दीपों से जगमगा उठा गया, पितृ दिवाली की जानें क्या है मान्यता

गया में पितृपक्ष मेले में हर दिन लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है. जैसे जैसे दिन बीत रहे हैं.

author-image
Vineeta Kumari
New Update
gaya news

दीपों से जगमगा उठा गया( Photo Credit : फाइल फोटो)

गया में पितृपक्ष मेले में हर दिन लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है. जैसे जैसे दिन बीत रहे हैं. वैसे वैसे तीर्थयात्रियों की संख्या बढ़ती ही जा रही है. साथ ही पितृपक्ष मेले से हर दिन अलग-अलग तस्वीरें भी देखने को मिल रही है. ऐसी ही तस्वीर देखने को मिली गुरुवार को. जब पूरा गया दीपों से जगमग हो उठा. बता दें कि पितृपक्ष के त्रयोदशी तिथि को देर शाम हर सार वर्षों से विष्णुपद के फल्गु नदी के किनारे देवघाट पर पितृ दीपावली मनाई जा रही है. जिसमें सभी अपने-अपने पितरों के लिए दीप जलाते हैं और आतिशबाजी करते हैं. माना जाता है कि इस दिन दीपदान करने से पितरों के स्वर्ग जाने का मार्ग प्रकाशमय हो जाता है. ऐसे में गया जी पहुंचे तमाम तीर्थयात्रियों ने देर शाम पितृ दीपावली मनाई और दीपदान किया.

Advertisment

यह भी पढ़ें- नीतीश कैबिनेट की बैठक खत्म, 8 प्रस्तावों पर लगी मुहर

दीपों से जममगा उठा गया

देवघाट के अलावा श्रद्धालुओं ने सूर्य मंदिर के पास दीप जलाकर भी अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की. इस दौरान देश-विदेश से आए लोग अपने पितरों के लिए घी के दीए जलाते दिखे. हजारों की संख्या में दीप जलाए जाते हैं, जिससे पूरा देवघाट रोशनी से सराबोर हो जाता है.

देश-विदेश से आए लोग

विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला अब समाप्ति की ओर बढ गया है. 17 दिनों तक चलने वाले इस मेले के 16वें दिन यानी आश्विन कृष्ण चतुर्दशी को वैतरणी स्नान, गोदान और तर्पण का कर्मकांड किया जाता है. इससे जुड़ी ऐसी मान्यता है कि इससे पितरों को मोक्ष की प्राप्ति के साथ ही 21 कुल का उद्धार हो जाता है. गया जी तीर्थ के दक्षिण फाटक के दक्षिण मंगला गौरी के पास वैतरणी सरोवर है, जिसे गौ के साथ पार करने की परंपरा चली आ रही है. वहीं साथ ही गोदान की भी परंपरा है.

जानें क्या है मान्यता

वैतरणी पार करने की मान्यता भी यहां बेहद पुरानी है. धर्म पुराण के अनुसार ब्रह्मा जी ने गया जी में वैतरणी को अवतरित किया था ताकि वो पितरों को यहां उतार सके. और गाय की पूंछ पकड़ कर वैतरणी सरोवर को पार करने या गोदान करने से पितरों को स्वर्ग की प्राप्ती होती है. गया जी का इतिहास पौराणिक काल से जुड़ा है. पितृपक्ष मेले की महत्ता का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि हर साल यहां देश के कोने-कोने से तो श्रद्धआलु आते हैं. विदेशी तीर्थयात्रियों की भी यहां भीड़ खूब उमड़ती है.

HIGHLIGHTS

  • दीपों से जममगा उठा गया
  • देश-विदेश से आए लोग
  • जानें क्या है मान्यता

Source : News State Bihar Jharkhand

Gaya News pitru paksha Gaya Pitru Diwali bihar latest news
      
Advertisment