अब समय आ गया है... तुम उठो, तुम भी लड़ोः लालू यादव
लालू यादव का ये खत महज़ धन्यवाद ज्ञापन के लिए नही है. दरअसल लालू यादव ने गिरते स्वास्थ के बावजूद अपनी प्रासंगिकता बिहार की राजनीति में बनाए रखने की कोशिश की है.
highlights
- शनिवार को जन्मदिन मनाने के बाद समर्थकों को लिखा पत्र
- शुभकामनाओं और आशीर्वाद के लिए दिया धन्यवाद
- सांप्रदायिकता और असमानता के खिलाफ संघर्ष की अपील
पटना:
राजद सुप्रीमो लालू यादव हमेशा से देश की राजनीति में चर्चा में रहे और बिहार की राजनीति के केंद्र में बने रहे. पिछले तीन दशक से ज्यादा गुज़र गए जब से बिहार की राजनीति लालू यादव के पक्ष और विरोध के आर पार बनी रही. शनिवार को लालू यादव 75 वर्ष के हो गए. अस्वस्थ होने पर भी लालू यादव ने राजद कार्यालय में कार्यकर्ताओं के साथ और अपने आवास पर करीबियों के साथ जन्मदिन मनाया. लालू यादव ने प्रदेश कार्यालय में दोनों बेटों के साथ पहुंच नेताओं के साथ वक़्त भी गुजारा. कल सुबह से शाम लालू यादव का जन्मदिन चर्चा में रहा. 75 किलो का लड्डू उन्होंने काटा और फूल फल के साथ बधाइयों का तांता लगा रहा था. अब आज लालू प्रसाद यादव ने एक खुला खत अपने समर्थकों और चाहने वालों के लिए लिखा है.
प्यारे दोस्तों,
मुझे हर्ष है कि आप सबों ने कल मेरे जन्मदिवस पर असीम प्यार व अनंत दीं. गरीबों को भोजन करवाया, राशन-अंग वस्त्र व पठन पाठन सामग्री बांटी, पौधारोपण और रक्तदान कर सामाजिक न्याय एवं सद्भावना दिवस मनाया. आपका कैसे आभार व्यक्त करूं? आपके अपनत्व और स्नेह ने हर शब्द को बौना बना दिया. शुभकामनाओं के लिए आपको सहृदय कोटिशः धन्यवाद!
आज यही कहना चाहता हूँ कि संसाधनों की कमी से नहीं मज़बूत इरादों की कमी से न्याय की भावना को नुक़सान पहुंचता है इसलिए मैं देश और बिहार की जनता से आह्वान करता हूं कि इरादों को मज़बूत करो, सांप्रदायिकता व असमानता के विरुद्ध मुखर आवाज़ बनो, अन्याय से लड़ो, बराबरी के लिए लड़ो ताकि हर गरीब, वंचित, शोषित को हम न्याय दिला सके. उन्हें तरक़्क़ी के रास्ते पर आगे बढ़ा सके क्यूंकि देश इन्हीं के साथ आगे बढ़ेगा. इनकी आवाज़ जितनी सशक्त होगी देश भी उतना ही विकसित होगा.
मैं लड़ता रहा जीवन भर न्याय के लिए अब समय आ गया है तुम उठो, तुम भी लड़ो.
आपका
लालू प्रसाद यादव
बिहार की राजनीति में प्रासंगिक बने रहने की जद्दोजहद
लालू यादव का ये खत महज़ धन्यवाद ज्ञापन के लिए नही है. दरअसल लालू यादव ने गिरते स्वास्थ के बावजूद अपनी प्रासंगिकता बिहार की राजनीति में बनाए रखने की कोशिश की है. लालू यादव को पता है कि उनका ये भावनात्मक खत उनके समर्थकों को गोलबंद रखने में कारगर साबित होगा. लड़ाई लंबी है और लालू यादव अब अपने बाद अपने बेटों और अपनी पार्टी को बिहार की सत्ता के केंद्र में बनाए रखने के प्रयास में हैं.
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