MCA, MBA, MBBS, M.Tech वाले मांगे Group-D की नौकरी, 166 पद के लिए आए 5 लाख से अधिक आवेदन
बिहार विधान सभा की नियुक्तियां ने सुशासन बाबू का पोल खोल कर रख दी है, बड़ी डिग्री वाले की भविष्य अंधकार में
पटना:
अमूमन जब आपके घर कोई युवा MCA, MBBS, MTech की डिग्री ले रहा होता है, तो माता-पिता उसके भविष्य के लिए कई सपने संजोते हैं. इन डिग्री को लेने के बावजूद भी उसे अगर माली, वॉच मैन और चपरासी के पद के लिए साक्षात्कार के दौर में शामिल होना पड़े, तो आप क्या कहेंगे? फिलहाल बिहार विधान सभा की जो नियुक्तियां निकली हैं, वहां बेरोजगारी का सच सामने आ रहा है.
कुल रिक्तियां
ऑफिस अटेंडेंट - 90 पद
चालक - 14 पद
वॉचमैन - 9 पोस्ट
ऑफिस अटेंडेंट (स्वीपर) - 10 पद
माली - 20 पद
ऑफिस अटेंडेंट (फर्राश) - 6 पद
लाइब्रेरी अटैन्डेंट - 7 पद
मध्यप्रदेश, छतीसगढ, उत्तरप्रदेश से पहुंच रहे आवेदक
इन 166 पदों के लिए बिहार विधान सभा ने वेकेंसी निकाली है. देख्ते ही देखते 5 लाख आवेदन आ गए हैं. बिहार ही नहीं मध्यप्रदेश, छतीसगढ, उत्तरप्रदेश से आवेदक पहुंचने लगे हैं. साक्षात्कार के आधार पर बहाली हो रही थी. अब इस परीक्षा में बैठने के लिये अनिवार्यता तो 10वीं पास की थी, मगर यहां जो दृश्य है वो किसी को हैरत में डाल दे. जब न्यूज स्टेट की टीम ने वहां मौजूद अभ्यर्थी और उनके अभिभावक से बात की, तो जवाब हैरान करने वाले थे.
हर रोज़ 1600 अभ्यर्थी दे रहे हैं इंटरव्यू
यहां दसवीं छोड़ दें, ज्यादतर ग्रेजुएट और उसमे पी जी, सबसे खास की यहां तो एम.बी.ए, एम. टेक और एम.बी.बी एस पास भी रेस में हैं. खास बात यह है कि हर रोज़ 1600 अभ्यर्थी इंटरव्यू दे रहे हैं. साक्षात्कार सितंबर से ये चल रहा और कहा जा रहा है कि इस रफ्तार से मार्च आ जाएगा. इसके साथ ही बिहार में विपक्ष सवाल उठाने लगा है. राजद के विधायक नवाज़ आलम ने पूछा ये कैसी सरकार है जहां बेरोजगारी का ये आलम है.
आखिर ये डिग्री होल्डर माली और चपरासी बनने को मजबूर क्यों है?
इधर कांग्रेस के विधान परिषद् के सदस्य प्रेमचंद मिश्रा ने पूछा ये किस व्यवस्था में परीक्षा हो रही है. एक दिन में इतने साक्षात्कार हो कैसे रहे हैं? एक आवेदक को बमुश्किल 30 सेकेंड मिल रहे हैं. इधर केन्द्र और राज्य दोनों जगह सत्ता में मौजूद भाजपा ने जवाब देना शुरू किया, मगर जवाब इनके पास भी नहीं, आखिर क्या जवाब दे. बीजेपी विधायक संजीव चौरसिया को खुद समझ नहीं आ रहा कि आखिर ये डिग्री होल्डर माली और चपरासी बनने को मजबूर क्यों है?
ये सरकार की योजनाओं की दुहाई दे रहे हैं. इतने आवेदक में नौकरी तो कुछ ही लोगों को मिलेगी. मगर सवाल ये है कि ऐसे कितने लाखों उच्च श्रेणी की विद्यार्थी जिनका भविष्य अंधकार में है. सर्वोच्च शिक्षा लेकर भी ये इस ग्रेड चार की नौकरी के होड़ में हैं.
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