओं का अनोखा संगम मिलता है. 

दिनकर की प्रमुख रचनाएं
रेणुका
रसवन्ती
कुरुक्षेत्र
धूप छांह
परशुराम की प्रतीक्षा
उर्वशी
सीपी और शंख
चक्रवाल
आत्मा की आँखें
मिट्टी की ओर
रेती के फूल
उजली आग

इसने अलावा भी रामधारी सिंह दिनकर की कई महान रचानाएं है. उनकी भावनाओं से भरे शब्दों का ही कमाल था कि उन्हें कई पुरस्कारों से अलंकृति किया गया. पद्म भूषण, साहित्य अकादमी पुरस्कार, भारतीय ज्ञानपीठ और साहित्य चूड़ामण जैसे पुरस्कार अपने नाम करने वाले ऐसे कालजयी राष्ट्रकवि को उनकी जयंती पर पूरा देश सलाम करता है.