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मिशन 2024: 'सिल्क सिटी' भागलपुर का क्या कहता है सियासी समीकरण और इस बार कौन मार सकता है बाजी? जानिए-सिर्फ एक क्लिक पर

1952 में भागलपुर लोकसभा चुनाव अस्तित्व में आया और 1952 से लेकर 1975 तक यहां पर कांग्रेस की एकतरफा जीत होती रही लेकिन 1977 में देश में आपातकाल लागू होने के बाद कांग्रेस को पहली बार हार मिली थी.

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Shailendra Shukla
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Bhagalpur

भागलपुर लोकसभा सीट का समीकरण( Photo Credit : प्रतीकात्मक तस्वीर)

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16 प्रखंडों और 1515 गांवों से सुसज्जित 'सिल्क सिटी' यानि भागलपुर अपना अलग ही इतिहास समेटे हुए है. भागलपुर को ‘चंपानगर’ और उससे पहले "चंपा" के नाम से लोग जानते थे. इसे अंग्र प्रदेश की राजधानी के तौर पर भी जाना जाता था. बौद्ध साहित्य में वर्णित वाक्यों के मुताबिक, पूर्व का चंपा एक बहुत ही खूबसूरत नगर हुआ करता था जहां भगवान बुद्ध भी अपनी यात्रा के दौरान आए थे. भागलपुर को सिल्क सिटी के रूप में भी जाना जाता है. भागलपुर पर लोकसभा में राज करने का सबसे ज्यादा मौका अगर किसी को मिला तो वह है कांग्रेस.

1952 में भागलपुर लोकसभा चुनाव अस्तित्व में आया और 1952 से लेकर 1975 तक यहां पर कांग्रेस की एकतरफा जीत होती रही लेकिन 1977 में देश में आपातकाल लागू होने के बाद कांग्रेस को पहली बार हार मिली थी. आपातकाल के बाद कांग्रेस इस चुनाव से सिर्फ दो बार लोकसभा चुनाव जीत पाई और सबसे ज्यादा बार यहां से सांसद के तौर पर बिहार के पूर्व सीएम सह पूर्व केंद्रीय मंत्री भागवत झा आजाद को मौका मिला. भागवात झा आजाद यहां से सबसे ज्यादा 5 बार सांसद रहे. 

कब, किस पार्टी ने हासिल की जीत?

-1952 में कांग्रेस के अनूप लाल मेहता को जीत मिली
-1952 में सोशलिस्ट पार्टी के किरारी मुशहर को जीत मिली
-1952 में जेबी कृपालानी और किरारी मुशहर प्रजा सोशलिस्ट पार्टी की तरफ से जीते
-1957 में पहली बार भागलपुर को स्थाई तौर पर सांसद मिला और बनारसी प्रसाद झुनझुनवाला कांग्रेस के चुनाव निशान पर जीत हासिल कर संसद पहुंचे
-1962 में भागवत झा आजाद कांग्रेस के निशान पर चुनाव लड़कर संसद पहुंचे
-1971 में भागवत झा आजाद फिर से जीते और संसद पहुंचे
-1977 में देश में आपातकाल लगने के बाद चुनाव हुए और इस बार भागलपुर सीट कांग्रेस से छिन गई और जनता पार्टी के रामजी सिंह भागपुर के सांसद बने
-1980 में फिर से कांग्रेस ने भागलपुर सीट को वापस अपने कब्जे में लिया और भागवत झा आजाद फिर से सांसद बने
-1984 में फिर से भागवत झा आजाद भागलपुर के संसद सदस्य चुने गए
-1989 में भागलपुर एक बार फिर से कांग्रेस के हाथ से निकल गया और जनता दल के चुनचुन प्रसाद यादव जीतकर संसद पहुंचे.

-चुनचुन प्रसाद यादव 1989 के अलावा 1991, 1996 के लोकसभा चुनाव में भी जनता दल प्रत्याशी के तौर पर जीत हासिल माननीय संसद सदस्य बने.
-1998 में पहली बार भागलपुर लोकसभा सीट पर बीजेपी की विजय हुआ और प्रभाष चंद्र तिवारी संसद सदस्य बने.
-1999 में बीजेपी की हार हुए और सीपीआई के सुबोध राय को जीत मिली
-2004 से लेकर 2014 तक भागलपुर सीट पर बीजेपी का राज रहा. 2004 में सुशील मोदी जीते थे और 2009 में बीजेपी नेता शाहनवाज हुसैन ने जीत हासिल की. 
-2014 लोकसभा चुनाव में देश में मोदी लहर होने के बाद भी बीजेपी को यहां से जीत नहीं मिली और शाहनवाज हुसैन बीजेपी प्रत्याशी के तौर पर चुनाव हार गए और आरजेडी को पहली बार यहां से जीत मिली. आरजेडी के शैलेश कुमार मंडल को जीत मिली.
-2019 लोकसभा चुनाव में जेडीयू को जीत मिली और अजय कुमार मंडल को जीत मिली.

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2014 लोकसभा चुनाव का विस्तृत परिणाम

2014 में देश में मोदी लहर होने के बावजूद भागलपुर सीट पर बीजेपी की हार हुई थी. बीजेपी प्रत्याशी शाहनवाज हुसैन  को हार मिली थी. हालांकि, जीत हासिल करने वाले आरजेडी प्रत्याशी शैलेश कुमार बहुत ही कम मार्जन से जीते थेय वहीं, जेडीयू तीसरे स्थान पर रही थी. 3,67,623 वोट के साथ शैलेश कुमार विजेता रहे जबकि 3,58,138 वोट पाकर शाहनवाज हुसैन दूसरे स्थान पर रहे और 1,32,256 वोट पाकर जेडीयू के प्रत्याशी अबु कैसर तीसरे स्थान पर रहे. 

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2019 लोकसभा चुनाव का विस्तृत हाल

2014 की ही तरह 2019 में भी देश में मोदी लहर ही थी. लोकसभा चुनाव परिणाम में बीजेपी बंपर जीत हुई थी लेकिन भागलपुर लोकसभा सीट पर बीजेपी ने अपने उस समय के साथी जेडीयू को चुनावी मैदान में उतारा. बीजेपी की ये चाल काम आई और जेडीयू के प्रत्याशी के तौर पर अजय कुमार मंडल ने चुनाव लड़ा और जीत हासिल की आरजेडी के प्रत्याशी शैलेश कुमार महतो को हार मिली. 618,254 वोट के साथ अजय कुमार मंडल पहले स्थान पर रहे और विजेता बने जबकि आरजेडी प्रत्याशी शैलेश कुमार 3,40,624 वोट के साथ दूसरे स्थान पर रहे. 2019 सके लोकसभा चुनाव में नोटा के पक्ष में भी बंपर वोटिंग हुई थी. नोटा के पक्ष में  31,567 लोगों ने वोटिंग की थी.

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कुल मिलाकर भागलपुर सीट पर 2014 और 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के परिणामों पर अगर नजर डालें तो मौजूदा स्थिति के मुताबिक, महागठबंधन की जीत हुई थी. ऐसे में 2024 में बीजेपी के लिए भागलपुर की सीट आसान नहीं होगी क्योंकि यहां 'मंडल' फैक्टर को ना तो नजरअंदाज किया जा सकता है और ना ही महागठबंधन को किसी भी तरह से कमजोर आंका जा सकता है. क्योंकि ये वही भागलपुर सीट है जहां मोदी लहर में भी बीजेपी मैजिक नहीं दिखा पाई थी और 2019 में बीजेपी का भला तब हुआ जब उसने अपने उस समय के साथी जेडीयू के प्रत्याशी का समर्थन किया.

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विधानसभा सीटों का हाल

वैसे तो विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव दोनों के समीकरण अलग-अलग होते हैं लेकिन विधानसभा सीटों पर जिस पार्टी की जितनी ज्यादा जीत होती है उतने ही जमीनी स्तर पर वोटरों पर पकड़ विधानसभा चुनाव जीतनेवाली पार्टी की ही होती है. भागलपुर में कुल 6 विधानसभा सीट हैं. इनमें से 3 पर बीजेपी और तीन पर गठबंधन दलों का कब्जा है. जहां बिहपुर, पीरपैंती, कहलगांव पर भगवा ब्रिगेड यानि बीजेपी का कब्जा है तो वहीं गोपालपुर पर जेडीयू, भागलपुर पर कांग्रेस और नाथनगर विधानसभा सीट पर आरजेडी का कब्जा है. यानि कि इस आधार पर भागलपुर में 50:50 दोनों घटकों यानि NDA और INDIA का कब्जा है.

मतदाताओं की स्थिति (2019 के मुताबिक):

कुल मतदाता: 18,19,243
पुरूष मतदाता: 9,62,352
महिला मतदाता: 8,56,824

HIGHLIGHTS

  • भागलपुर लोकसभा सीट का समीकरण
  • 2014 में मोदी लहर के बावजूद मिली थी बीजेपी को हार
  • महागठबंधन का पलड़ा दिख रहा है भारी

Source : Shailendra Kumar Shukla

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