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राज्यसभा में भी JDU ने नागरिकता संशोधन विधेयक का समर्थन किया

लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक का समर्थन के बाद पार्टी के अंदर विरोध के स्वर मुखर होने के बावजूद जनता दल (यूनाइटेड) ने राज्यसभा में भी इस बिल का समर्थन किया है.

Updated on: 11 Dec 2019, 02:44 PM

नई दिल्ली:

लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक का समर्थन के बाद पार्टी के अंदर विरोध के स्वर मुखर होने के बावजूद जनता दल (यूनाइटेड) ने राज्यसभा में भी इस बिल का समर्थन किया है. राज्यसभा में जदयू के सदस्य रामचंद्र प्रसाद सिंह ने कहा कि उनकी पार्टी इस बिल का पूरा समर्थन करती है. इस दौरान आरसीपी सिंह ने विपक्ष भ्रमित करने की कोशिश का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि यह बिल बहुत स्पष्ट है, यह हमारे तीन निगोरबिंग देशों से उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों को नागरिकता देता है, लेकिन यहां हमारे भारतीय मुस्लिम भाईयों पर बहस चल रही है.

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राज्यसभा में जेडीयू नेता ने कहा कि हमारा देश एक रिपब्लिक है. हमारे देश में जितने भी नागरिक हैं. उन्हें समानता का अधिकार है. इसलिए यहां तीन-तीन राष्ट्रपति अलग-अलग समुदाय से रहे हैं. लेकिन भारत के बाहर की स्थिति देख लिजिए. उन्होंने कहा कि इस बिल में न तो संविधान का उल्लंघन हुआ है और ना ही आर्टिकल-14 का उल्लंघन हुआ है. उन्होंने कहा कि हमारे देश में NRC की बात हो रही है, मगर C के आगे D भी होता है. D का मतलब डेवलेपमेंट है और हमारे लिए नेशनल रजिस्टर ऑफ डिवेलपमेंट हैं.

जदयू के राज्यसभा सांसद आरसीपी सिंह ने कहा कि कब तक हम दूसरे देश के लोगों की बातें करते रहेंगे और अब समय है कि देश के नागरिकों का विकास हो. उन्होंने कहा कि हमारी नैतिकता पर सवाल उठाया, आपको बता देता हूं कि यूपीए से ज्यादा एनडीए की सरकार ने मदरसे बनाए, हमारी सरकार वेतन आयोग को आगे बढ़ा रही है. पहले की सरकारों से ज्यादा आज मदरसों का बजट किया गया है, बिहार में आज जाति-धर्म के नाम पर भेदभाव नहीं हुआ. 

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उल्लेखनीय है कि लोकसभा में जदयू ने नागरिकता संशोधन विधेयक का समर्थन किया तो पार्टी के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर और वरिष्ठ नेता पवन वर्मा ने इसे निराशाजनक बताया. पवन वर्मा ने पार्टी अध्यक्ष नीतीश कुमार से इस पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया. पवन वर्मा ने बिल को विधेयक को असंवैधानिक और देश की एकता के खिलाफ बताते हुए नीतीश कुमार से अपील की थी कि राज्यसभा में इसके समर्थन पर दोबारा विचार करें.

इससे पहले प्रशांत किशोर ने अपनी नाराजगी जाहिर की और ट्विटर पर लिखा, 'इस विधेयक पर जदयू के समर्थन से निराश हूं. यह विधेयक धर्म के आधार पर नागरिकता प्रदान करने वाला है, जो भेदभाव पूर्ण है.' उन्होंने आगे लिखा, 'जदयू द्वारा नागरिकता संशोधन विधेयक का समर्थन पार्टी के संविधान से अलग है, जिसमें पहले ही पन्ने पर धर्मनिरपेक्षता शब्द 3 बार लिखा हुआ है.' बता दें कि बिहार में बीजेपी के सहयोग से सरकार चला रही जदयू ने मंगलवार को लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक का समर्थन किया था.