अगले साल यानी 2020 में बिहार में विधानसभा चुनाव होने वाला है. इसके लिए राजनीतिक सरगर्मी भी तेज हो गई है. वर्तमान में जदयू-बीजेपी गठबंधन की सरकार है. वहीं दूसरी तरफ बिहार में महागठबंधन भी ताल ठोक रहा है. जिसमें राजद, रालोसपा, हम, कांग्रेस शामिल हैं. बीजेपी को महाराष्ट्र की तर्ज पर सत्ता से दूर रखने के लिए बिहार में भी कवायद तेज हो गई है. राजद नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद ने इसे लेकर इशारा किया है. रघुवंश प्रसाद ने कहा कि अगर नीतीश कुमार महागठबंधन में शामिल होते हैं, तो बीजेपी को बिहार में मुंह की खानी पड़ सकती है.
यह भी पढ़ें- महाराष्ट्र: उद्धव ठाकरे सरकार का मराठा कार्ड, निजी नौकरियों में स्थानीय लोगों को मिलेगा इतने प्रतिशत आरक्षण
नीतीश साथ आते हैं तो कोई आपत्ति नहीं
उन्होंने कहा कि बीजेपी को हराने के लिए सभी विपक्षी पार्टियों को एक साथ आना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि अगर नीतीश कुमार महागठबंधन में शामिल होते हैं तो किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है. 2015 में राजद-जदयू-कांग्रेस एक साथ चुनाव लड़कर बिहार में प्रचंड बहुमत से सरकार बनाई थी. महागठबंधन पार्टियों की तरफ से कवायद शुरू हो गई है कि नीतीश कुमार बीजेपी का साथ छोड़कर हमारे साथ आएं.
2015 में बंपर जीत दर्ज की थी
बता दें कि 2015 बिहार विधानसभा चुनाव में 243 सीटों में से महागठबंधन ने 178 सीटों पर बंपर जीत हासिल की थी. आरजेडी को 80, जेडीयू को 71 और महागठबंधन की तीसरी पार्टी कांग्रेस को 27 सीटें मिली थीं. एनडीए को महज 58 सीटें ही मिलीं. इसी जीत को दोहराने के लिए महागठबंधन की कवायद तेज हो गई है. बिहार में पिछले कई सालों से मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में नीतीश कुमार रहे हैं. नीतीश कुमार की बिहार में एक अलग छवि है.
यह भी पढ़ें- मनजिंदर सिंह सिरसा ने औरंगजेब लेन वाले बोर्ड पर पोती कालिख, बोले- उसका इतिहास हिंदू-सिखों के खिलाफ
जदयू-बीजेपी में बढ़ रही है तल्खी
हालांकि जदयू की तरफ से इस तरह के कोई बयान सामने नहीं आए हैं, लेकिन बीजेपी-जदयू की रिश्ते भी ठीक से नहीं चल रही है. दोनों में कई बार तल्खी भी देखने को मिली है. नीतीश कुमार पिछले कई सालों से विशेष राज्य का दर्जा मांग रहे हैं. ये मांग उस समय से उठ रही है जब केंद्र में बीजेपी की सरकार नहीं थी. जब बिहार में बीजेपी-जदयू की सरकार है, तो भी मोदी सरकार ने विशेष राज्य का दर्जा देने के लिए कोई जहमत नहीं उठाई. इसके अलावा नीतीश कुमार पटना विश्वविद्यालय को सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा देने की मांग की थी. लेकिन मोदी सरकार ने यह भी मांग पूरी नहीं की. ये तल्खी इशारा कर रही है कि नीतीश कुमार महागठबंधन खेमे में जा सकते हैं.
इन मुद्दों पर एकमत नहीं बीजेपी-जदयू
वहीं इससे पहले बीजेपी ने नीतीश कुमार पर कई बार निशाना साधा है. NRC के मामले में भी बीजेपी-जदयू आमने सामने आ गए थे. नीतीश कुमार की जो छवि है उसे नीचे करने की भी कोशिश की जा रही है. बिहार में जदयू-बीजेपी की सरकार है, लेकिन झारखंड में दोनों पार्टी अलग-अलग चुनाव लड़ रही है. बिहार में चमकी बुखार के मामले में भी बीजेपी-जदयू के बीच तल्खी देखी गई थी. अनुच्छेद 370 पर भी नीतीश कुमार और बीजेपी एकमत नहीं थे.