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Politics: जानिए कर्नाटक में BJP की करारी हार के 5 कारण, आगामी चुनाव पर क्या होगा असर

कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 34 साल बाद बड़ी जीत हासिल की है. जिस मुद्दे को लेकर 2014 में बीजेपी सत्ता नें आई थी, उसी मुद्दे को लेकर राहुल गांधी ने प्रचंड बहुमत से दक्षिण में बीजेपी का जनाधार कम किया है.

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Vineeta Kumari
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कर्नाटक में BJP की करारी हार के 5 कारण( Photo Credit : फाइल फोटो)

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कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 34 साल बाद बड़ी जीत हासिल की है. जिस मुद्दे को लेकर 2014 में बीजेपी सत्ता नें आई थी, उसी मुद्दे को लेकर राहुल गांधी ने प्रचंड बहुमत से दक्षिण में बीजेपी का जनाधार कम किया है. वहीं, अब इससे नीतीश कुमार के विपक्ष एकता पर क्या प्रभाव पड़ता है. यह भी देखना होगा, लेकिन इस जीत से 2024 का फैसला हो गया, ये कहना बेईमानी होगी. हां इस जीत से विपक्षी एकता को जरूर बल मिलने की संभावना है. आइए जानते हैं कि इतनी बड़ी जीत हासिल करने में कांग्रेस कैसे सफल रही है. कार्नाटक चुनाव में कांग्रेसी नेताओं ने लगातार इस मुद्दे को हवा दिया. बीजेपी के कई मंत्री भ्रष्टाचार में लिप्त रहने के बावजूद चुनावी दंगल में उतरे. लगभग 11 बसवराज बोम्मई के मंत्रियों की चुनाव में हार हुई है. 

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40 फीसदी पे कमीशन बड़ा मुद्दा

40 फीसदी पे कमीशन को बड़ा हथियार बनाकर राहुल गांधी ने लगातार बीजेपी पर हमला जारी रखा और परिणाम सबके सामने है.

पैदल यात्रा से हुई सत्ता में वापसी

भले ही राहुल गांधी की पैदल यात्रा का बीजेपी के नेताओं ने मजाक बनाया. ये पैदल यात्रा कांग्रेस के लिए इस विधानसभा चुनाव में अहम साबित हुआ. इस य़ात्रा से राहुल गांधी की लोकप्रियता बढ़ी और उसी का फलाफल निकला कि कांग्रेस मुस्लिमों से लेकर दलित और ओबीसी को मजबूती से जोड़े रखने के साथ-साथ लिंगायत समुदाय के वोटबैंक में भी सेंधमारी करने में सफल रही है.

लिंगायत समुदाय को नाराज करना

बीजेपी ने पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को चुनावी जंग में अलग रखा. सीएम बोम्मई असरदार चेहरा साबित नहीं हुआ. सबसे बड़ी गलती बीजेपी ने पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार और पूर्व डिप्टी सीएम सावदी का टिकट काट कर किया. लिंगायत समुदाय इस राज्य का स्तंभ है और तीनों नेताओं इसी समुदाय से आते हैं. इनको अलग करना बीजेपी की करारी हार का भी एक कारण कहा जा सकता है.

2024 से तुलना करना बेईमानी होगी

बहुत देर से कांग्रेस को खुशी मनाने का मौका मिला है, लेकिन इस जीत की तुलना 2024 में होने वाली आम चुनाव से करना बेईमानी होगी. हां इस जीत से विपक्षी एकता को बल मिल सकता है. जिस तरह से सीएम नीतीश कुमार सभी विपक्षी पार्टियों को एक मंच पर लाने की कोशिश में जुटे हैं, उस राह को एक नया आयाम देने की तैयारी हो सकती है.

स्क्रिप्ट- पिन्टू कुमार झा

HIGHLIGHTS

  • लिंगायत समुदाय को उपेक्षा करना बीजेपी को महंगा पड़ा
  • राहुल की पैदल यात्रा ने लाई रंग
  • 2024 से इस की तुलना बेईमानी

Source : News State Bihar Jharkhand

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