Advertisment

इंदौर के बाद बिहार ने 'NOTA' का बनाया रिकॉर्ड, यहां वोटरों को नहीं पसंद आया कोई भी कैंडिडेट

Lok Sabha Election: हार की गोपालगंज सीट पर 2024 के लोकसभा चुनाव का परिणाम सुर्खियों में है. गोपालगंज में स्टेट स्तर पर नोटा ने अपना प्रभाव कायम रखा. प्रदेश की 40 सीटों में से सबसे अधिक नोटा के वोट गोपालगंज में पड़े हैं.

author-image
Ritu Sharma
New Update
Lok Sabha Elections NOTA

लोक सभा चुनाव 2024 रिजल्ट ( Photo Credit : Newsstate Bihar Jharkhand)

Advertisment

Lok Sabha Elections 2024: बिहार की गोपालगंज सीट पर 2024 के लोकसभा चुनाव का परिणाम सुर्खियों में है. पिछली बार 2019 के चुनाव की तरह इस बार भी नोटा (NOTA) ने रिकॉर्ड बनाया. हालांकि इस बार ये रिकॉर्ड इंदौर ने तोड़ दिया. बावजूद इसके, गोपालगंज में स्टेट स्तर पर नोटा ने अपना प्रभाव कायम रखा. प्रदेश की 40 सीटों में से सबसे अधिक नोटा के वोट गोपालगंज में पड़े हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में गोपालगंज में नोटा को 51,660 वोट मिले थे, जबकि इस बार 2024 में नोटा को 42,863 वोट मिले. प्रत्याशियों के प्रति नाराजगी जाहिर करते हुए लोगों ने नोटा को अपना मत देकर अपना असंतोष प्रकट किया. 4 जून को चुनाव परिणाम आने के बाद नोटा के आंकड़ों ने सभी को चौंका दिया और राजनीतिक दलों को मंथन करने पर मजबूर कर दिया है.

यह भी पढ़ें: तीसरे कार्यकाल में एनडीए सरकार का काम भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ फेंकने का होगा : पीएम मोदी

गोपालगंज में वोट बहिष्कार 

आपको बता दें कि गोपालगंज में वोट बहिष्कार की खबरें इस बार भी आईं, जिससे चुनाव के दिन कई लोगों ने मतदान से दूरी बनाए रखी. इस सीट पर लगातार दूसरे चुनाव में नोटा का उच्च प्रदर्शन दर्शाता है कि स्थानीय जनता के बीच प्रत्याशियों के प्रति असंतोष बना हुआ है. 2019 की तुलना में इस बार नोटा को 8,797 वोट कम मिले, लेकिन फिर भी इसका प्रभाव कम नहीं हुआ. इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि गोपालगंज के मतदाता प्रत्याशियों से खुश नहीं हैं और अपने असंतोष को नोटा के माध्यम से प्रकट कर रहे हैं. यह स्थिति राजनीतिक दलों के लिए एक गंभीर संकेत है कि उन्हें जनता की समस्याओं और उनकी अपेक्षाओं पर ध्यान देना होगा.

'नोटा' कब शुरू किया गया

आपको बता दें कि भारत में नोटा की शुरुआत 27 सितंबर 2013 को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद हुई थी. इसका उद्देश्य राजनीतिक दलों को दागी उम्मीदवारों को मैदान में उतारने से हतोत्साहित करना था. इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) पर "इनमें से कोई नहीं" (नोटा) विकल्प उन मतदाताओं के लिए उपलब्ध है जो किसी भी राजनीतिक उम्मीदवार का समर्थन नहीं करना चाहते हैं. इससे उन्हें अपना निर्णय बताए बिना मतदान न करने के अपने अधिकार का प्रयोग करने की अनुमति मिल जाती है.

नोटा का पहली बार प्रयोग

वहीं आपको बता दें कि भारत में पहली बार नोटा विकल्प का इस्तेमाल 2013 में चार राज्यों - छत्तीसगढ़, मिजोरम, राजस्थान और मध्य प्रदेश तथा केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली के विधानसभा चुनावों में किया गया था. इसके साथ ही राज्य विधानसभा चुनाव में 15 लाख से अधिक लोगों ने इस विकल्प का इस्तेमाल किया. लोकसभा चुनाव में नोटा का प्रचलन बढ़ा और 2019 में गोपालगंज में नोटा को सबसे अधिक वोट मिले.

HIGHLIGHTS

  • गोपालगंज सीट पर 'NOTA' का दबदबा
  • इंदौर के बाद बिहार ने 'NOTA' का बनाया रिकॉर्ड
  • यहां वोटरों को नहीं पसंद आया कोई भी कैंडिडेट

Source :News Nation Bureau

Bihar Lok Sabha Elections 2024 Date Bihar Lok sabha elections 2024 Bihar Lok Sabha Election Resu Bihar Lok Sabha Chunav 2024 Result lok sabha elections 2024 schedule Lok Sabha Elections 2024 Dates Lok Sabha Elections 2024 Lok Sabha elections 2024 in Bihar
Advertisment
Advertisment
Advertisment