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मुंगेर: अपनी मांगों को लेकर 31 अगस्त तक हड़ताल पर गए मुखिया, पंचायतों में काम-काज पूरी तरह ठप

बिहार प्रदेश पटना के मुंगेर मुखिया संघ के आह्वान पर मुंगेर के सभी मुखिया अपनी 22 सूत्री मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं, मुखिया के साथ सभी वार्ड सदस्य भी हड़ताल पर हैं. वहीं 31 अगस्त तक सभी पंचायत के मुखिया हड़ताल पर रहेंगे.

Updated on: 17 Aug 2023, 05:59 PM

highlights

  • मुंगेर में मुखिया जी का हड़ताल
  • 31 अगस्त तक हड़ताल पर गए मुखिया
  • पंचायतों में काम-काज पूरी तरह ठप

 

 

 

Munger:

बिहार प्रदेश पटना के मुंगेर मुखिया संघ के आह्वान पर मुंगेर के सभी मुखिया अपनी 22 सूत्री मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं, मुखिया के साथ सभी वार्ड सदस्य भी हड़ताल पर हैं. वहीं 31 अगस्त तक सभी पंचायत के मुखिया हड़ताल पर रहेंगे. इससे पंचायत के लोगों का कामकाज प्रभावित हो रहा है, किसी को मृत्यु प्रमाण पत्र, किसी को राशन कार्ड तो किसी को आवास योजना बनाने में परेशानी हो रही है. हालांकि इस मामले में मुखिया का कहना है कि वह ग्रामीण स्तर से छोटे-मोटे कार्यों के लिए जनता को आंशिक मदद करते रहेंगे. धरहरा प्रखंड में 13 पंचायतें हैं. बता दें कि इन 13 पंचायतों में मुखियाओं की संख्या बराबर है, ग्रामीणों के कई ऐसे काम हैं जो अब प्रखंड कार्यालय में पदाधिकारियों द्वारा कराया जाता है.

इसके साथ ही आपको बता दें कि मृत्यु प्रमाण पत्र, पारिवारिक लाभ, कबीर अंत्येष्टि, वृद्धा पेंशन योजना, राशन कार्ड सहित कई ऐसी समाज कल्याण से जुड़ी योजनाएं हैं, जिन्हें ग्रामीणों के माध्यम से पंचायत स्तर से ही काम कराने की मांग की गयी है, लेकिन प्रखंड कार्यालय में काम नहीं होने के कारण ग्रामीणों को आये दिन प्रखंड कार्यालय का चक्कर लगाना पड़ता है.

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बार-बार चक्कर लगा रहे ग्रामीण

आपको बता दें कि गांव के ज्यादातर अनपढ़ लोगों को इस बात की जरा भी जानकारी नहीं है कि मुखिया हड़ताल पर चले गये हैं.ऐसी स्थिति में फरियादी अपनी फरियाद लेकर मुखिया के पास अपनी समस्या सुनाने के लिए पंचायत कार्यालय व पंचायत भवन पहुंचते हैं और लौट जाते हैं. किसी को वृद्धा पेंशन तो किसी को राशन कार्ड बनवाना है, लेकिन वे पंचायत कार्यालय व भवन के पास आ रहे हैं और मुखिया को कुर्सी पर न पाकर लौट जा रहे हैं.

मुखिया संघ की मांग

इसके साथ ही राज्य मुखिया संघ के आदेश पर सभी मुखिया अपनी 22 सूत्री मांग को लेकर हड़ताल पर हैं. इन मांगों में मुख्य रूप से राज्य के 73वें संशोधन के अनुसार मुखिया के सभी 29 अधिकार ग्राम पंचायतों को वापस किये जाने, पंचायत स्तर के कार्यों का निपटारा मुखिया के माध्यम से पंचायत में किया जाना शामिल है. वहीं ही मनरेगा, जल-नल योजना, मृत्यु प्रमाण पत्र और जन्म प्रमाण पत्र बनवाने में पंचायत को अधिकार दिया जाए. पंचायत स्तर पर चयनित योजनाओं को लागू करने का अधिकार ग्रामसभा को मिलना चाहिए, इसके अलावा सरकार को मुखिया और वार्ड सदस्यों का मानदेय बढ़ाने पर विचार करना चाहिए.