गोपालगंज में 'जमीन' पर शिक्षा का स्तर, सड़क किनारे पढ़ रहें छात्र

बिहार के गोपालगंज जिले से शिक्षा के बदहाली की तस्वीर सामने आई है.

बिहार के गोपालगंज जिले से शिक्षा के बदहाली की तस्वीर सामने आई है.

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Jatin Madan
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जमीन पर पढ़ रहे बच्चे( Photo Credit : News State Bihar Jharkhand)

बिहार के गोपालगंज जिले से शिक्षा के बदहाली की तस्वीर सामने आई है. जहां क्लासरूम न होने के चलते बच्चे सड़क किनारे बैठकर पढ़ाई करते नजर आ रहे हैं. सालों पुराने स्कूल की बिल्डिंग भी जर्जर हो चुकी है, लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारियों को इसकी कोई सुध नहीं है. बिहार में राज्य सरकार शिक्षा को लेकर भले ही तमाम दावे कर ले, लेकिन राज्य में शिक्षा के हालात कैसे है इसकी तस्वीर हर दूसरे दिन देखने को मिल जाती है. बिहार में शिक्षा व्यवस्था स्कूल भवन की तरह ही जर्जर हो चुकी है. दावों के इतर शिक्षा को लेकर जमीनी स्तर कितना काम किया जाता है इसका अंदाजा जमीन पर पढ़ रहे इन बच्चों को देखकर लगाया जा सकता है.

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गोपालगंज जिला मुख्यालय से 17 किलोमीटर दूर और कुचायकोट प्रखंड मुख्यालय से महज 4 किलोमीटर कुचायकोट मैरवा मुख्य रास्ते पर बघऊच प्राथमिक विद्यालय है. इस स्कूल में और सुविधाएं तो छोड़िए बच्चों के बैठने के लिए जगह भी नहीं है. सालों पुराने इस स्कूल में महज दो कमरे हैं और छात्रों की संख्या ज्यादा है. लिहाजा स्कूल के टीचर छात्रों को खुले आसमान के नीचे पढ़ाने को मजबूर हो गए हैं. बच्चों को स्कूल के बाहर सड़क किनारे चटाई पर बिठाकर पढ़ाया जाता है. इस दौरान सड़क से गाड़ियां भी गुजरती है, जिससे बच्चों की पढ़ाई बाधित होती है, लेकिन जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों को इससे क्या... उन्होंने स्कूल के साथ ही छात्रों को भी उनकी हालत पर छोड़ दिया है.

स्कूल में जो दो कमरे हैं उनकी हालत भी ऐसी है कि अगर इन कमरों में छात्रों को पढ़ाया जाए तो ये किसी बड़े हादसे को दावत देने जैसा होगा. हालांकि ऐसा भी नहीं है कि स्कूल की खराब हालत की जानकारी अधिकारियों को नहीं है, लेकिन सब कुछ जानते हुए भी अधिकारी हाथ पर हाथ धरे हादसे का इंतजार कर रहे हैं. बात करें मिड डे मील की तो यहां मिड डे मील भी खुले आसमान के नीचे बनाया जाता है. स्कूल में बदइंतजामी का अंबार है, लेकिन शासन-प्रशासन को इसकी कोई सुध नहीं.

बिहार से शिक्षा की बदहाली की तस्वीरें अक्सर सामने आती ही रहती है, लेकिन इन तस्वीरों को आपतक पहुंचाना इसलिए जरूरी होता है क्योंकि इन तस्वीरों के जरिए आम जनता ये अंदाजा लगा लें कि चुनावी मौसम में गली-गली घूमकर वोट मांगने वाले उनके जनप्रतिनिधि चुनाव खत्म होने के बाद उनके इलाकों की सुध लेते भी हैं या नहीं. गोपालगंज में स्कूल की इस हालत ने एक बार फिर ये सवाल खड़ा कर दिया है कि अगर ऐसे पढ़ेगा बिहार तो कैसे बढ़ेगा बिहार?

रिपोर्ट : शैलेंद्र कुमार श्रीवास्तव

Source : News Nation Bureau

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