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बेटियां पढ़ा रही महावारी स्वच्छता का पाठ

गांव की किशोरियों को आत्मनिर्भर और स्वच्छता की जानकारी देने के लिए 2016 से यह कार्य प्रारंभ किया गया है. '' उन्होंने बताया कि इन ग्रुप की लड़कियों द्वारा बाल विवाह को भी रोकने का काम किया जा रहा है.

Updated on: 10 Jun 2021, 02:33 PM

highlights

  • ये लड़कियां ऐसे लोगों को मुफ्त में सैनेटरी पैड उपलब्ध कराती हैं
  • करीब 1500 लड़कियां ग्राम निर्माण मंडल, सर्वोदय आश्रम से जुड़ी हैं

बिहार:

बिहार के कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां आज भी महिलाएं और किशोरियां सैनेटरी पैड से अनभिज्ञ हैं. ऐसे में नवादा जिले की बेटियां आज गावों में घूम-घूमकर महिलाओं और किशोरियों को ना केवल महावारी स्वच्छता का पाठ पढ़ा रही हैं, बल्कि उन्हें सैनेटरी पैड भी उपलब्ध करा रही हैं. इस अभियान में 1500 से अधिक लड़कियां जुड़ी हैं जो नवादा के रजौली और अकबरपुर प्रखंड के गावों में लोगों को महावारी स्वच्छता के लिए जागरूक कर रही हैं . वो इससे होने वाली बीमारियों से भी उन्हें अवगत करा रही हैं. ये लड़कियां बाल विवाह से भी लड़कियों को बचा रही हैं. रजौली प्रखंड के हरदियां गांव की रहने वाली सानिया अपने गांव की करीब 70 महिलाओं और किशोरियों को सैनेटरी पैड प्रति महीने पहुंचाती हैं . इसी गांव की रहने वाली मौसम कुमारी भी कई घरों में पहुंचकर सैनेटरी पैड बांटती है.

ये लड़कियां ऐसे लोगों को मुफ्त में सैनेटरी पैड उपलब्ध कराती हैं, जिनके पास पैसे नहीं होते. ऐसी करीब 1500 लड़कियां ग्राम निर्माण मंडल, सर्वोदय आश्रम से जुड़ी हैं जो अब तक रजौली प्रखंड के 16 पंचायतों के 112 गांवों में पहुंच चुकी हैं. इसके अलावे अकबरपुर प्रखंड में भी यह अभियान प्रारंभ किया है जहां ये लड़कियां अब तक 20 से 25 गांवों में पहुंच चुकी हैं. ग्रुप लीडर मौसम कुमारी बताती हैं, '' गांव की नौवीं से 12 वें वर्ग की लड़कियां कई ग्रुप में बंटी हैं. एक ग्रुप में 12 से 15 लड़कियां हैं जो अपने पॉकेट मनी जमाकर थोक भाव में सैनेटरी पैड खरीद लेती हैं, जिससे उन्हें सस्ते दर में यह मिल जाता है. इन सैनेटरी पैड को वे गांव-गांव में लेकर पहुंचती हैं और महिलाओं को उपलब्ध कराती हैं. '' सानिया बताती हैं, '' कई गांवों की महिलाएं सैनेटरी पैड से अनभिज्ञ थी . आज इन गांवों में 75 प्रतिशत महिलाएं और किशोरियां सैनेटरी पैड का न केवल इस्तेमाल करती हैं, बल्कि उसे प्रयोग करने के बाद सही तरीके से नष्ट भी करती हैं.''

ग्रुप कॉर्डिनेटर मुस्कान बताती हैं, '' ग्रुप की लड़कियों की प्रतिमाह बैठक होती हैं, जिसमें गांव की महिलाएं और किशोरियां बेझिझक अपनी समस्याएं भी रखती हैं. प्रत्येक महीने बैठक में लेखा-जोखा होता है. कई महिलाएं बैठक के दौरान ही सैनेटरी पैड ले लेती हैं. '' ग्राम निर्माण मंडल के परियोजना प्रभारी डॉ. भरत भूषण ने बताया, '' यह संस्था लोकनायक जयप्रकाश नारायण द्वारा स्थापित किया गया था. गांव की किशोरियों को आत्मनिर्भर और स्वच्छता की जानकारी देने के लिए 2016 से यह कार्य प्रारंभ किया गया है. '' उन्होंने बताया कि इन ग्रुप की लड़कियों द्वारा बाल विवाह को भी रोकने का काम किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि अब तक इन लडकियों द्वारा 51 बाल विवाह रोकी गई है, जिसमें मात्र दो में ही पुलिस की मदद लेनी पड़ी. उन्होंने बताया कि शेष बाल विवाह दोनों पक्षों के समझाने से ही रूक गए. गांव की महिलाएं भी इस अभियान की तारीफ करते हुए कहती हैं कि कल तक जो महिलाएं दुकानों में सैनेटरी पैड मांगने से झिझकती थी, वह दुकानों से भी खरीद रही हैं.