बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा में बच्चों को शिक्षा लेने के लिए जान हथेली पर रखकर जाना पड़ता है. दो गांव के बीच बहने वाली नदी को पार करते बच्चे स्कूल पढ़ने जाते हैं. दरअसल, राजगीर विधानसभा के गाजीपुर में लोगों को आवागमन करने में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है. वहीं, शिक्षा के अलावा इलाज के लिए भी लोगों को नदी पार कर दूसरे गांव सकचीसराय जाना पड़ता है. हालांकि परिजनों को हर समय अपने बच्चों की चिंता रहती है कि कहीं नदी पार करने के दौरान कोई दुर्घटना ना हो जाए.
छोटी-छोटी जरूरतों के लिए जाना होता है नदी पार
आपको बता दें कि दो गांवों के बीच सकरी नदी बहती है, जिनका नाम सकचीसराय और सकचीसराय डीह है. जो महज आधे किलोमीटर के अंतर पर हैं. परंतु इस दोनों गांवों को जोड़ने वाली एक सड़क जो पुल के सहारे जोड़ती है इस जगह से 3 किलोमीटर दूर है. यानी आने जाने में 6 किलोमीटर. इस गांव और बगल वाले गांव के बीच में सकरी नदी का बहाव सालों रहता है, इसके चलते गांव वालों को हमेशा ही इस परेशानी को झेलना पड़ता है. कारण यह है की सारी सुविधाएं सकचीसराय सराय में है और सकचीसराय डीह से लगे पांच से सात गांव हैं. तो हर छोटी-छोटी जरूरतों के लिए नदी पार करनी होती है.
नेताओं ने लिए सिर्फ वोट
शिक्षा से लेकर चिकित्सा जैसी कई सुविधाओं के लिए नदी पार ही जाना पड़ता है. वहां के लोगों का कहना है कि इन्होंने कई वर्षों से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जनता दरबार से लेकर कई अधिकारियों, पदाधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से मिलते आए हैं. परंतु कहीं भी उनकी सुनवाई नहीं हुई. लोगों का कहना है कि चुनाव के समय नेता तो आते हैं और वादे करके चले जाते हैं, लेकिन आज तक छोटी सी एक पुलिया भी नहीं बनवाई गई.
HIGHLIGHTS
- नालंदा में बच्चों की जान हथेली पर
- रोज जाना पड़ता है नदी पार
- छोटी-छोटी जरूरतों के लिए जाना होता है नदी पार
Source : News State Bihar Jharkhand