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75 साल के रामदेव के अंतिम संस्कार की चर्चा, मुस्लिम परिवार ने ये पेश की मिशाल

बिहार की राजधानी पटना में हिंदू-मुसलमान की धार्मिक एकता का परिचय देते हुए राजा बाजार के एक मुस्लिम परिवार ने मिसाल पेश की है.

Updated on: 04 Jul 2022, 10:23 AM

पटना:

बिहार की राजधानी पटना में हिंदू-मुसलमान की धार्मिक एकता का परिचय देते हुए राजा बाजार के एक मुस्लिम परिवार ने मिसाल पेश की है. इस मुस्लिम परिवार ने 25 सालों से अपने घर में काम करने वाले शख्स की मौत का न सिर्फ मातम मनाया, बल्कि उसका अंतिम संस्कार पूरे परिवार ने मिलकर किया. पटना के समनपुरा इलाके में रहने वाले मुस्लिम परिवार ने अर्थी सजा कर हिंदू शख्स का अंतिम संस्कार किया, पूरा परिवार राम नाम सत्य बोलते हुए पटना के गंगा घाट तक पार्थिव शरीर को लेकर पहुंचा.

राजा बाजार के समनपुरा में रहने वाले मोहम्मद अरमान के परिवार में कई सालों पहले एक हिंदू शख्स रामदेव को अपने यहां रख लिया था. जिस रामदेव (75 वर्ष) का इस दुनिया में कोई सहारा नहीं था. तब उसको अपने घर रखकर इस मुस्लिम परिवार ने सहारा दिया. बताया जा रहा है कि लगभग 25 से 30 वर्ष पूर्व कहीं से भटकता हुआ एक रामदेव नाम का व्यक्ति राजा बाजार के समनपूरा पहुंचा, वह काफी भूखा था. वहां के एक परिवार ने उसे खाना ही नहीं खिलाया, बल्कि मोहम्मद अरमान ने अपने दुकान में सेल्समैन के रूप में रख लिया.

लगातार काम करने के बाद लगभग उसकी उम्र 75 वर्ष के आसपास हो चली थी. शुक्रवार को अचानक रामदेव की मृत्यु हो गई. इस परिवार ने रामदेव के साथ गुजारे वक्त और उनकी कर्तव्यनिष्ठता को यादकर अरमान के परिवार ने एक निर्णय लिया. उनका मानना था कि रामदेव का कोई अपना नहीं है, ऐसे में चूंकि वह हिंदू धर्म से आते हैं तो उनका अंतिम संस्कार भी हिंदू रीति रिवाज से किया जाना चाहिए. 

इस बात में पूरे परिवार ने सहमति जताई और उसके बाद पूरे परिवार ने आसपास मौजूद हिंदू परिवारों की मदद से तमाम कर्मकांड की जानकारी ली. अर्थी सजाई गई और फिर अर्थी पर रामदेव के पार्थिव शरीर को कांधे पर लेकर अरमान का परिवार गंगा घाट जाने सड़क पर निकल गए. अपने कंधे पर राम नाम सत्य बोलते हुए उन्हें पटना के गुलबी घाट तक ले जाया गया और फिर उनका अंतिम संस्कार किया गया. 

यह घटना राजधानी में लोगों के लिए चर्चा का विषय बना हुआ है. पटना के समनपुरा इलाके से शुक्रवार को हिंदू शख्स का अंतिम संस्कार के लिए ले जाने के दौरान सड़क किनारे खड़े लोग बड़े ही कौतूहल से देखते रहे. बताया जा रहा है कि रामदेव की मृत्यु के बाद आसपास के सभी मुसलमान भाइयों ने मिलकर उसके लिए अर्थी सजाई और पूरे हिंदू रीति रिवाज से राम नाम का नारा लगाते हुए पटना के गुलबी घाट ले जाकर उनका अंतिम संस्कार किया. इस परिवार के इस आचरण ने आपसी सौहार्द की अनूठी मिसाल पेश की है,जिसकी चर्चा हर ओर हो रही है.