Coronavirus (Covid-19): बिहार के कृषि और पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री डॉ़ प्रेम कुमार (Prem Kumar) ने कहा कि अन्य राज्यों से वापस लौटे बिहार के लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा. उन्होंने कहा कि विभाग बायोटेक किसान हब योजना के तहत मखाना उत्पादन, मधुमक्खीपालन, टिशू कल्चर केला उत्पादन, बकरीपालन एवं मशरूम उत्पादन के माध्यम से लौटे लोगों को जीविकोपार्जन के लिए प्रेरित करेगा. रोजगार (Employment) के लिए अन्य राज्यों में पलायन कर चुके युवक कोरोना वायरस (Coronavirus (Covid-19), Lockdown Part 2 Day 1, Lockdown 2.0 Day one, Corona Virus In India, Corona In India, Covid-19) संक्रमण के कारण बड़ी संख्या में वापस अपने घर लौटे हैं. उन्होंने कहा कि बिहार कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत सभी महाविद्यालयों में स्नातक, परास्नातक एवं शोध छात्रों की पढ़ाई ऑनलाईन कोर्स के माध्यम से शुरू की गई है. बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर द्वारा 5028 क्विंटल धान के बीजों को भी तैयार किया गया है.
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लॉकडाउन समाप्त होने के बाद स्किल डेवलपमेंट ट्रेनिंग बृहद रूप से शुरू की जाएगी
सिंह ने कहा, "बायोटेक किसान हब योजना के तहत मखाना उत्पादन, मधुमक्खीपालन, टिशू कल्चर केला उत्पादन, बकरीपालन एवं मशरूम उत्पादन के माध्यम से अररिया, औरंगाबाद, बांका, खगड़िया, पूर्णिया एवं कटिहार में ऐसे युवक, जो अन्य राज्यों से लौटे हैं, उनको इस योजना के माध्यम से जीवकोपार्जन के लिए प्रेरित किया जा रहा है."उन्होंने कहा कि बायोटेक किसान हब योजना के महत पटना, लखीसराय एवं गया जिलों के किसानों को खेसारी फसल उत्पादन की विशेष जानकारी प्रदान की गई है. सिंह ने कहा, "अन्य राज्यों के लौटे युवकों के लॉकडाउन समाप्त होने के बाद स्किल डेवलपमेंट ट्रेनिंग बृहद रूप से शुरू की जाएगी."सिंह ने दावा करते हुए कहा कि खेती कार्य में लगे किसानों को कोरोना वायरस से बचाव हेतु सभी 21 कृषि विज्ञान केन्द्रों में 4200 मास्क का वितरण किया गया.
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कृषि तकनीकी एवं पशु स्वास्थ्य संबंधी जानकारी भी उपलब्ध कराई जा रही
बिहार कृषि विश्वविद्यालय द्वारा सभी महाविद्यालयों और कृषि विज्ञान केन्द्रों में किसानों को आम, मक्का, जूट, मशरूम एवं मसाला की फसलों एवं गेहूं की फसल कटाई की तैयारी में कोरोना संक्रमण से बचाव हेतु दिशा निर्देश, सावधानियों को लगातार संचार तकनीकों के माध्यम से जानकारी उपलब्ध कराई जा रही है. उन्होंने कहा कि बिहार कृषि विश्वविद्यालय द्वारा किसानों को समय-समय पर मौसम संबंधी जानकारी एवं आवश्यक सुझाव भी दिए जा रहे हैं. इसके अलावे समाचार पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से कृषि तकनीकी एवं पशु स्वास्थ्य संबंधी जानकारी भी उपलब्ध कराई जा रही है.