Year Ender Bihar Politics 2022: जानिए कैसे बिहार में 2022 में बने सियासी समीकरण देश में सुर्खियां बन गई
सियासत में ऐसे तो बदलाव कोई नई बात नहीं है, लेकिन बिहार में साल 2022 सियासत में बड़े उठा-पटक के रूप में याद किया जाएगा.
highlights
- 2022 में टूटा 22 सालों की सियासी दोस्ती
- 9 अगस्त 2022 बीजेपी के लिए रहा अमंगल
- बीजेपी का साथ छोड़ नीतीश ने थामा राजद का हाथ
Patna:
Year Ender Bihar Politics 2022: सियासत में ऐसे तो बदलाव कोई नई बात नहीं है, लेकिन बिहार में साल 2022 सियासत में बड़े उठा-पटक के रूप में याद किया जाएगा. साल के शुरुआत में तो सियासी हालात और समीकरण सामान्य थे, लेकिन अंदर ही अंदर सियासी चाल जरूर खेली जा रही थी. वहीं, जैसे ही 6 महीने गुजरे, बिहार में राजनीति खेल शुरू हो गया. इस खेल में पुराने सियासी दोस्त दुश्मन बन गए जबकि कई सियासी दुश्मन दोस्त बन गए. बिहार में 2022 में बने सियासी समीकरण देश में सुर्खियां बन गई.
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22 सालों का सियासी याराना
बिहार में जदयू और बीजेपी की दोस्ती काफी पुरानी है, लेकिन इस सियासी दोस्ती में खलबली मच गई. 22 सालों की दोस्ती साल 2022 में खत्म हो गई. BJP और JDU के बीच दोस्ती की डोर से एक-एक धागा उधड़ता गया, जो हर वक्त बिहार की राजनीति में साथ देते थे, वो सवाल उठाने लगे. तमाम सियासी हलचलों के बीच नीतीश ने वो स्टैंड लिया, जिसकी उम्मीद बीजेपी को भी नहीं होगी. बीजेपी का साथ छोड़ नीतीश ने राजद समेत बिहार में कई पार्टियों का दामन थाम, महागठबंधन की सरकार बना ली. इस सियासी बदलाव में नीतीश के साथ वो आये, जो 2022 के पहले दिन से ही नीतीश पर हमलावर थे. जनवरी में जो चाचा अच्छे नहीं लगते थे, अगस्त में तेजस्वी को नीतीश अब अच्छे लगने लगे.
9 अगस्त 2022 बीजेपी के लिए अमंगल
9 अगस्त 2022 यानि मंगलवार बीजेपी के लिए अमंगल रहा और सत्ता से दूर खड़ी आरजेडी के लिए शुभ मंगल. ये सब नीतीश के स्टैंड से हुआ. मंगलवार को दिनभर हाई वोल्टेज ड्रामा चलता रहा. बिहार के सियासी महकमें में कई सवाल थे. सवाल ये कि नीतीश कुमार का अगला कदम क्या होगा? उनके सीएम पद से इस्तीफा देने को लेकर भी सवाल थे, लेकिन दिन के 03.40 बजे नीतीश कुमार अकेले ही राजभवन निकले तो अटकलें साफ होने लगी.
चाचा-भतीजे की सरकार
बिहार में एक बार फिर चाचा-भतीजे की सरकार बन गई. बीजेपी से 22 साल पुरानी दोस्ती भूल नीतीश ने 2022 में आरजेडी और कांग्रेस के साथ महागठबंधन की सरकार बनाई, लेकिन ये सब ऐसे ही नहीं हुआ. इन तमाम राजनीतिक घटनाक्रम की शुरुआत सही मायनों में नवंबर, 2020 में उसी दिन हो गई, जिस दिन नीतीश कुमार ने एनडीए गठबंधन के नेता के तौर पर सातवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी.
बीजेपी में उनके सबसे भरोसेमंद दोस्त रहे सुशील मोदी को बिहार की राजनीति से बाहर कर, बीजेपी ने अपने दो नेताओं, तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी को उपमुख्यमंत्री बनवाया. नीतीश को यही लगा कि इस नई बीजेपी को अपने हिसाब से चला नहीं सकते. फिर आरसीपी विवाद, विजय सिन्हा के साथ तीखी नोक-झोंक और आखिरी चोट बीजेपी की तरफ से फिर ये हुआ कि पहली बार बीजेपी ने अपने सभी सातों मोर्चों की संयुक्त बैठक के लिए बिहार को चुना और इस बैठक के समापन के महज 10 दिनों के भीतर ही नीतीश ने बीजेपी को टाटा-टाटा बाय-बाय कह दिया.
2023 में बिहार का ये सियासी समीकरण देश की सियासत में भी हलचल पैदा करे, तो कोई बड़ी बात नहीं होगी. यानि बिहार की सियासत की लिहाज से 2022 ना केवल सियासी समीकरणों के उल्टफेर के लिए याद किया जाएगा बल्कि इस एक साल में राजनीतिक दोस्त बनने और दोस्ती टूटने की कवायद के रूप में भी याद किया जाएगा.
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