ED और CBI की छापेमारी को मांझी ने ठहराया था सही, बीजेपी ने किया समर्थन
बिहार के साथ ही देश के अलग-अलग राज्यों में हो रहे ED और CBI की कार्रवाई ने सियासी माहौल को गरमा दिया है.
Patna:
बिहार के साथ ही देश के अलग-अलग राज्यों में हो रहे ED और CBI की कार्रवाई ने सियासी माहौल को गरमा दिया है. बिहार की सियासी गलियारों उस वक्त हलचल तेज हो गई जब महागठबंधन के साथी और प्रदेश के पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने इन कार्रवाईयों को सही करार दे दिया. बस फिर क्या था बीजेपी ने मोर्चा संभाला और मांझी के समर्थन में उतर गई तो वहीं, JDU अब सफाई देने में जुटी है.
देश में चुनावी मौसम नजदीक आ रहा है. लिहाजा सियासी बयानबाजियों का दौर भी तेज हो गया है. एक तरफ मिशन 2024 के लिए सीएम नीतीश कुमार ने कमर कस ली है तो वहीं, बीजेपी लोकसभा के साथ बिहार विधानसभा चुनाव में भी कमल खिलाने की कवायद में जुट गई है. नतीजतन, दोनों ही पार्टियों के बीच सियासी रार शुरू हो चुका है. इस बीच देश के कोने-कोने में होने वाली ED और CBI की ताबड़तोड़ कार्रवाई ने सियासी सरगर्मी की इस चिंगारी को और हवा देदी है. महागठबंधन की सरकार जहां इसे बीजेपी का चुनावी अस्त्र बता रही है तो वहीं बीजेपी कार्रवाई को सही ठहराने में जुटी है, लेकिन इस बयानबाजियों के बीच महागठबंधन के साथी और बिहार के पूर्व सीएम जीतन राम मांझी के बयान ने सभी को चौंका दिया. दरअसल मांझी ने महागठबंधन की लाइन से अलग हटकर इन कार्रवाइयों को सही ठहराया. इतना ही नहीं उन्होंने JDU और RJD को भी आड़े हाथ ले लिया.
ED,CBI रेड को लेकर जीतन राम मांझी के बयान ने बिहार के सियासी गलियारों में हलचल तेज कर दी है. एक तरफ जहां बीजेपी खुलकर मांझी का समर्थन कर रही है तो वहीं, दूसरी ओर महागठबंधन सरकार बयान पर सफाई देने में जुट गई है.
केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई पर भले ही महागठबंधन के सहयोगी HAM का अपना स्टैंड हो, लेकिन RJD और JDU का स्टैंड बिल्कुल क्लियर है. महागठबंधन की दोनों ही पार्टियों ने कार्रवाई को लेकर केंद्र के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. राजधानी दिल्ली में होने वाले RJD राष्ट्रीय अधिवेशन में भी इसका नजारा देखने को मिला. जहां पार्टी सुप्रीमो लालू यादव ने तो छापा मारने वालों को छाप देने की चेतावनी तक दे डाली. लालू से पहले प्रदेश के डिप्टी सीएम तेजस्वी भी केंद्र पर बरस चुके हैं.
बहरहाल, रेड पर सियासी बयानबाजियों का दौर जारी है. अब देखना दिलचस्प होगा कि आगामी चुनाव में इन बयानों का वोटबैंक पर कितना असर पड़ता है.
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