लखीसराय सदर अस्पताल के हाल बेहाल हैं. वैसे तो लखीसराय अस्पताल में 6-6 एंबुलेंस खड़ी रहती हैं, लेकिन कभी भी आम आदमी को एंबुलेंस का लाभ नहीं मिल पाता. वहीं, शव वाहन का तो इतना बुरा हाल है कि उसे स्टार्ट करने के लिए धक्के लगाने पड़ते हैं. बिहार सरकार की कोशिश है कि मिशन 60 के तहत सदर अस्पतालों का सुधार किया जा सके, लेकिन सुधार है कि होता ही नहीं. लखीसराय के सदर अस्पताल में हालत ये है कि शव वाहन की हालत खुद शव की तरह ही हो चुकी है. सदर अस्पताल में शव वाहन तो है, लेकिन सिर्फ दिखाने के लिए. आलम ये है कि अगर कई कई महीने शव वाहन खराब पड़ा रहता है. यानि कि अगर किसी मरीज की मौत सदर अस्पताल में हो जाए तो उसके शव को पहुंचाने के लिए शव वाहन कागजों पर उपलब्ध रहता है, लेकिन वास्तविकता ये है कि मृतक के परिजन शव को निजी एंबुलेंस से ले जाने के लिए मजबूर रहते हैं.
वहीं, जब शव वाहन के चालक से बात की गई तो उसने जो जानकारी दी वो हैरान करने वाला थी. शव वाहन चालक के मुताबिक शव वाहन में कई महीनों से बैट्री खराब पड़ी है. ठेकेदारों को एंबुलेंस और शव रिपेयर करने का पैसा भी दिया जाता है. शव वाहन के खराब होने की जानकारी भी शीर्ष अधिकारियों को दी गई, लेकिन शव वाहन को ठीक नहीं कराया गया. 6-6 एंबुलेंस वाले सदर अस्पताल में मरीजों को कंधों पर और साइकिल पर लादकर लाना पड़ता है. कुल मिलाकर सदर अस्पताल में ना तो मरीजों के लिए स्ट्रेचर है और ना ही एंबुलेंस और शव वाहन की हालत खराब है. वरिष्ठ नागरिकों के लिए भी अस्पताल प्रशासन की तरफ से एंबुलेंस नहीं गई.
रिपोर्ट : अजय झा
Source : News State Bihar Jharkhand