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Rohini Acharya Quite Politics: बिहार चुनाव परिणामों के अगले ही दिन लालू प्रसाद यादव को एक और झटका लगा है. दरअसल उनकी बेटी रोहिणी आचार्य ने अचानक राजनीति से संन्यास लेने का ऐलान कर सबको हैरान कर दिया. यही नहीं उन्होंने राजनीतिक के साथ-साथ लालू परिवार से भी नाता तोड़ने की बात कही है. एक्स (पूर्व ट्विटर) पर अपने संदेश में उन्होंने न सिर्फ राजनीति छोड़ने की बात कही, बल्कि यह भी कहा कि वे परिवार से दूरी बनाकर शांत जीवन जीना चाहती हैं. उनके इस भावनात्मक पोस्ट ने राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर दी है, क्योंकि यह फैसला चुनाव परिणामों की पृष्ठभूमि में लिया गया है जब आरजेडी बेहद खराब प्रदर्शन से गुजर रही है.
As PM @narendramodi predicted-
— Pradeep Bhandari(प्रदीप भंडारी)🇮🇳 (@pradip103) November 15, 2025
"PARIVAR VS PARIVAR" POST BIHAR ELECTION RESULTS. https://t.co/DBNrxt91KA
संजय यादव और रमीज़ पर गंभीर आरोप
रोहिणी ने अपने बयान में खुलकर कहा कि संजय यादव और रमीज़ के दबाव में उन्हें यह बड़ा निर्णय लेना पड़ा. उन्होंने लिखा कि दोष वे खुद ले रही हैं, लेकिन असल स्थिति बेहद जटिल है. इस आरोप ने आरजेडी के भीतर जारी खींचतान को पहली बार सार्वजनिक रूप से उजागर कर दिया. यह भी स्पष्ट हुआ कि परिवार के भीतर का तनाव सिर्फ व्यक्तिगत नहीं, बल्कि राजनीतिक संतुलन पर भी असर डाल रहा है.
आरजेडी की प्रतिक्रिया: ‘यह परिवार का आंतरिक मामला’
रोहिणी के बयान पर आरजेडी ने छोटी लेकिन महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया दी. पार्टी की ओर से कहा गया कि यह परिवार का निजी मसला है और इसे ज्यादा राजनीतिक रंग देने की जरूरत नहीं है. हालांकि, पार्टी का यह रुख यह भी दर्शाता है कि संगठन फिलहाल इस विवाद को सार्वजनिक मंच पर बढ़ाना नहीं चाहता. लेकिन मुद्दा जितना दबाने की कोशिश की जा रही है, उतना ही राजनीतिक रूप से यह गंभीर होता जा रहा है.
विपक्ष का तंज और राजनीतिक निहितार्थ
बीजेपी नेता प्रदीप भंडारी ने रोहिणी के पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की “परिवार बनाम परिवार” वाली भविष्यवाणी अब सच होती दिख रही है. उन्होंने दावा किया कि आरजेडी का अंदरूनी संकट अब खुलकर सामने आ चुका है. इस बयान ने राजनीतिक बहस को और तेज कर दिया. चुनावी हार के बाद आरजेडी जिस मानसिक दबाव में है, यह विवाद उस पर अतिरिक्त बोझ की तरह है.
आरजेडी के भविष्य पर बड़ा सवाल
चुनाव में मात्र 25 सीटों पर सिमट जाना आरजेडी की संगठनात्मक कमजोरी और नेतृत्व संकट का संकेत देता है. तेजस्वी यादव की अपील सीमित होती जा रही है, वहीं टिकट बंटवारे और रणनीति को लेकर लालू परिवार के भीतर की खींचतान लंबे समय से सुर्खियों में रही है. रोहिणी का यह कदम उस टूटन को सार्वजनिक कर देता है, जिसका असर आने वाले समय में आरजेडी की दिशा और मजबूती दोनों पर पड़ सकता है.
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