लेमनग्रास की खेती से महिलाओं की बदली किस्मत, लगभग एक हजार महिलाएं जुड़ी मुहीम से
पहले जहां बंजर भूमि पर अफीम की खेती होती थी, वहां अब लेमनग्रास की फसल लहलहा रही है. इनकी मदद करने के लिए सर्व सेवा समिति संस्था आगे आई है. संस्था के सहयोग से महिलाओं को लेमनग्रास की खेती करने एवं उसके उत्पाद को बेचने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है.
highlights
- महिलाओं को लेमनग्रास की खेती करने का दिया जा रहा प्रशिक्षण
- लगभग एक हजार महिलाएं लेमनग्रास और मशरूम की खेती से जुड़ गई
- सर्व सेवा समिति संस्था महिलाओं की मदद करने के लिए आई आगे
- बंजर भूमि आज लहलहा रही है लेमनग्रास की खेती से
Gaya:
बिहार के गया जिले के बांकेबाजार प्रखंड का इलाका कभी नक्सलियों का गढ़ माना जाता था. आज भी इस क्षेत्र में यदा-कदा नक्सल गतिविधि होती है. लेकिन वर्तमान समय में इस क्षेत्र की महिलाओं ने अपनी तकदीर खुद लिखनी शुरू कर दी है. पहले जहां बंजर भूमि पर अफीम की खेती होती थी, वहां अब लेमनग्रास की फसल लहलहा रही है. इनकी मदद करने के लिए सर्व सेवा समिति संस्था आगे आई है. संस्था के सहयोग से महिलाओं को लेमनग्रास की खेती करने एवं उसके उत्पाद को बेचने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. महिलाएं भी इस में बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रही हैं. जो महिलाएं पहले बेरोजगार थी और जिनकी आर्थिक स्थिति काफी खराब थी, वह अब लेमनग्रास और मशरूम की खेती कर संबल बन रही हैं और उनकी आर्थिक स्थिति भी सुधर रही है.
लगभग एक हजार महिलाएं लेमनग्रास की खेती से जुड़ी
बांकेबाजार प्रखंड के आजमगढ़ गांव की रहने वाली महिला प्रतिमा देवी ने बताया कि पहले हमलोगों को कोई काम-काज नहीं था. घर की स्थिति काफी खराब थी. लेकिन संस्था के द्वारा हमें मशरूम और लेमनग्रास खेती करने का प्रशिक्षण दिया गया. जिसके बाद हमलोगों ने खेती करनी शुरू की. जिससे अच्छी खासी आमदनी हो रही है. परिवार की स्थिति भी सुधर रही है. लेमन ग्रास की खेती कर उससे कई तरह के उत्पाद बनाए जा रहे हैं. शुरू में कुछ महिलाएं ही इससे जुड़ी थी. लेकिन वर्तमान समय में लगभग एक हजार महिलाएं लेमनग्रास और मशरूम की खेती से जुड़ गई हैं. जिससे उन्हें अच्छी आमदनी हो रही है और परिवार का जीवकोपार्जन हो रहा है. पहले हमारा क्षेत्र नक्सलवाद के लिए जाना जाता था, विकास का कोई भी काम नहीं होता था. रोजी-रोटी के लिए भी सोचना पड़ता था. लेकिन अब हमलोग कई तरह के उत्पाद बना रहे हैं और बाजार में बेचकर अच्छी आमदनी भी हमें हो रही है.
महिलाओं की हो रही हैं अच्छी आमदनी
वहीं, सर्व सेवा समिति संस्था के जिला प्रबंधक रजनी भूषण ने बताया कि बांकेबाजार प्रखंड काफी सुदूरवर्ती क्षेत्र माना जाता है. यह गया जिला मुख्यालय से लगभग 70 किलोमीटर दूर है. जिसकी अधिकांश भूमि बंजर है और पहाड़ों से घिरा हुआ क्षेत्र है. जिसके बाद हमलोगों ने कृषि विभाग से संपर्क किया और बंजर भूमि पर मशरूम और लेमनग्रास की खेती करने की शुरुआत की. इसके लिए क्षेत्र की महिलाओं को हम लोगों ने जोड़ा वर्तमान समय में लगभग 1 हजार से अधिक महिलाएं इस खेती-बारी से जुड़ी हुई हैं और उनकी अच्छी आमदनी हो रही है.
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बंजर भूमि आज लहलहा रही है लेमनग्रास की खेती से
जो भूमि पहले बंजर रहती थी, वह लेमनग्रास की खेती से लहलहा रही है. लेमनग्रास से तेल, साबुन, सैनिटाइजर, फिनाइल सहित कई उत्पाद बनाये जा रहे हैं, जिनकी बिक्री हो रही है. महिलाओं को 2 माह में लगभग 12 हजार रुपये की आमदनी हो रही है. लेमनग्रास की एक बार खेती करने पर 5 साल तक फसल लहलहाती रहती है. छह 6 महीने पर इसके प्रोडक्ट बेचे जाए, तो लगभग 40 हजार रुपये की आमदनी होती है. हमारा प्रयास है कि इस कार्य से और भी महिलाओं को जोड़ें, ताकि उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो और उनका जीवन स्तर ऊपर उठे. इसके लिए हमलोग लगातार प्रयासरत हैं.
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