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सुपौल के 100 से अधिक गांव बाढ़ के चपेट में, पलायन के लिए मजबूर हुए लोग

नेपाल में लगातार भारी बारिश के चलते बिहार के सुपौल में बाढ़ से तबाही शुरू हो गई है.

Updated on: 02 Aug 2022, 12:12 PM

Supaul:

नेपाल में लगातार भारी बारिश के चलते बिहार के सुपौल में बाढ़ से तबाही शुरू हो गई है. सुपौल जिले के निर्मली, मरौना, सरायगढ़-भपटियाही, किशनपुर और सदर प्रखंड क्षेत्र में कोसी तटबंध पर बसे तकरीबन 100 से अधिक गांव में बाढ़ का पानी तेजी से फैल रहा है. इन प्रखंडों के लगभग 350 से अधिक घरों में बाढ़ का पानी घुस गया है. सैकड़ों एकड़ खेत में लगी फसलें भी डूब गई हैं. वहीं, कोसी बराज से मंगलवार की सुबह 11 बजे बढ़ते क्रम में 2 लाख 23 हजार 955 क्यूसेक पानी छोड़े जाने के बाद हालत और बिगड़ने की संभवना बन गई है. लगातार हो रही बारिश को लेकर मौसम विभाग ने ऑरेंज अलर्ट जारी कर दिया है.

बाढ़ के कारण जगह-जगह सुरक्षा बांध और स्परों में कटाव हो रहा है. हालांकि सुरक्षा तटबंध और स्परों पर कटाव को रोकने के उद्देश्य से जल संसाधन विभाग की टीम मुश्तैद दिख रही है और जगह-जगह कटाव निरोधी काम भी युद्ध स्तर पर चल रहा है, लेकिन नेपाल में लगातार हो रही मूसलाधार बारिश के कारण कोसी नदी का जलस्तर बढ़ता जा रहा है. इससे बाढ़ प्रभावित इलाके के लोगों की परेशानी बढ़ गई है. घरों में पानी घुसने के बाद लोग निजी और सरकारी नाव के सहारे ऊंचे स्थान जैसे सुरक्षा तटबंध और अन्य जगहों के लिए पलायन करने लगे हैं. 

जिला प्रशासन की ओर से बाढ़ से बचाव के मद्देनज़र बाढ़ प्रभावित इलाके में फिलहाल जगह-जगह नाव की व्यवस्था कराई गई है. जिला प्रशासन की ओर से अब तक बाढ़ पीड़ित परिवारों के लिए कम्यूनिटी कीचेन नहीं खोले गए हैं. ऐसे में बाढ़ पीड़ित परिवारों के बीच खाने-पीने की भी समस्या आने लगी है. बाढ़ पीड़ित गांव के लोगों का कहना है कि सरकारी स्तर पर अबतक केवल नाव के इंतजाम किए गए हैं. सरकारी और निजी नाव से बाल-बच्चे के साथ लोग ऊंचे स्थान की ओर जा रहे हैं.

सबसे अधिक परेशानी सुपौल जिले के मरौना प्रखंड स्थित सिसौनी, घोघररिया, किशनपुर प्रखंड के परसामाधो, निर्मली प्रखंड के दीघिया पंचायत के दर्जनों गांव में देखने को मिल रहा है, जहां कोसी तटबंध के भीतर बसे गांव के लोग कोसी नदी में लगातार जल वृद्धि को लेकर सहमे हुए हैं, इन गांव में तेज़ी से बाढ़ का पानी फैल रहा है. लोगों को घर से बाहर निकलने के लिए भी नाव का सहारा लेना पड़ रहा है.