बिहार में इस वक्त चमकी बुखार (Acute Encephalitis Syndrome) से हाहाकार मचा हुआ है. अपने मासूमों को यूं मौत के करीब जाता देख उनके मा-पिता तिल-तिल मर रहे हैं. मुज्फ्फरपुर और आसपास के इलाकों में अब तक 112 बच्चों की मौत हो चुकी है जबकि कई गंभीर रूप से बीमारी है. ये बीमारी लागातार राज्य में अपने पैर पसराते जा रही है लेकिन डॉक्टर अभी भी ये पता नहीं लगा पा रहे कि आखिर ये बीमारी बच्चों में हो क्यों रही है.
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वहीं दूसरी तरफ जिन अस्पतालों में बच्चों को भर्ती कराया जा रहा है उनका हाल भी कुछ खास अच्छा नहीं है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक श्री कृष्णा मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (SKMCH) में मरीज बच्चों के परिजनों ने अस्पताल में बार-बार बीजली जाने की शिकायत की है. परिजनों का कहना है कि अस्पताल में दूसरी कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है. बच्चे गर्मी से रो रहे हैं. उन्हें बच्चों की हाथ वाले पंखों से हवा करनी पड़ रही है.
लेकिन अस्पताल में ये परेशानी केवल बीजली जाने तक सीमित नहीं है, बल्कि ये समस्या अस्पतालों में बेडों को लेकर भी है. SKMCH अस्पताल में बेडों की संख्या कम होने की वजह से कई बच्चों को फर्श पर ही गद्दे बिछाकर लिटाया जा रहा है. इसके अलावा अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी की बात भी सामने आ रही है.
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इन सब खबरों के बाद और मासूमों पर मंडरा रहे मौत के खतरे को देखते हुए भी अस्पतालों में उचित इंतजाम नहीं किए जा रहे हैं. राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 18 जून को यानी इस बीमारी के फैलने के 18 दिन बाद मुज्जफरपुर का दौरा किया. इस दौरान वहां पर लोगों ने जमकर उनका विरोध किया. लोगों ने नीतीश वापस जाओं के नारे लगाए. बच्चों की मौत से बिखरे और नाराज लोगों ने नीतीश मुर्दाबाद और हाय-हाय के नारे भी लगाए.
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वहीं दौरे के बाद नीतीश कुमार ने कहा कि अस्पताल को 2500 बेड वाला अस्पताल (वर्तमान में 610 वाला वेड है) बनाने के लिए निर्देश दिए गए हैं. 1500 बेड की व्यवस्था पहले चरण यानी तुरंत की जाएगी. इसके अलावा रिश्तेदारों और परिवारों के लिए एक 'धर्मशाला' भी बनाई जाएगी.