बिहार: जलजमाव के कारण 'दाल का कटोरा' टाल क्षेत्र में किसान मायूस
बिहार के लखीसराय जिला से लेकर पटना जिला तक फैले टाल (ताल) क्षेत्र को ऐसे तो 'दाल का कटोरा' माना जाता है, परंतु इस साल जलजमाव के कारण क्षेत्र के किसानों के 'सुर' बदल गए हैं.
नई दिल्ली:
बिहार के लखीसराय जिला से लेकर पटना जिला तक फैले टाल (ताल) क्षेत्र को ऐसे तो 'दाल का कटोरा' माना जाता है, परंतु इस साल जलजमाव के कारण क्षेत्र के किसानों के 'सुर' बदल गए हैं. इस क्षेत्र के किसान इस साल अधिक दिनों तक जलजमाव के कारण परेशान हैं. गंगा नदी के किनारे स्थित क्षेत्र का नाम निचले क्षेत्र होने के कारण 'टाल क्षेत्र' पड़ा है. बिहार के कृषि उत्पादन में इस क्षेत्र की अहम भमिका है. बिहार में लखीसराय से पटना तक फैले इस क्षेत्र में बख्तियारपुर, बाढ़, फतुहा, मोकामा, मोर, बड़हिया और सिंघौल टाल क्षेत्र में आते हैं. करीब 110 किलोमीटर लंबाई और 6 से 15 किलोमीटर की चौड़ाई में पसरा यह क्षेत्र दाल के उत्पादन के लिए मशहूर है.
यह क्षेत्र दाल की पैदावार खासकर मसूर, चना, मटर के लिए काफी उपयुक्त माना जाता है. एक-दो सालों से हालांकि यहां की स्थिति में बदलाव हुआ है. इस साल जलजमाव के अधिक समय तक रह जाने के करण परेशानी और बढ़ गई है.
इसे भी पढ़ें:50-50 फॉर्मूले पर जारी खींचतान के बीच उद्धव ठाकरे से मिल सकते हैं गृह मंत्री अमित शाह
मोकामा के किसान रविन्द्र सिंह कहते हैं, 'बीते एक महीने से टाल क्षेत्र के खेत पानी में डूबे हुए हैं। खेतों में 10 फुट तक पानी है. निकासी की रफ्तार काफी धीमी है.'
उन्होंने कहा कि 'पहले बारिश के मौसम जुलाई-अगस्त से सितंबर तक इस टाल क्षेत्र में जलजमाव हो जाता था और फिर सितंबर के अंत तक खुद-ब-खुद पानी निकल जाता था. इससे किसान समय पर दलहन की फसलें बो दिया करते थे और मार्च तक फसल काटकर निश्चिंत हो जाते थे। अब ऐसा नहीं है.'
कृषि वैज्ञानिक डॉ वीडी सिंह कहते हैं, 'टाल क्षेत्र में जलजमाव के कारण अब तक अधिकांश क्षेत्रों में दलहन की खेती न के बराबर प्रारंभ हुई है. ऐसे में अगर विलंब से खेती प्रारंभ होगी तो स्वाभाविक है कि उत्पादन पर इसका असर पड़ेगा.
किसान बताते हैं कि टाल क्षेत्र में जलभराव की समस्या कोई आज की नहीं है, परंतु हाल के दिनों में यह समस्या बढ़ी है. किसानों का कहना है कि नवंबर के पूर्वार्ध में पानी नहीं निकल पाया, तो इस साल दलहन की खेती ही मुश्किल हो जाएगी.
सूत्रों का कहना है कि टाल क्षेत्र में जलजमाव रोकने के लिए पिछले दिनों जल संसाधन विभाग ने छोटी नदियों में चेकडैम बनाने की योजना बनाई थी, परंतु अब तक यह योजना जमीन पर नहीं उतरी है.
कृषि मंत्री प्रेम कुमार इस समस्या को लेकर बहुत कुछ नहीं कहते. उन्होंने कहा, 'सरकार किसानों की चिंता को लेकर सजग है. यहीं कारण है कि सूखे और बाढ़ से प्रभावित इलाकों के लिए अनुदान देने के लिए कार्य प्रगति पर है. टाल क्षेत्र की भी समस्याओं को सरकार देखेगी.'
आंकडों पर गौर करें तो राज्य में अधिकांश दलहन की खेती इसी टाल क्षेत्र में होती है. कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2017-18 में जहां चना का कुल उत्पादन 67,177 कुंटल था, वहीं 2018-19 में चना का उत्पादन 98,857 कुंटल दर्ज किया गया था.
और पढ़ें:दिल्ली- किराड़ी इलाके में फॉम फैक्ट्री में आग, दमकल की 7 गाड़ियां मौके पर
इस क्षेत्र में वर्ष 2016-17 में मसूर का कुल उत्पादन 1,46,875 कुंटल था, वहीं 2017-18 में उत्पादन बढ़कर 1,47,492 कुंटल पहुंच गया. परंतु वर्ष 2018-19 में मसूर का उत्पादन घटकर 1,42,808 कुंटल हो गया.
बहरहाल, किसान इस साल दलहन की खेती को लेकर अब तक मायूस हैं. माना जा रहा है कि इस क्षेत्र की आर्थिक स्थिति पर प्रभाव डालने वाली दलहन की खेती समय पर अगर प्रारंभ नहीं हुई तो किसानों की ही नहीं, बिहार के लोगों के खाने की थाली में परोसी जाने वाली दाल महंगी हो जाएगी, और इसका राज्य की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ेगा.
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Rang Panchami 2024: आज या कल कब है रंग पंचमी, पूजा का शुभ मुहूर्त और इसका महत्व जानिए
-
Good Friday 2024: क्यों मनाया जाता है गुड फ्राइडे, जानें ये 5 बड़ी बातें
-
Surya Grahan 2024: सूर्य ग्रहण 2024 किन राशि वालों के लिए होगा लकी
-
Bhavishya Puran Predictions: भविष्य पुराण के अनुसार साल 2024 की बड़ी भविष्यवाणियां