नवरात्रि के चौथे दिन माता कुष्मांडा की होती है आराधना, जाने कौन हैं देवी कुष्मांडा

आज नवरात्रि का चौथा दिन है और इस दिन मां कुष्मांडा की पूजा होती है. नवरात्रि का चौथा दिन मां कुष्मांडा को समर्पित होता है. इस दिन मां कुष्मांडा की उपासना की जाती है. मां कुष्मांडा यानी कुम्हड़ा कुष्मांडा एक संस्कृत शब्द है.

author-image
Rashmi Rani
New Update
kusmanda

Mata Kushmanda( Photo Credit : फाइल फोटो )

आज नवरात्रि का चौथा दिन है और इस दिन मां कुष्मांडा की पूजा होती है. नवरात्रि का चौथा दिन मां कुष्मांडा को समर्पित होता है. इस दिन मां कुष्मांडा की उपासना की जाती है. आज के दिन सच्चे मन से पूजा करने से माता हर इच्छा पूरी करती हैं. मां कुष्मांडा यानी कुम्हड़ा कुष्मांडा एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ कुम्हड़ा, यानी कद्दू, पेठा है. धार्मिक मान्यता है कि मां कुष्मांडा को कुम्हड़े की बलि बहुत प्रिय है. इसलिए मां दुर्गा का नाम कुष्मांडा पड़ा है.

Advertisment

माता कुष्मांडा ने ब्रह्मांड की रचना की है

कहा जाता है कि माता कुष्मांडा ने ही इस ब्रह्मांड की रचना की है. इन्हें आदिशक्ति के रूप में जाना जाता है. मां कुष्मांडा को अष्टभुजाओं वाली देवी भी कहा जाता है. उनकी भुजाओं में बाण, चक्र, गदा, अमृत कलश, कमल और कमंडल सजे हैं. वहीं, दूसरी भुजा में वो सिद्धियों और निधियों से युक्त माला धारण किए हुए हैं. मां कुष्मांडा की सवारी सिंह है.

मां कुष्मांडा हैं बहुत ही दयालु 

कहा जाता है कि शक्तिस्वरूपा मां कुष्मांडा बहुत ही दयालु हैं. वे निर्मल मन से की गई थोड़ी भक्ति से भी प्रसन्न हो जाती हैं और अपने भक्तों के रोग, दुख और संताप को हर लेती हैं. मान्यता है कि जो मनुष्य सच्चे मन से और संपूर्ण विधिविधान से मां की पूजा करते हैं, उन्हें आसानी से अपने जीवन में परम पद की प्राप्ति होती है, और उनके समस्त रोग नष्ट हो जाते हैं.

कौन हैं देवी कुष्मांडा ? 

मां भगवती का चतुर्थ स्वरूप कुष्मांडा है. नवरात्रि के चौथे दिन देवी कुष्मांडा की पूजा की जाती है. इस दिन साधक का मन 'अनाहत' चक्र में अवस्थित होता है. सृष्टि की उत्पत्ति से पूर्व देवी कुष्मांडा ने ब्रह्मांड की रचना की थी. सृष्टि की आदि-स्वरूपा, आदिशक्ति मां कुष्मांडा हैं. मां कुष्मांडा का निवास सूर्यमंडल के भीतर के लोक में है. कुम्हड़े की बलि माता को अतिप्रिय है. संस्कृति में कुम्हड़े को कुष्मांडा कहते हैं इसलिए देवी कुष्मांडा कहलाती हैं.

कैसा है मां कुष्मांडा का स्वरूप? 

मां कुष्मांडा की आठ भुजाएं हैं. अष्टभुजा देवी के नाम से भी विख्यात हैं. इनके सात हाथों में कमंडल, धनुष, बाण, कमल, अमृतपूर्ण कलश, चक्र, गदा है. माता के आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जपमाला है. इनका वाहन शेर है

मां कुष्मांडा की पूजा का महत्व 

मां कुष्मांडा की पूजा से भक्तों के रोग-शोक मिट जाते हैं. माता की भक्ति से आयु, यश, बल और आरोग्य की वृद्धि होती है.

 यह भी पढ़ें : नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की मिलती है विशेष कृपा, जानें देवी चंद्रघंटा की पूजन विधि

देवी कुष्मांडा के मंत्र 

'ॐ कूष्माण्डायै नम:।।
कुष्मांडा: ऐं ह्री देव्यै नम:
वन्दे वाञ्छित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्विनीम्॥

HIGHLIGHTS

  • नवरात्रि का चौथा दिन मां कुष्मांडा को होता है समर्पित 
  • मां कुष्मांडा को कुम्हड़े की बलि है बहुत प्रिय
  • मां भगवती का चतुर्थ स्वरूप है कुष्मांडा

Source : News State Bihar Jharkhand

chaitra navratri Mata Kushmanda navratri 2023 Chaitra Navratri Puja Vidhi Navratri Puja Bihar News
      
Advertisment