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क्या लालू यादव को था इस बात का डर, जिसके कारण बेटों को नहीं दी पार्टी की जिम्मेदारी?

यूं तो देश में कई राजनीतिक दलों के मुखियाओं ने अपने दल की कमान बेटों को दी, मगर लालू प्रसाद यादव इस बात में विश्वास नहीं रखते.

Updated on: 03 Dec 2019, 03:37 PM

पटना:

यूं तो देश में कई राजनीतिक दलों के मुखियाओं ने अपने दल की कमान बेटों को दी, मगर लालू प्रसाद यादव इस बात में विश्वास नहीं रखते. तभी तो जेल में रहते हुए भी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष फिर से लालू ही हुए. बेटों ने पिता के लिए नामांकन किया और विरोधियों ने माखौल बनाया. 1997 में जनता दल से अलग हो लालू प्रसाद यादव ने अपनी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल बनाई. इस दल के सर्वेसर्वा लालू रहे और इस दल ने राज्य के साथ केंद्र की सरकार में भी भूमिका निभाई. 2015 में लालू यादव ने नीतीश कुमार से हाथ मिलाकर बीजेपी को बिहार में सत्ता से दूर किया. गठबंधन टूटा तो लालू की पार्टी मुख्य विपक्षी दल की भूमिका में आ गई और इस दौरान लालू प्रसाद चारा घोटाले में जेल चले गए.

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अब जब फिर से संगठनात्मक चुनाव का वक्त आया तो चर्चा हुई के तेजस्वी यादव विधायक दल के नेता हैं और लालू अब जेल में हैं, सो पार्टी की कमान तेजस्वी को दी जाएगी. मगर मंगलवार को जब बात नामांकन की आई तो लालू के दोनों पुत्र तेजप्रताप और तेजस्वी यादव ने पिता के लिए पार्टी कार्यालय पहुंचकर नामांकन का पर्चा भरा. पिता के ही फिर से राष्ट्रीय अध्यक्ष होने की घोषणा भी कर दी.

समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने अपने बेटे अखिलेश यादव को पार्टी की कमान दे रखी है. हाल ही में लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के राम विलास पासवान ने भी अपने बेटे चिराग पासवान को पार्टी का अध्यक्ष बनाया है. मगर लालू यादव चुनावी साल में पार्टी और परिवार के अंदर टूट का जोखिम उठाने को तैयार नहीं हैं. क्योंकि लालू के घर में सत्ता का महाभारत कैसा चल रहा ये किसी से नहीं छुपा है, लिहाजा लालू को इस बात का डर है कि कहीं पार्टी को लेकर दोनों भाई ही आपस में ना भिड़ जाएं.

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मसलन, जब तेजस्वी यादव से इसको लेकर सवाल पूछा गया तो उनके पास भी इसका पूरा जवाब नहीं था. उन्होंने कहा कि मुझे नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी है. लेकिन अब विरोधियों ने लालू प्रसाद यादव के अपने पुत्र पर भरोसा नहीं करने का आरोप लगना शुरू कर दिया है. राज्य की सत्ताधारी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) और बीजेपी के नेताओं का मानना है कि लालू यादव को पता है कि अगर ऐसा हुआ तो पार्टी और परिवार में टूट पड़ जाएगी. सो जेल में रहते पार्टी लालू ही संभालेंगे.

भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता निखिल आनंद का कहना है कि तेजस्वी यादव में अब भी वो दम नहीं है कि वो पार्टी चला लें. इधर, जदयू के प्रवक्ता राजीव रंजन का कहना है कि लालू प्रसाद यादव को पता है कि बेटे पार्टी को चला ही नहीं पाएंगे. ऐसे में यह तय है कि लालू प्रसाद यादव फिलहाल 2 वर्ष के लिए पार्टी के सिरमौर रहेंगे, जबकि उनके दोनों बेटों को पार्टी की कुर्सी संभालने के लिए और इंतजार करना पड़ेगा.

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