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Malaria In Bihar
Malaria In Bihar: बिहार के नौ जिले राज्य में मलेरिया प्रभावित क्षेत्रों की श्रेणी में आते हैं. इनमें पटना, गया, नवादा, औरंगाबाद, भागलपुर, कैमूर, जमुई, मुंगेर, मुजफ्फरपुर और रोहतास शामिल हैं. इन जिलों में मलेरिया का खतरा हमेशा बना रहता है, जिसके चलते स्वास्थ्य विभाग ने विशेष सतर्कता बरतते हुए एक जागरूकता अभियान की योजना तैयार की है. इस योजना को स्वास्थ्य मंत्री की स्वीकृति मिलने के बाद लागू किया जाएगा.
मलेरिया के मामलों में आई गिरावट, लेकिन सतर्कता जरूरी
आपको बता दें कि स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, इस वर्ष मलेरिया के मामले में काफी गिरावट दर्ज की गई है. राज्य में अब तक 185 केस ही सामने आए हैं, जो पिछले वर्षों की तुलना में काफी कम हैं. नेशनल सेंटर फॉर वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल (एनसीवीबीडीसी) के आंकड़े भी इस तथ्य की पुष्टि करते हैं. उदाहरण के तौर पर, 2020 में 518 मामले सामने आए थे, जिनमें 272 मरीज प्लासमोडियम फेल्किपेराम (पीएफ) से प्रभावित थे, जो मलेरिया का सबसे खतरनाक स्वरूप है. इसके बाद 2021 में 647, 2022 में 578 और 2023 में 1257 मलेरिया के केस मिले थे. हालांकि इस साल मामलों में कमी आई है, लेकिन जागरूकता और सतर्कता बनाए रखना आवश्यक है.
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जागरूकता अभियान का उद्देश्य और योजना
वहीं स्वास्थ्य विभाग का जागरूकता अभियान इन नौ जिलों में मलेरिया के मामलों का आकलन करेगा और यह पता लगाने का प्रयास करेगा कि इन क्षेत्रों में मलेरिया के अधिक केस क्यों मिलते हैं. अभियान के दौरान स्थानीय लोगों को मलेरिया से बचने के तरीकों, सफाई की अहमियत और रोजमर्रा की आदतों में क्या बदलाव लाए जाने चाहिए, इस पर जानकारी दी जाएगी.
इसके साथ ही, अभियान में प्लासमोडियम फेल्किपेराम (पीएफ) के खतरनाक प्रभावों के बारे में जागरूक किया जाएगा. लोगों को समझाया जाएगा कि इस जानलेवा स्वरूप से कैसे बचा जा सकता है और शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज करने से बचना चाहिए. यह जानकारी ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों दोनों में दी जाएगी, ताकि मलेरिया का खतरा जड़ से खत्म किया जा सके.
स्वास्थ्य विभाग की सक्रियता
इसके अलावा आपको बता दें कि स्वास्थ्य विभाग ने इस अभियान के लिए एक विस्तृत योजना तैयार की है. इसमें स्कूलों, पंचायतों, सामुदायिक केंद्रों और स्वास्थ्य संस्थानों के माध्यम से जागरूकता फैलाई जाएगी. खासकर उन क्षेत्रों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जहां पहले मलेरिया के अधिक केस दर्ज किए गए थे. इसके अलावा, स्वास्थ्य कर्मियों को भी इस अभियान में सक्रिय रूप से शामिल किया जाएगा, ताकि ग्रामीण स्तर पर मलेरिया नियंत्रण के प्रयास तेज किए जा सकें.