बिहार के 13 जिलों में पिछले महीने आई बाढ़ से हुई क्षति की भरपाई के लिए राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से 2700 करोड़ रुपये की मांग की है. बिहार के मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, सीतामढ़ी, शिवहर, दरभंगा, मधुबनी, सहरसा, सुपौल, पूर्णिया, किशनगंज, अररिया और कटिहार जिले बाढ़ से प्रभावित हुए थे. इन जिलों के खेतों में लगी फसलें बर्बाद हो गईं, तो सड़कों और कई सरकारी भवनों को भी नुकसान पहुंचा है.
आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने शनिवार को बताया कि "प्रारम्भिक सर्वे के बाद सभी विभागों की ओर से नुकसान का आंकलन किया गया है. विभागों से मिली रिपोर्ट के बाद केंद्र सरकार को ज्ञापन सौंपा गया है, जिसमें लगभग 2700 करोड़ रुपये की मांग की गई है."
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ज्ञापन में केंद्र सरकार से नुकसान के आंकलन के लिए जल्द केन्द्रीय टीम भेजने का भी आग्रह किया गया है. संभावना जताई जा रही है कि जल्द ही केन्द्रीय टीम प्रभावित जिलों का दौरा करेगी और अपने स्तर से बाढ़ से हुई क्षति का जायजा लेगी.
बाढ़ प्रभावित इलाकों में लोगों के खातों में छह-छह हजार रुपये दिए जाने के मद में केंद्र सरकार से 1555 करोड़ रुपये की मांग की गई है. सरकार का दावा है कि बाढ़ प्रभावित प्रत्येक परिवार को सरकार ने छह-छह हजार रुपये खाते में दिए हैं. मौत होने पर मृतक के परिजनों को चार-चार लाख रुपये भी दिए गए हैं. मकान को नुकसान पहुंचने पर भी सहायता देने का प्रावधान है. इन सभी को मिलाकर मुफ्त सहाय्य मद में 1555 करोड़ रुपये की मांग की गई है.
राज्य सरकार के प्रारंभिक आंकलन के मुताबिक, इस साल आई बाढ़ से ढाई लाख हेक्टेयर में लगी फसलें नष्ट हो गईं. इसके अलावा कुछ जगहों पर खेत में बालू की मोटी परत जम गई है. बालू हटाए बिना खेती नहीं हो पाएगी. कृषि विभाग ने किसानों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए 353 करोड़ रुपये की मांग की है.
बाढ़ से हुई क्षति के आंकलन के मुताबिक, राज्य में 3004 ग्रामीण सड़कों को नुकसान हुआ है. इसके अलावा राष्ट्रीय राजमार्ग, राजकीय राजपथ सड़कों को भी नुकसान पहुंचा है. पथनिर्माण विभाग ने सड़कों के निर्माण पर लगभग 200 करोड़ रुपये खर्च का अनुमान लगाया है. उल्लेखनीय है कि बिहार में यह पहला मौका नहीं है कि बाढ़ से नुकसान हुआ है. लगभग प्रतिवर्ष यहां कई हिस्सों में बाढ़ आती है और नुकसान कर चली जाती है.
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो