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मधुबनी सदर अस्पताल में अवैध उगाही का खेल, मेडिकल सर्टिफिकेट के नाम पर वसूली

मधुबनी में रिश्वत खोरी का खेल NEWS STATE के कैमरे में कैद हुआ है. सूबे की सरकार भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है.

Updated on: 27 Jun 2023, 12:20 PM

highlights

  • NEWS STATE के कैमरे में कैद
  • मधुबनी सदर अस्पताल में अवैध उगाही का खेल
  • मेडिकल सर्टिफिकेट के नाम पर वसूली

Madhubani:

मधुबनी में रिश्वत खोरी का खेल NEWS STATE के कैमरे में कैद हुआ है. सूबे की सरकार भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है. बावजूद भ्रष्ट कर्मियों और अधिकारियों द्वारा अवैध उगाही की जारी है. ऐसा ही रिश्वतखोरी का मामला मीडिया के कैमरे में कैद हुआ, जिसने मधुबनी सदर अस्पताल में अधिकारियों की संलिप्तता से चल रहे भ्रष्टाचार की पोल खोल कर रख दी है. मामला मधुबनी सदर अस्पताल का है, जहां मेडिकल सर्टिफिकेट में कर्मी बासुकीनाथ पूर्वे द्वारा 500 रुपये की उगाही की जा रही है. अस्पताल कर्मी द्वारा अवैध रुपये की उगाही करने का मामला न्यूज़ नेशन मीडिया के कैमरे में कैद हुआ. दरअसल, एक युवक को नौकरी मिली, जिसमे उसे मेडिकल सर्टिफिकेट की आवश्यकता थी. युवक सदर अस्पताल पहुंचा और मेडिकल प्रमाण पत्र के लिए आवेदन दिया, तो कर्मी द्वारा 500 रुपये की मांग की गई. 

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सदर अस्पताल में अवैध उगाही का खेल

युवक ने इसकी सूचना मीडिया को दी. न्यूज स्टेट मीडिया की टीम पहुंची और युवक द्वारा कर्मी पैसे दिए जाने का वीडियो खुफिया कैमरे में कैद कर लिया. इस अवैध उगाही के मामले में जब अस्प्ताल के संलिप्त कर्मी से पूछा गया तो उसने सीएस के आदेश से रुपये लेने की बात बताते हुए कहा कि ये प्रमाण पत्र बनाने के एवज में रुपये लिए जा रहे हैं. मामले को लेकर सिविल सर्जन के पास जाने के लिए बोला. सिविल सर्जन से जब मेडिकल सर्टिफिकेट के लिए निर्धारित शुल्क के बारे में पूछा गया तो उन्हें पता ही नहीं था कि कितना शुल्क निर्धारित है, शुल्क लिया जाता है या नहीं. 

नजराना शुल्क से कुछ घंटों में हो रहा काम

सीएस ने बताया कि कर्मी से पूछकर बताएंगे, जिससे साफ पता चलता है कि मेडिकल सर्टिफिकेट के लिए कोई शुल्क सरकार द्वारा निर्धारित नहीं है. ऐसे में मनमाने तरीके से उगाही की जा रही है. कर्मी बासुकीनाथ पूर्वे द्वारा उक्त युवक से पांच सौ रुपये की मांग की गई. युवक ने 350 रुपये कर्मी को दिया, रुपये मिलते ही कर्मी ने एक घण्टे में सर्टिफिकेट लेने के लिए आने के लिए कहा. कर्मी द्वारा सर्टिफिकेट बनाकर दे दिया गया, लेकिन लिए गए रुपये का कोई रशीद नहीं दिया गया.

NEWS STATE के कैमरे में कैद

कर्मी ने बताया कि 500 रुपये देने पर रशीद दिया जाएगा, उससे कम रुपये देने पर रशीद नहीं दिया जाएगा. बहरहाल, युवक ने कम रुपये में काम करने को लेकर 350 रुपये दे दिए और कर्मी मान गए. कुछ घण्टों में ही मेडिकल सर्टिफिकेट बनाकर दे दिया. लोगों की मानें तो सदर अस्पताल में मेडिकल सर्टिफिकेट, दिव्यांग सर्टिफिकेट, जन्म प्रमाण पत्र सहित अन्य कार्यों का रेट फिक्स है. रुपये नहीं देने पर लोगों को महीनों दौड़ाने के बाद भी कार्य नहीं हो पाता है. ऐसे में लोग नजराना शुल्क देकर काम कराने में भलाई समझते हैं. इस रिश्वतखोरी की खेल में सीएस और अस्पताल प्रशासन की संलिप्तता से इंकार नहीं किया जा सकता है. देखना है कि जिला प्रशासन और सरकार मामले में क्या कार्रवाई करती है.