बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने शहरी गरीबों को पक्का आवास मुहैया कराने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है. दरअसल, राज्य में प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) को 31 दिसंबर 2025 तक विस्तार दिया गया है. नगर विकास एवं आवास विभाग से मिली जानकारी के अनुसार पीएम आवास योजना के पहले चरण में राज्य में कुल 2 लाख 64 हजार 604 आवास स्वीकृत किए जा चुके हैं. इनमें 1 लाख 56 हजार 550 आवासों का निर्माण कार्य भी पूर्ण हो चुका है. जबकि बाकि आवासों का निर्माण कार्य जारी है. विभाग की तरफ से बताया कि आवासीय योजना के लिए कुल 4 हजार 148 करोड़ 16 लाख रुपये की राशि स्वीकृत की गई है, जिसमें 3 हजार 111 करोड़ रुपये केंद्र सरकार और 1 हजार 37 करोड़ रुपये राज्य सरकार वहन कर रही है.
हर शहरी गरीब को अब पक्का घर
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पीएमएवाई (शहरी) योजना के पीछे सरकार का उद्देश्य शहरी क्षेत्रों में रहने वाले ऐसे गरीब परिवारों को पक्का आवास उपलब्ध कराना है. खासकर ऐसे लोग जिनके पास खुद का कोई मकान नहीं है. इस योजना के तहत से लोगों को दो लाख रुपए की आर्थिक मदद मुहैया कराई जा रही है, जिनके पास खुद की 30 वर्गमीटर जमीन है. इस राशि में से 1.5 लाख केंद्र सरकार व 50 हजार राज्य सरकार की तरफ दिए जा रहे हैं.
पीएम आवास योजना के तहत बिहार में तेजी से चल रहा काम
बता दें कि प्रधानमंत्री आवास योजना केंद्र सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है. इस क्रम में प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) 2.0 की शुरुआत 1 सितंबर 2024 को की गई थी, जो अगले पांच सालों तक जारी रहने वाली है. इस योजना के लिए वित्तीय वर्ष 2025-26 में 23 सौ करोड़ 5 हजार 509 लाख 96 हजार रुपये का प्रावधान किया गया है. इसके लिए कुल 261 नगर निकायों से ऑनलाइन के माध्यम से अबतक 4 लाख 33 हजार 508 आवेदन प्राप्त हुए हैं. इसमें 2 लाख 2 हजार 379 लाभुकों का भौतिक और ऑनलाइन सत्यापन हो चुका है, जिसमें पहले चरण (वित्तीय वर्ष 2024-25) के लिए 1,00,124 लाभुकों के घरों के निर्माण के लिए भारत सरकार ने 20 फरवरी को ही स्वीकृति दे दी हैl इसके निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो गई है.
योजना का उद्देश्य
पीएमएवाई (शहरी)- 2.0 का मकसद न सिर्फ आवास निर्माण है. बल्कि, शहरी परिवारों को किफायती दर पर किराये पर घर उपलब्ध कराने और प्राथमिक ऋण संस्थानों (पीएलआई) के सहयोग से घर खरीदने के लिए सहायता देना भी है. राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और कार्यान्वयन एजेंसियों के समन्वय से यह योजना देशभर में शहरी आवास संकट को दूर करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण पहल साबित हो रही है.