IPS के साथ मिलकर इस तरह अभिषेक ने रची थी 'चीफ जस्टिस' बनने की साजिश

सोचिए जिस पुलिस पर ठगों को दबोचने की जिम्मेदारी है, अगर उस पुलिस के मुखिया ही ठगी के शिकार हो जाएं तो क्या कहेंगे.

सोचिए जिस पुलिस पर ठगों को दबोचने की जिम्मेदारी है, अगर उस पुलिस के मुखिया ही ठगी के शिकार हो जाएं तो क्या कहेंगे.

author-image
Vineeta Kumari
New Update
fake ips

'चीफ जस्टिस' बनने की साजिश( Photo Credit : फाइल फोटो)

सोचिए जिस पुलिस पर ठगों को दबोचने की जिम्मेदारी है, अगर उस पुलिस के मुखिया ही ठगी के शिकार हो जाएं तो क्या कहेंगे. जी हां, बिहार पुलिस के मुखिया यानी डीजीपी साइबर फ्रॉड में फंसते गए, वो भी चीफ जस्टिस के नाम पर अपराधी जो कहता गया, वह वही करते गए. विभाग के सबसे बड़े अफसर के साथ हुई इस घटना ने सिस्टम पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं. दरअसल, ये कहानी उस नटवरलाल की है, जिसे आर्थिक अपराधी इकाई यानी ईओयू की टीम ने गिरफ्तार किया है. अभिषेक अग्रवाल नाम का यह शख्स IPS अफसर को बचाने के लिए फर्जी जज बनता था और डीजीपी को फोन कर दबाव बनाता था. साइबर अपराधी अभिषेक अग्रवाल ने IPS आदित्य को शराब कांड से बरी कराने के लिए 40 से 50 कॉल किए. उसने यह कॉल 22 अगस्त से 15 अक्टूबर के बीच में किए.

Advertisment

बिहार पुलिस के मुखिया साइबर अपराधी की जाल में इस तरह से फंस गए कि अभिषेक चीफ जस्टिस बोल कर जो-जो निर्देश देता था, डीजीपी उसे पूरा करते रहे. उसने फ्रॉड करने के लिए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय करोल की व्हाट्सअप पर उनकी फोटो और ट्रू कॉलर पर उनका नाम भी सेट किया था ताकि DGP को लगे कि वही मुख्य न्यायाधीश संजय करोल है. नौकरशाही इस बात पर हैरान हैं कि इस मामले में डीजीपी कैसे 'दबाव' में आ गये? डीजीपी एसके सिंघल पटना हाइकोर्ट का मुख्य न्यायाधीय बनकर फोन करने वाले अभिषेक अग्रवाल के दबाव में इस कदर आ गये थे कि आइजी मद्य निषेध को बुलाकर दो दिन के अंदर आदित्य कुमार पर दर्ज केस को खत्म कराने के निर्देश तक दे दिये थे.

दोस्त आदित्य की मदद करने के दौरान फंसे
इस मामले में तेजी इतनी थी कि चेन्नई में छुट्टी मनाने गये मामले की जांच से जुड़े एक अधिकारी को हवाई जहाज से कुछ घंटों के अंदर ही बुला लिया था. मिस्टेक ऑफ लॉ के आधार पर एसएसपी को दोषमुक्त कर दिया. यह पूरी घटना 10 से 15 सितंबर के बीच का बताया जा रहा है. डीजीपी ने शराब कांड में फंसे आईपीएस आदित्य को बरी किया तो अभिषेक IPS अफसर को मनचाही पोस्टिंग दिलाने के मिशन में जुट गया. अभिषेक अग्रवाल ने आईपीएस अफसर आदित्य कुमार को शराब कांड से बरी कराने के बाद जब पोस्टिंग के लिए दबाव बनाया तो डीजीपी ने डर के कारण फाइल की अनुशंसा भी कर दी. फाइल जब गृह विभाग पहुंची तो वहां मंथन शुरू हो गया.

एक आईपीएस पर लगे शराब कांड के आरोप को इतना जल्दी खत्म कर देना और फिर पोस्टिंग की अनुशंसा करना खुद में ही बड़े सवाल खड़े कर रहा था. गृह विभाग में मंथन चल ही रहा था कि इस बीच साइबर क्रिमिनल अभिषेक अग्रवाल लालच में आ गया. जिस तरह से उसने डीजीपी को शिकार बनाकर अपना काम करा लिया, ठीक ऐसे ही उसने चीफ जस्टिस बनकर गृह सचिव को फोन कर दिया. अभिषेक का यही एक फोन कॉल इस खुलासे की बड़ी कड़ी बन गया. 

सीएम हाउस तक अभिषेक की चर्चा
बार-बार गृह सचिव को फोन आने के बाद CM हाउस तक चर्चा होने लगी. मामला पूर्व मुख्य सचिव और सीएम नीतीश कुमार के प्रधान सचिव दीपक कुमार के संज्ञान में आया तो उन्होंने मामले की जांच कराने की तैयारी कर ली. जांच का जिम्मा आर्थिक अपराध ईकाई को सौंपा गया और जांच हुई तो नटवरलाल के इस पूरे खेल का पर्दाफाश हो गया और वो अब पुलिस गिरफ्त में हैं. दरअसल, DGP को अपने झांसे में लेने वाला अभिषेक अग्रवाल IAS-IPS से बड़ी आसानी से घुल-मिल जाता था. अभिषेक अग्रवाल की कुंडली EOU खंगाल रही है तो कई चौंकाने वाले मामले सामने आ रहे हैं.

टाइल्स का बिजनेस करता है अभिषेक
बताया जा रहा है कि अभिषेक अग्रवाल IAS, IPS, जज और नेताओं के पास पहुंचने के लिए अपनी बड़ी गाड़ी और महंगे गिफ्ट का प्रयोग करता था. अपने आप को बड़ा व्यापारी कहने वाला अभिषेक अग्रवाल अधिकारियों से ऐसे दोस्ती करता था, जैसे उनका कोई सगा हो. अक्सर अधिकारियों से 'फायदे की बात' करता था. यह फायदा कई मायनों में अधिकारियों को लालची बना देता था. अभिषेक अग्रवाल अधिकारियों से पहले ईमानदारी की बात करता था. अधिकारियों की खूब प्रशंसा करता था. धीरे-धीरे उनका करीबी हो जाता था, क्योंकि अभिषेक अधिकारियों को फायदा पहुंचाना चाहता थ.। दरअसल, अभिषेक टाइल्स का बिजनेसमैन है और अपने महंगे और इटालियन टाइल्स को लेकर वह अधिकारियों के घर में भी पहुंच बना लेता था. यहां तक कि अपने खर्च पर अधिकारियों के घर की टाइल्स बदलवा देता था. इस काम से अधिकारी और उनके परिवार वाले उससे खुश हो जाते थे, जिसका फायदा अभिषेक दूसरों पर धौंस जमाने लिए करता था.

अभिषेक पर पहले से दर्ज हैं कई मामले
अभिषेक अलग-अलग लोगों को अलग-अलग आदमी बनकर फोन करके काम निकलवाता था. एक अधिकारी के मुताबिक, अभिषेक कई बार गृह मंत्री का पीएस बनकर भी अफसरों को फोन करता था. MBA कर चुका अभिषेक अच्छी अंग्रेजी और दिल्ली वाली हिंदी बोलता था. अपनी बोलचाल और शिक्षित होने का उसने खूब फायदा उठाया. 2018 में भी पुलिस ने अभिषेक को गिरफ्तार कर तिहाड़ जेल भेजा था. इसके पहले 2014 में उसने बिहार के एक पुलिस अधीक्षक को भी ब्लैकमेल किया था. उस समय पुलिस अधीक्षक के पिता से मोटी रकम की भी वसूली की थी. इसके अलावे एक अन्य आईपीएस अफसर से भी दो लाख की ठगी में इसका नाम आया था. अभिषेक अग्रवाल पर बिहार में जालसाजी के कई मामले दर्ज हैं.

भागलपुर में भी अभिषेक पर मामला दर्ज है. अपने इस खेल में अभिषेक सोशल मीडिया का खूब उपयोग करता था. अभिषेक बड़े-बड़े अधिकारियों नेताओं के साथ फोटो खिंचाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट करता था ताकि लोगों के बीच उसका रुतबा बना रहे. इसके अलावा अभिषेक अपने पर्सनल फेसबुक पर बड़े नेता और अफसरों के साथ तस्वीरें लगाता था. बहरहाल, EOU ने आरोपी अभिषेक को धोखाधड़ी, फर्जी नाम से फोन करने और साइबर केस में जेल भेजा है. साथ ही पूछताछ में जो बातें निकलकर सामने आई है, उस आधार पर उस आईपीएस अफसर के खिलाफ भी केस दर्ज किया गया है. आईपीएस आदित्य कुमार के साथ मिलकर बड़ी साजिश रचने वाले अभिषेक अग्रवाल के कनेक्शन को खंगाला जा रहा ह.। खास बात यह है कि आर्थिक अपराध इकाई इस मामले में वित्तीय जांच करेगी. फिलहाल नटवरलाल के इस किस्से की खूब चर्चा हो रही है.

Source : News State Bihar Jharkhand

Bihar crime Bihar IPS Aditya Kumar High Court Fake Chief Justice Chief Justice DGP SK Singhal Abhishek Agarwal fake chief justice
      
Advertisment