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सांकेतिक तस्वीर Photograph: (Social)
Muzaffarpur News: मुजफ्फरपुर जिले में जमीन की खरीद-बिक्री प्रक्रिया को लेकर लगातार राजस्व चोरी की शिकायतें सामने आती रही हैं. इस गड़बड़ी पर रोक लगाने और व्यवस्था को पारदर्शी बनाने के लिए अब नियमों में बदलाव किए गए हैं. तिरहुत प्रमंडल के सहायक निबंधन महानिरीक्षक (एआईजी) राकेश कुमार ने निर्देश जारी करते हुए साफ कहा है कि अब नगर निकाय क्षेत्र के साथ-साथ आयोजना क्षेत्र की सभी जमीन की खरीद-बिक्री से पहले स्थल जांच (Site Verification) अनिवार्य होगी.
राजस्व चोरी रोकने की पहल
मिली जानकारी के अनुसार, सभी जिला अवर निबंधकों को आदेश जारी कर आयोजन क्षेत्र के मौजों की सूची तैयार करने को कहा गया है. एआईजी की ओर से हाल में की गई जांच में यह पाया गया कि स्थल जांच नहीं होने के कारण कई जमीनें गलत श्रेणी में निबंधित हो गई थीं. इससे सरकार को भारी राजस्व नुकसान हुआ. ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति रोकने के लिए अब हर जमीन की कैटेगरी स्थल जांच के बाद ही तय होगी.
216 गांवों की जमीन पर सख्ती
एआईजी के आदेश के बाद नगर निगम क्षेत्र से सटे लगभग 216 गांवों की जमीन पर यह नियम लागू होगा. इन गांवों की किसी भी जमीन की रजिस्ट्री से पहले अधिकारियों द्वारा स्थल निरीक्षण किया जाएगा. निरीक्षण रिपोर्ट आने के बाद ही यह तय किया जाएगा कि जमीन आवासीय, विकासशील या कृषि श्रेणी की है.
आवासीय जमीन पर गड़बड़ी की शिकायत
आयोजन क्षेत्र में नगर निगम से सटे गांवों की बड़ी संख्या ऐसी है जहां जमीन की श्रेणी आवासीय है. लेकिन रजिस्ट्री के समय इन जमीनों को विकासशील या दो फसला श्रेणी में दर्ज किया जाता रहा है. इस हेरफेर से सरकार को कम राजस्व मिलता है जबकि जमीन की बिक्री बाजार दर से ऊंचे दाम पर होती है. स्थल जांच अनिवार्य होने से अब ऐसी गड़बड़ियों पर रोक लगेगी.
छह प्रखंड शामिल
इस आदेश का प्रभाव मुशहरी, कांटी, कुढ़नी, मड़वन, बोचहां और मीनापुर प्रखंडों के गांवों पर पड़ेगा. इन क्षेत्रों को आयोजना क्षेत्र में शामिल किया गया है. यहां भवन निर्माण के नक्शे पहले से ही नगर निगम की तर्ज पर ऑनलाइन स्वीकृत किए जा रहे हैं. अब रजिस्ट्री प्रक्रिया को भी और कड़ा किया गया है.
पारदर्शिता की ओर कदम
विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम न केवल सरकार की राजस्व आमदनी बढ़ाएगा बल्कि जमीन खरीदने-बेचने वालों को भी पारदर्शी प्रक्रिया का भरोसा देगा. साथ ही गलत श्रेणी में निबंधन कर जमीन मालिकों और खरीदारों को होने वाले विवाद भी कम होंगे.
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