बिहार की राजनीति में इन दिनों लालू के दोनों बेटों के बीच रार की खबरें आ रही है। राजनीतिक घरानों में सत्ता का संघर्ष हमेशा बना रहा है अभी हाल में ही उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के अंदर सत्ता को लेकर चाचा और भतीजे में रार देखने को मिली तो अब लालू के दोनों पुत्र तेज़ प्रताप और तेजस्वी यादव के बीच दूरी की खबर आ रही है. दूरी ऐसी हो गई है कि अब पार्टी गतिविधियों से खुद को अलग कर तेज़ प्रताप अलग लकीर खींचने में जुटे हैं.
जिस तरह करुणानिधि ने अपने छोटे बेटे स्टालिन को पार्टी की बागडोर दी थी और बड़े बेटे अलागिरी दरकिनार हो गए थे ऐसी ही स्थिति अब लालू प्रसाद यादव के परिवार में भी देखने को मिल रही है.
छोटे बेटे तेजस्वी को पार्टी की कमान और बड़े बेटे तेज़ प्रताप को दरकिनार करने का नतीजा है कि आये दिन बगावती तेवर तेज हो रहे है. कभी फेसबुक तो कभी ट्विटर पर गुस्से का इज़हार किया जा रहा है. हद तब हो गयी जब लालू यादव के पटना आवास 10 सर्कुलर रॉड पर मंगलवार को पार्टी की महत्वपूर्ण बैठक थी और उसमे हर स्तर के नेता मौजूद थे. लालू यादव की पत्नी राबड़ी देवी, पुत्र तेजस्वी यादव, पुत्री मीसा भारती मगर लालू के बड़े बेटे तेज़ प्रताप नदारद दिखे.
ऐसा नही वो पटना या घर मे मौजूद नही थे. तेज़ प्रताप जब बैठक चल रही थी तो उसी परिसर में थे। तेज़ प्रताप अपने छात्र राजद विंग के सदस्यों का एक पदयात्रा भी तेजस्वी के हाथों करवाना चाहते थे मगर तेजस्वी ने बैठक के बाद प्रेस से बात कर तेज़ प्रताप के कार्यक्रम से किनारा किया। देर शाम तेज़ प्रताप ने खुद घर से दूर एक मंदिर से अपने कार्यकर्ताओं को रवाना किया. जो कार्यक्रम पार्टी या तेजस्वी कर रहे उससे नही तेज़ प्रताप को कोई सरोकार नहीं होता. वो अपनी अलग पहचान बनाने में हैं.
पार्टी के युवा विंग का कार्यक्रम बना पदयात्रा करवाया और अब सिताब दियारा कार्यक्रम के समापन में गए. मगर इस कार्यक्रम में तेजस्वी का जिक्र तक नही था।तेज़ प्रताप अपनी लकीर खींच रहे हैं। चेहरे के भाव बता रहे थे कि तेज़ कितना नाराज़ और परेशान हैं.
इधर ये परेशानी बिहार के सत्तारूढ़ दल को दिख गयी है. जद यू के प्रवक्ता राजीव रंजन कह रहे कि अब तो लालू यादव का परिवार टूट के कगार पर है.
इस पूरे मसले पर पार्टी के नेता कैमरे के पीछे तो बहुत कुछ कहते हैं मगर सामने दबे स्वर में तेज प्रताप का एक अलग चित्रण करते हैं। तेज़ खुद को पार्टी का मास्टर बताते रहे हैं,कृष्ण कहते रहे हैं मगर पार्टी के नेता इन्हें तबज़्ज़ओ नही देते वे उन्हें मनमौजी कहते हैं.
Source : News Nation Bureau