बिहार में इसी साल विधानसभा के चुनाव होने हैं. हालांकि अभी तक चुनावी बिगुल बजा नहीं है. लेकिन सियासी दल जोर-शोर से तैयारियों में जुट गए हैं. लगातार नए-नए सियासी कदम या बयान या समीकरण सामने आ रहे हैं. इस बीच बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी के बयान ने विपक्ष के महागठबंधन में हलचल मचा दी है. उन्होंने दलित, मुस्लिम या अति पिछड़ा वर्ग का कार्ड खेला है. मांझी का कहना है कि बिहार का अगला सीएम DMA फॉर्मूला पर होगा.
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पूर्व मुख्यमंत्री मांझी कहते हैं कि अगर बिहार में हमारी गठबंधन की सरकार बनती है या सरकार बनाने में हमारा सहयोग होगा तो शर्त यह होगी कि बिहार में एक मुख्यमंत्री और 2 डिप्टी सीएम होंगे. उन्होंने कहा कि बिहार का अगला मुख्यमंत्री दलित, मुस्लिम या अति पिछड़ा समुदाय से हो. उन्होंने कहा कि इन तीन पदों में से एक पद पर महिला भी हो. जीतन राम मांझी ने कहा कि यह हमारा पार्टी का अपना हिसाब है और इसे 2015 से लेकर कभी कभी उठाते रहे हैं.
2020 के विधानसभा चुनाव से पहले मांझी के DMA कार्ड ने लालू यादव की पार्टी जेडीयू को परेशान कर दिया है. क्योंकि आरजेडी की ओर से पहले ही तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया जा चुका है. लिहाजा आरजेडी की इस चिंता पर जब जीतन राम मांझी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि जैसे राजद के लोग कह रहे हैं कि तेजस्वी यादव सीएम होंगे तो यह उनकी बात है.
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उधर, झारखंड चुनाव में गठबंधन को मिली अभूतपूर्व सफलता से उत्साहित राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) अपने पुराने चेहरों को फिर से 'फ्रंट' पर लाने की कवायद में जुटा है. बिहार के विधानसभा चुनाव में विपक्षी दलों का महागठबंधन तय माना जा रहा है, मगर अभी इस पर बहुत कुछ कहना जल्दबाजी है. उल्लेखनीय है कि 2015 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के साथ आरजेडी, कांग्रेस और जेडीयू ने मिलकर चुनाव लड़ा था. इस बार चुनाव में जेडीयू के बीजेपी के साथ रहने की संभावना है. ऐसे में बीजेपी और जेडीयू को मात देने के लिए आरजेडी अन्य दलों को मिलाकर गठबंधन के जरिए रणनीति बनाने की जुगत में लगी है.
Source : News Nation Bureau