बुजुर्ग पिता को अकेले कमरे में बंद कर ससुराल चला गया 'कलयुगी' बेटा, भूख-प्यास से तड़पता रहा
एक बार फिर एक बेटे ने पिता-पुत्र के रिश्ते को कलंकित कर दिया. बुजुर्ग बाप को घर के भीतर ताला बंद करके इकलौता पुत्र, अपने पूरे परिवार के साथ ससुराल चला गया.
highlights
- पिता को कमरे में बंद कर ससुराल चला गया बेटा
- ग्रामीणों ने बुजुर्ग पिता को निकाला बंद कमरे से बाहर
- कलयुगी बेटे ने समाज पर खड़ा किया सवाल
West Champaran:
एक बार फिर एक बेटे ने पिता-पुत्र के रिश्ते को कलंकित कर दिया. बुजुर्ग बाप को घर के भीतर ताला बंद करके इकलौता पुत्र, अपने पूरे परिवार के साथ ससुराल चला गया. पिता भूख-प्यास से तड़पता रहा. कोई देखने, सुनने वाला नहीं. चार दिन बाद, जब आस पड़ोस के लोगों ने गेट बजाने की आवाज सुनी, तो सभी हैरान रह गए. फिर मुखिया, सरपंच समेत ग्रामीण जुटे और पुलिस प्रशासन की मौजूदगी में घर का ताला तोड़कर बुजुर्ग को बाहर निकाला. फिर क्या यह मामला जंगल में आग के तरह फैल गई और देखते ही देखते स्थल पर सैकड़ों लोग जुट गए. जो भी यह सुनता, पुत्र को कोसने लगता. दरअसल, यह पूरा मामला पश्चिम चंपारण जिला के नरकटियागंज का है.
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पिता को कमरे में बंद कर ससुराल चला गया बेटा
अनुमंडल मुख्यालय शहर से करीब पांच किलोमीटर दूर मलदहिया चौक वार्ड 13 में करीब साठ वर्षीय मोहन वर्णवाल को उसको इकलौते पुत्र राजेश उर्फ गुड्डू वर्नवाल ने घर में बंद कर दिया और पूरे परिवार को लेकर ससुराल निकल गया. चौथे दिन बाद जब आस-पास के लोगों को इसकी भनक लगी तो उन्होंने इसकी जानकारी मुखिया को दी. तब पंचायत के मुखिया समेत अनेकों ग्रामीणों ने पुलिस की मौजूदगी में घर का ताला तोड़कर विवश मोहन वर्णवाल को बाहर निकाला और उन्हें जूस पिलाया.
ग्रामीणों ने बुजुर्ग पिता को निकाला बंद कमरे से बाहर
ग्रामीणों का कहना है कि राजेश ने अपने पिता को मरने के लिए घर में बंद कर दिया था. वहीं पुत्र राजेश उर्फ गुड्डू का कहना है कि उसके पिता की दिमागी हालत ठीक नहीं है. घटनास्थल पर पहुंचे एसआई अरविंद कुमार ने बताया कि लोगों की सूचना पर वहां पहुंचा और बंद कमरे से एक बुजुर्ग को बाहर निकाला है. आगे की कार्रवाई के लिए जांच की जा रही है.
कलयुगी बेटे ने समाज पर खड़ा किया सवाल
इस घटना ने इंसानियत पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है. जिस माता-पिता ने हमें जन्म दिया और पाल-पोष कर बड़ा किया, उसको आज इस हालत में छोड़ दिया जा रहा है कि वह भूखा प्यासा मरने को विवश है. क्या इसलिए हमें मां-पिता इस लाइक बनाते हैं कि जब उम्र के इस पड़ाव में उन्हें हमारी जरूरत हो तब उन्हें छोड़ दिया जाए.
रिपोर्टर- सत्येन्द्र कुमार पाण्डेय
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