बिहार में आठवें दिन भी सभी मेडिकल कॉलेजों के जूनियर डॉक्टर अपनी जिद पर अड़े हैं. सबसे ज्यादा बुरे हालात पटना के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच (PMCH) के हैं. जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल का इस कदर बुरा प्रभाव पड़ा है कि पीएमसीएच के हथुआ वार्ड में 90 प्रतिशत बेड खाली हो गए हैं. अस्पताल के इस वार्ड में मात्र 10 प्रतिशत ऐसे मरीज बैठे हैं जिन्हें डॉक्टरों के आने का इंतजार हैं. जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल से जहां स्वास्थ सेवा पूरी तरह से प्रभावित है.
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वहीं, अस्पताल के अधिकांश वार्ड नर्सों की जिम्में हैं तो वहीं अस्पताल में पहले से भर्ती मरीजों का इलाज भी अब भगवान भरोसे ही चल रहा है. अस्पताल में डॉक्टरों की हड़ताल से सबसे बुरा असर उन मरीजों का है जिनका ऑपरेशन होना है. पटना पीएमसीएच में अब तक डॉक्टरों की हड़ताल से 100 से अधिक मरीजों के ऑपरेशन टल गए हैं तो वहीं कईयों को मौत के मुंह में भी जाना पड़ा है.
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दरअसल बिहार में जूनियर डॉक्टर पिछले 8 दिनों से स्टाइपेंड बढ़ाने की मांग को लेकर हड़ताल पर हैं. सरकार और उनके बीच अभी हड़ताल को तोड़ने को लेकर सफल वार्ता नहीं हो सकी है, ऐसे में इसका बुरा प्रभाव पूरे बिहार के स्वास्थ्य व्यवस्था पर पड़ रहा है. बिहार में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल को देखते हुए पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने भी सीएम नीतीश कुमार और स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे से इस मामले में हस्तक्षेप करने और हड़ताल को जल्द से जल्द खत्म कराने की मांग की.
Source : News Nation Bureau